High Court News: विधवा बहू सास-ससुर की संपत्ति पर कर सकती है दावा, हाई कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, लेकिन ये शर्तें भी... पढ़िए पूरी खबर

High Court News: बिलासपुर हाई कोर्ट ने विधवा बहू की उस याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसमें उन्होंने ससुर से भरण पोषण की मांग करते हुए परिवार न्यायालय में यााचिका दायर की थी। फैमिली कोर्ट ने बहू के पक्ष में फैसला सुनाया था। फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए ससुर ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि विधवा बहू को सास-ससुर या फिर माता-पिता की संपत्ति पर दावा करने का अधिकारी है। कोर्ट ने दावा करने के लिए यह शर्त पर रख दी है। पढ़िए हाई कोर्ट ने भरण पोषण के अलावा संपत्ति पर दावा करने के संबंध में जरुरी निर्देश दिया है।

Update: 2025-08-21 13:32 GMT

High Court News


High Court News:बिलासपुर। फैमिली कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए हाई कोर्ट ने विधवा बहू की ससुर तुलाराम यादव की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने अपनी विधवा बहू को भरण पोषण देने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने अधिनियम का हवाला देते हुए कहा है कि विधवा बहू को अपने ससुर से भरण पाेषण पाने का अधिकार है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को फैमिली कोर्ट द्वारा तय आदेश के तहत भरण पोषण देने का आदेश दिया है।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि हिंदू दायित्व और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 में विशेषतौर पर प्रावधान है कि पति की मृत्यु के बाद पत्नी अपनी आय या संपत्ति से खुद और बच्चों का भरण पोषण करने में असमर्थ तब ऐसी विकट परिस्थिति में अपने ससुर से भरण पोषण का अधिकार है। दिए गए शर्त का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा, पति की संपत्ति नहीं है या फिर अपर्याप्त है तब उसी स्थिति में अपने बच्चों या अपने माता-पिता की संंपत्ति पर दावा कर सकती है। ससुर पर विधवा बहू के भरण पोषण का दायित्व तभी होगा जब उसके पास संपत्ति हो और बहू को उस संपत्ति से कोई हिस्सा ना मिला हो।

इन प्रावधान का दिया हवाला

जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने अपने आदेश में हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम, 1956 की धारा 19 का उल्लेख करते हुए कहा, विधवा बहू पुनर्विवाह करने तक अपने ससुर से भरण-पोषण पाने की हकदार है।

ये है मामला

छत्तीसगढ़ कोरबा निवासी चंदा यादव का विवाह वर्ष 2006 में गोविंद प्रसाद यादव से हुआ था। विवाह के सात साल बाद वर्ष 2014 में सड़क हादसे में गोविंद की मौत हो गई। ससुराल पक्ष से विवाद होने पर बच्चों को लेकर अलग रहने लगी। चंदा ने भरण पोषण की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने याचिकाकर्ता बहू को हर महीने बतौर जीवन यापन 2500 रुपये देने का आदेश ससुर को दिया। कोर्ट ने यह भी शर्त रख दी कि जब तक बहू पुनर्विवाह नहीं करती है तब तक भरण पोषण की हकदार रहेंगी। परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए ससुर तुलाराम यादव ने कहा वह खुद पेंशन भोगी है। उसकी आय सीमित है।

बहू खुद भी नौकरी कर सकती है। उसने बहू पर अवैध संबंध के आरोप भी लगाए। बहू के वकील ने कहा कि उसके पास आय का कोई जरिया नहीं है और बच्चों की जिम्मेदारी भी उस पर है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को 13 हजार रुपए पेंशन मिलती है, परिवार की जमीन में भी हिस्सा है। बहू के पास न नौकरी है, न संपत्ति से कोई हिस्सा मिला है। लिहाजा विधवा बहू ससुर से भरण पोषण प्राप्त करने की हकदार है।


Tags:    

Similar News