Teacher News: डीपीआई बड़े या डीईओ? डीईओ ने उड़ाई DPI और हाई कोर्ट के आदेश की धज्जियां, मनचाहे स्कूलों में कर दी शिक्षकों की पोस्टिंग

Teacher News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के डीईओ ने राज्य सरकार के युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के दौरान की गई मशक्कत का कबाड़ा कर दिया है। डीईओ के इस खेल से शिक्षा जगत में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, डीपीआई बड़े या फिर डीईओ। डीईओ ने पदस्थापना के इस खेल में डीपीआई के आदेश को तो रद्दी की टोकरी में डाला ही है, हाई कोर्ट के आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी है। शिक्षकों को मनचाहे स्कूलों में पोस्टिंग दे दी गई है। इसके चलते कोटा ब्लाक के तीन स्कूल एकल शिक्षकीय हो गया है। जाहिर सी बात है इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ेगा।

Update: 2025-12-06 04:58 GMT

Shikshko Ki Posting: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के डीईओ ने राज्य सरकार के युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के दौरान की गई मशक्कत का कबाड़ा कर दिया है। डीईओ के इस खेल से शिक्षा जगत में एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, डीपीआई बड़े या फिर डीईओ। डीईओ ने पदस्थापना के इस खेल में डीपीआई के आदेश को तो रद्दी की टोकरी में डाला ही है, हाई कोर्ट के आदेश की भी धज्जियां उड़ा दी है। शिक्षकों को मनचाहे स्कूलों में पोस्टिंग दे दी गई है। इसके चलते कोटा ब्लाक के तीन स्कूल एकल शिक्षकीय हो गया है। जाहिर सी बात है इसका खामियाजा बच्चों को भुगतना पड़ेगा।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में सहायक शिक्षकों का प्रधान पाठक पद पर प्रमोशन किया गया था और यह प्रमोशन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा 29 मार्च 2023 को जारी आदेश के आधार पर किया गया था। जिसका उल्लेख बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी पदोन्नति आदेश में भी है। प्रमोशन की जब काउंसलिंग हुई थी तब कुछ शिक्षकों ने सही जगह न मिलने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। आपत्ति दर्ज कराने के साथ ही हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।

मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को डीपीआई के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने व डीपीआई को नियमानुसार अभ्यावेदन पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट के निर्देश पर याचिकाकर्ता शिक्षकों ने डीपीआई के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया था। अभ्यावेदन की सुनवाई के बाद डीपीआई ने सभी याचिकाकर्ता शिक्षकों के आवेदन को अमान्य कर दिया था। डीपीआई ने जिला शिक्षाधिकारी को 29 मार्च 2023 पत्र लिखकर पदोन्नति के बाद पदस्थापना का आदेश दिया था।

डीईओ ने ऐसे किया खेला

29 मार्च 2023 के निर्देशानुसार याचिकाकर्ता शिक्षकों की पहले ही पदोन्नति हो चुकी थी। लिहाजा उसी स्थान पर इनको पदस्थापना देनी थी। डीपीआई के निर्देश में यह भी साफ लिखा है कि जो शिक्षक कोर्ट गए थे और जिनका अभ्यावेदन अस्वीकार किया गया है उन्हीं शिक्षकों को पदस्थापना देनी थी। डीईओ ने डीपीआई के साथ ही हाई कोर्ट के आदेश को भी रद्दी की टोकरी में डाल दिया और इन शिक्षकों की पदस्थापना मनचाहे जगह पर कर दी। जाहिर सी बात है जब पदस्थापना मनमुताबिक होगा तो भीतर ही भीतर कुछ बड़ा खेल हुआ ही होगा। शिक्षक संगठनों के बीच इस बात की चर्चा भी जमकर हो रही है, हाई कोर्ट के आदेश और डीपीआई के निर्देश के बाद भी डीईअओ ने आखिर ऐसा क्यों किया। इन शिक्षकों को शहर के पास के स्कूलों में पदस्थाना क्यों दे दी गई, इस बात की भी चर्चा हो रही है।

इन शिक्षकों के साथ मिलकर डीइओ ने हाई कोर्ट के आदेश की उड़ाई धज्जियां

0 हलधर साहू को राजेंद्र नगर शासकीय स्कूल में प्रधान पाठक बना दिया गया, जबकि पहले इनकी पदस्थापना प्राथमिक शाला चारपारा "खोगसरा" विकासखंड कोटा में हुई थी।

