IPS Yashpal Singh: CG रसूखदार अफसरः छत्तीसगढ़ियां पुलिस अफसर ताकते रह गए, BSF के कमांडेंट यशपाल सिंह ऊंची छलांग लगाकर IPS के बाद अब SP बन गए

IPS Yashpal Singh: यशपाल सिंह बीएसएफ के कमांडेंट थे। राजनांदगांव में पोस्टिंग के दौरान पता नहीं किधर से जादू हुआ, 2017 में वे अपनी सर्विस को छत्तीसगढ़ पुलिस में संविलियन करा लिए। रापुसे अधिकारियों के तमाम विरोधों के बाद भी कांग्रेस सरकार में उन्हें आईपीएस अवार्ड हो गया और अब जिले के एसपी बन गए।

Update: 2024-03-11 15:56 GMT

IPS Yashpal Singh रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आज मानपुर-मोहला के एसपी को हटाकर उनकी जगह यशपाल सिंह को नया एसपी अपाइंट कर दिया। यशपाल सिंह वो अफसर हैं, जिनका नाम सुनकर छत्तीसगढ के राज्य सेवा पुलिस के अधिकारी दुखी हो जाते हैं। यशपाल सिंह बीएसएफ के कमांडेंट थे। 2012 के बाद वे छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव में पोस्टेड हुए। और वहीं लंबे समय तक रहे।

2017 में तत्कालीन सरकार ने यशपाल की बीएसएफ की सर्विस को कैबिनेट के जरिये राज्य पुलिस सेवा में मर्ज कर दिया। यही नहीं, उन्हें रापुसे में 97 बैच भी मिल गया। जाहिर है, प्रारंभ से ही ऐसा होमवर्क किया गया ताकि आगे चलकर यशपाल को आईपीएस अवार्ड होने में दिक्कत न जाए। और वैसा ही हुआ।

ईओडब्लू का भ्रष्टाचार का लेटर

यशपाल सिंह की किस्मत इतना स्ट्रा्रंग है कि बीजेपी सरकार में उनका स्टेट पुलिस में संविलियन हुआ और कांग्रेस सरकार में आईपीएस अवार्ड। राज्य पुलिस वाले सिर पटकते रह गए। ईओडब्लू में यशपाल के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत हुई। पीएचक्यू ने एमएचए को आईपीएस अवार्ड के लिए प्रस्ताव भेजने से पहले ईओडब्लू से एनओसी मांगा तो ईओडब्लू ने बताया कि यशपाल के खिलाफ जांच चल रही है। उसके बाद बिलासपुर के तत्कालीन एडिशनल एसपी रोहित झा ने आखिरी प्रयास करते हुए यूपीएससी चेयरमैन को लेटर लिखा कि इस तरह अगर केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारियों को आईपीएस अवार्ड होने लगे तो फिर होड़ मच जाएगी। मगर सारी शिकायतें अनसूनी हो गई। 2021 में उन्हें आईपीएस अवार्ड हो गया। और, अब मोहला-मानपुर के एसपी बन गए हैं।

रापुसे को बड़ा झटका

रापुसे के जिन पांच अधिकारियों को पिछले महीने आईपीएस अवार्ड हुआ है, अगर यशपाल और धर्मेंद्र छवई को आईपीएस अवार्ड नहीं हुआ होता तो छत्तीसगढ़ के दो अधिकारियों को तीन साल पहले आईपीएस मिल गया होता। इनमें से धर्मेंद्र छवई मध्यप्रदेश कैडर के रापुसे अधिकारी थे। करीब 19 साल वहां सर्विस भी किए। उसके बाद पता नहीं किधर से क्या किए कि उनका कैडर चेंज होकर छत्तीसगढ़ हो गया। उन्हें बैच भी 97 अलाट हो गया। और उसके दो साल बाद आईपीएस बन गए। धर्मेंद्र अगर मध्यप्रदेश में होते तो अभी तक आईपीएस नहीं मिला होता। मगर छत्तीसगढ़ में वे दो जिले के एसपी रह लिए।

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