Jhiram Naxal Attack: वो 25 मई की शाम, बिछ गईं थीं लाशें...शवों पर नक्सलियों ने किया था डांस, जानिए उस दिन मिनट-टू-मिनट क्या हुआ था

25 मई 2013 में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर बस्तर-सुकमा बॉर्डर पर नक्सलियों ने हमला किया। ये हमला झीरम घाटी हमले के नाम से जाना जाता है। ये हमला देश के इतिहास में किसी भी राजनीतिक दल के लोगों पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा नक्सली हमला था। आइए जानते हैं कि उस दिन आखिर क्या हुआ था?

Update: 2024-05-25 12:21 GMT

25 मई 2013.. जब झीरम घाटी हत्याकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस हमले में कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता, आम लोगों समेत 31 लोगों की मौत हुई थी। छत्तीसगढ़ में साल 2013 के अंत में विधानसभा चुनाव होने थे। इस समय बीजेपी की सरकार थी और डॉ रमन सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।

पिछले 2 चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की थी। इधर 10 सालों से सत्ता से दूर कांग्रेस भी सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगा रही थी। इसके लिए कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में परिवर्तन यात्रा निकालने की तैयारी की। 25 मई के दिन कांग्रेस ने सुकमा में परिवर्तन रैली आयोजित की।


जानिए मिनट टू मिनट उस दिन क्या हुआ था?

25 मई की दोपहर करीब 3.45 बजे सुकमा में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की सभा खत्म हुई। इसके बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता, कार्यकर्ता करीब 15 मिनट के बाद यानी 4 बजे वहां से जगदलपुर के लिए निकले। काफिले में करीब 25 गाड़ियां थीं, जिनमें 200 नेता सवार थे। सबसे आगे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा अपने-अपने सुरक्षा गार्ड्स के साथ थे। इनके पीछे महेन्द्र कर्मा और मलकीत सिंह गैदू की गाड़ी थी। इस गाड़ी के पीछे बस्तर के तत्कालीन कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार कुछ अन्य नेताओं के साथ चल रहे थे।


नक्सलियों ने पहले ब्लास्ट किया, फिर शुरू की ताबड़तोड़ फायरिंग

4 बजकर 20 मिनट के आसपास कांग्रेसी झीरम घाटी पहुंचे। यहां घात लगाकर बैठे नक्सलियों ने सबसे पहले ब्लास्ट किया। इससे काफिले में चल रही दूसरे नंबर के गाड़ी उड़ गई। इस गाड़ी में स्थानीय दरभा के युवक सवार थे। इस ब्लास्ट से इतना बड़ा गड्ढा हुआ कि पीछे की सारी गाड़ियां फंस गईं। नक्सलियों ने पेड़ों को गिराकर रास्ता भी बंद कर दिया था। इधर काफिले के बीच में एक अन्य ट्रक भी था, जो ब्लास्ट से क्षतिग्रस्त होकर टेढ़ा हो गया था। इसकी वजह से भी रास्ता पूरी तरह से जाम हो गया था।


नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले को V शेप में किया ट्रैप

इधर पेड़ों के पीछे छिपे 200 से ज्यादा नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। नक्सलियों ने सभी गाड़ियों पर गोलीबारी की। नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल की मौके पर ही मौत हो गई। करीब डेढ़ घंटे तक जबरदस्त फायरिंग होती रही। कांग्रेसियों को नक्सलियों ने वी ट्रैप में घेर रखा था। घाट का ये वह इलाका था, जहां पर रास्ता सामने जाकर संकरा हो जाता है और पीछे की चौड़ाई वाले इलाके में नक्सली ऊपर से गोली बरसा रहे थे।


मीडियाकर्मी 4.45 बजे से 5 बजे के बीच मौके पर पहुंचे

इस बीच सूचना मिलने पर मीडियाकर्मी 4.45 बजे से 5 बजे के बीच मौके पर पहुंचे। एक मीडियाकर्मी की बाइक लेकर कांग्रेस नेता कवासी लखमा वहां से तत्काल निकल गए। ताबड़तोड़ फायरिंग के बीच जब देश ने मौके की पहली वीडियो-फोटो देखी, तो उनका भी दिल दहल गया। यहां-वहां नक्सलियों की गोलियों का शिकार बने कांग्रेसी नेताओं-कार्यकर्ताओं की वीभत्स लाशें पड़ी हुई थीं।