0 शिप्रा बघेल की पदस्थापना शासकीय प्राथमिक शाला पौसरा में कर दी गई, जबकि इसकी पहले पदस्थापना प्राथमिक शाला कन्या खमरिया विकासखंड मस्तूरी में हुई थी।

0 सूरज कुमार सोनी की पदस्थापना शासकीय प्राथमिक शाला भटगांव विकासखंड बिल्हा में कर दी गई है जबकि पहले इनकी पदस्थापना प्राथमिक शाला पुरेना विकासखंड तखतपुर में की गई थी।

नियमों का किया सीधेतौर उल्लंघन

जिन शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर नहीं की थी उन्हें भी प्रधान पाठक के पद पर उनके मनचाहे जगह पर पदस्थापना दे दी गई है। किसी भी आधार पर उनकी पदस्थापना हो ही नहीं सकती थी। 2024 में जारी पदस्थापना आदेश का सीधेतौर पर उल्लंघन कर दिया है। जारी आदेश के अंतिम बिंदू में साफ लिखा है कि 10 दिवस के भीतर कार्यभार ग्रहण न करने पर पदस्थापना स्वत: निरस्त मानी जाएगी। नियमों पर नजर डालें तो हाई कोर्ट और डीपीआई के आदेश के मद्देनजर पांच याचिकाकर्ता शिक्षकों को उनके पूर्व के स्कूलों में पदस्थ किया जाना था। डीईओ ने ऐसा ना कर मनचाहे स्कूलों में पदस्थापना आदेश जारी कर दिया है।

यहां किया खेला,तीन स्कूल हो गए एकल शिक्षकीय

नंदनी कौशिक की पदस्थापना शासकीय प्राथमिक शाला जरहाभाठा में प्रधान पाठक के पद पर कर दी गई है। पांच और भी शिक्षक हैं जिनके संंबंध में डीपीआई ने ना तो आदेश जारी किया है और ना ही हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी,ऐसे शिक्षकों का पदस्थापना कोटा विकास खंड के स्कूलों में कर दी गई है। इसके चलते तीन स्कूल एकल शिक्षकीय हो गया है।

अभ्यावेदन पर सुनवाई का कोर्ट ने डीपीआई को दिया था निर्देश

हलधर साहू समेत अन्य शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 16 अप्रैल 2025 को फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता शिक्षकों को DPI के समक्ष 15 दिनों के भीतर अभ्यावेदन पेश करने कहा था। अभ्यावेदन प्राप्त होने के 15 दिन के भीतर निराकरण करने का निर्देश कोर्ट ने डीपीआई को जारी किया था। कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी थी कि इन 30 दिनों तक याचिकाकर्ताओं को अपने पुराने स्कूल में काम करने की छूट रहेगी ।

न्यायालयीन अवमानना के बहाने किया खेला

याचिकाकर्ता शिक्षकों के अभ्यावेदन पर 15 दिनों के भीतर कार्रवाई का निर्देश हाई कोर्ट ने डीपीआई को दिया था। तय समयावधि में अभ्यावेदन का निराकरण ना करने पर हलधर साहू सहित याचिकाकर्ता शिक्षकों ने न्यायालयीन आदेश की अवहलेना करने का आरोप लगाते हुए डीपीआई के खिलाफ हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी थी। अवमानना याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने 16 जुलाई को डीपीआई ऋतुराज रघुवंशी को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया था। हाई कोर्ट के नोटिस के बाद डीपीआई ने याचिकाकर्ता शिक्षकों के अभ्यावेदन की सुनवाई की और 4 सितंबर 2025 को अभ्यावेदन को अमान्य कर दिया।

डीपीआई की सुनवाई के बाद डीईओ ने किया खेला

अभ्यावेदन अमान्य होने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने अपना खेल शुरू किया। डीपीआई और हाई कोर्ट को गुमराह करते हुए हलधर साहू समेत अन्य की पोस्टिंग उनके मनचाहे जगह में कर दी । इसके बाद अवमानना याचिका की अगली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने अपने केस को वापस ले लिया।

कोर्ट के आदेश का पालन करना अनिवार्य

जेडी आरपी आदित्य का कहना है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद डीपीआई ने शिक्षकों के अभ्यावेदन को निरस्त कर दिया था। इसके बाद दूसरे स्कूलों में किस आधार पर पदस्थापना आदेश जारी किया गया है,इस संबंध में डीईओ कार्यालय से जानकारी ली जाएगी। न्यायालयीन आदेश का पालन करना अनिवार्य है।



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