State Bar Counsil Election: निर्वाचित पदाधिकारी नहीं लड़ पाएंगे स्टेट बार काउंसिल का चुनाव, BCI की अधिसूचना को हाई कोर्ट ने ठहराया सही, याचिका खारिज
State Bar Counsil Election: बार कौंसिल ऑफ इंडिया BCI की उस अधिसूचना को जिसमें स्टेट बार काउंसिल के चुनाव से निर्वाचित पदाधिकारियों को बाहर कर दिया है, चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने बीसीआई की अधिसूचना को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। बीसीआई की अधिसूचना और हाई कोर्ट के फैसले से हाई कोर्ट व जिला कोर्ट बार एसोसिएशन के ऐसे पदाधिकारी जो स्टेट बार काउंसिल का चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे, झटका लगा है।
State Bar Counsil Election
State Bar Counsil Election: बिलासपुर। BCI बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा जारी अधिसूचना के मद्देनजर निर्वाचित पदाधिकारियों को स्टेट बार काउंसिल का चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया है। बीसीआई ने साफ कहा कि निर्वाचित पदाधिकारियों के चुनाव लड़ने की वजह से मतदाता प्रभावित होते हैं। बीसीआई की इसी अधिसूचना को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने बीसीआई के फैसले को संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन बताया।
याचिकाकर्ता हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव वरूणेंद्र मिश्रा ने अपनी याचिका में लिखा है कि छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल का चुनाव लंबे समय बाद हो रहा है। इसके चलते नए नियमों की जानकारी नहीं थी। बीसीआई ने यह अधिसूचना साल 2022 में जारी की है। याचिका की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने बीसीआई की अधिसूचना को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी है।
बीसीआई के निर्देश पर छत्तीसगढ़ स्टेट बार काउंसिल के 25 सदस्यों के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की गई है। इसके तहत सात अगस्त से 14 अगस्त तक नामांकन पत्र जमा करने की तिथि तय की गई है। नामांकन पत्रों की जांच, नाम निर्देशन पत्र वापस लेने के बाद कैंपेनिंग और फिर मतदान होना है। इस चुनाव में छत्तीसगढ़ के अधिवक्ता शामिल होंगे। अधिवक्ता मतदाता की हैसियत से मतदान करेंगे।
डिवीजन बेंच ने खारिज की याचिका, अब सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी-
हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के सचिव की याचिका पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने बीसीआई की अधिसूचना को सही ठहराते हुए खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता अब इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।