साढ़े 5 बजे नक्सली पहाड़ों से उतरे

शाम के करीब साढ़े 5 बजे नक्सली पहाड़ों से उतर आए और एक-एक गाड़ी चेक करने लगे। जो लोग फायरिंग में मारे जा चुके थे, उन्हें फिर से गोली और चाकू मारे गए, ताकि किसी के भी जिंदा बचने की कोई संभावना नहीं हो। जो लोग जिंदा थे, उन्हें बंधक बनाया जा रहा था। इसी बीच एक गाड़ी से महेन्द्र कर्मा नीचे उतरे और बोले, मुझे बंधक बना लो, बाकियों को छोड़ दो। नक्सलियों ने महेंद्र कर्मा की थोड़ी दूर ले जाकर बेरहमी से हत्या कर दी।

महेंद्र कर्मा पर नक्सलियों ने 100 से ज्यादा गोलियां दागीं

बस्तर टाइगर के नाम से विख्यात कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा पर नक्सलियों ने 100 से ज्यादा गोलियां दागी थीं। वहीं उनके शव पर नक्सलियों ने नाच भी किया था, ये खबर सामने आने के बाद लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। सलवा जुडूम का नेतृत्व करने की वजह से नक्सली महेंद्र कर्मा को अपना कट्टर दुश्मन मानते थे। नक्सलियों ने उनके शरीर पर गोलियां तो दागी ही, साथ ही चाकू से भी 50 से ज्यादा वार किए।

30 से ज्यादा लोगों ने गंवाई जान

हमले में कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता, सुरक्षाबल के जवान और आम लोगों समेत करीब 31 लोगों की मौत हुई। इसमें भूतपूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को छोड़कर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के उस वक्त के अधिकतर बड़े नेता और सुरक्षा बल के जवान शहीद हुए। मृतकों में तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, पूर्व मंत्री महेंद्र कर्मा, पूर्व विधायक उदय मुदलियार शामिल थे। वहीं विद्याचरण शुक्ल की मौत इलाज के दौरान घटना से कुछ दिनों बाद गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में हो गई थी।

करीब साढ़े 7 से 7.45 बजे पहुंची पुलिस 

फायरिंग खत्म होने के बाद करीब साढ़े 7 से 7.45 बजे सबसे पहले तत्कालीन एसपी मयंक श्रीवास्तव अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे, तब तक अंधेरा हो चुका था। पीछे-पीछे एंबुलेंस भी आई। शवों और घायलों को जगदलपुर लाया गया। दिग्गज कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल को जगदलपुर से प्राथमिक चिकित्सा के बाद तत्काल एयर एंबुलेंस से एयरलिफ्ट कर गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

26 मई को सर्चिंग में मिला नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल का शव

26 मई को सर्चिंग अभियान चलाया गया, जिसमें नंदकुमार पटेल और दिनेश पटेल के शव बरामद किए जा सके। नक्सलियों ने उनकी भी इतनी बेरहमी से हत्या की थी कि उनके शव की पहचान कर पाना भी मुश्किल था। इसके बाद दोनों के शवों को जगदलपुर लाया गया।

सबसे पहले कांग्रेसी राजीव नारंग और गोपी माधवानी को महारानी अस्पताल लाया गया था। यहां पर गोपी माधवानी ने दम तोड़ दिया था। समय के साथ लगातार एक के बाद एक कांग्रेसी और पुलिसकर्मियों को जगदलपुर के महारानी अस्पताल लाया गया। रात करीब 10 बजे ये बात सामने आई कि हमले में करीब 30 लोग मारे गए हैं। चूंकि विद्याचरण शुक्ल की मौत घटना के कुछ दिनों बाद हुई, तो ये संख्या 31 पहुंच गई।

झीरम घाटी शहादत दिवस के रूप में मनाया जाता है ये दिन

इस घटना को अंजाम देने के पीछे आखिर क्या वजह थी, यह आज भी पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है। घटना की जांच केंद्र सरकार ने NIA को सौंपी थी। NIA की टीम ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी और इसके बाद झीरम मामले को लेकर न्यायिक जांच आयोग का गठन किया गया। अब कांग्रेस ने इस दिन को झीरम घाटी शहादत दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया है।

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