High Court News: छत्तीसगढ़ में डीजे बजाने वालों की खैर नहीं! लागू होगा कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को दिए निर्देश
डीजे और लेजर तथा बीम लाइट से जनता को हो रही परेशानी को देखते हुए हाई कोर्ट ने सख्त रूप अपनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने राज्य सरकार को तीन सप्ताह याने 21 दिनों के भीतर छत्तीसगढ़ में कोलाहल नियंत्रण अधिनियम लागू करने का निर्देश जारी किया है।
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बिलासपुर। त्योहारों और सामाजिक आयोजनों में डीजे और साउंड बाक्स से होने वाले शोर-शराबे को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने डिवीजन बेंच से कोलाहल नियंत्रण अधिनियम लागू करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा। इस पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने साफ कहा कि अब और देरी नहीं चलेगी। बेंच ने राज्य सरकार को केवल तीन सप्ताह का ही समय दिया है। अगली सुनवाई की तारीख 9 सितंबर को होगी।
रायपुर की एक नागरिक समिति ने डीजे और साउंड सिस्टम से होने वाले ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट को चीफ जस्टिस ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पीआईएल के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वर्तमान कानून में कठोरता का अभाव है। केवल 500 से 1000 रुपये का जुर्माना लगाकर मामले निपटा दिए जाते हैं। न तो उपकरण जब्त होते हैं और न ही कड़े नियम लागू होते हैं। जब तक कठोर प्रावधान नहीं होंगे, शोर प्रदूषण पर रोक लगाना संभव नहीं है।
सीजे ने कहा- डीजे के साथ ही लेजर और बीम लाइट के उपयोग पर भी बरते सख्ती
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने डीजे के अलावा लेजर और बीम लाइट से होने वाली परेशानियों पर भी चिंता जताई। सीजे ने कहा डीजे का तेज शोर दिल के मरीजों के लिए खतरनाक है। लेजर और बीम लाइट से आम लोगों की आंखों को गंभीर नुकसान हो सकता है। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
पांच साल की सजा व एक लाख जुर्माना या फिर दोनों सजा साथ-साथ
राज्य शासन की ओर से डिवीजन बेंच को बताया कि डीजे और वाहन माउंटेड साउंड सिस्टम पर लेजर लाइट पहले से ही प्रतिबंधित है। उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाता है और बार-बार नियम तोड़ने पर वाहन भी जब्त किए जाते हैं। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम के तहत उल्लंघनकर्ताओं को 5 साल की सजा, एक लाख रुपये का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
डीजे संचालकों की ओर से याचिका
इस मामले में डीजे संचालकों की ओर से भी हस्तक्षेप याचिका दायर की गई। उनका कहना है कि पुलिस कई बार उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करती है। इसलिए अधिनियम लागू होने से पहले स्पष्ट गाइडलाइन बनाई जाए। इस पर अदालत ने कहा कि शासन पहले ही एक्ट लागू करने का वादा कर चुका है। अब और बहाने स्वीकार नहीं होंगे।
कोर्ट का आदेश-
अदालत ने शासन को स्पष्ट निर्देश दिया है कि तीन सप्ताह के भीतर मसौदा अधिनियम तैयार कर रिपोर्ट अदालत में पेश करें। मामले की अगली सुनवाई 9 सितंबर को होगी।