High Court News: 1478 शिक्षकों के प्राचार्य बनने का रास्ता खुला, हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
High Court News: प्राचार्य पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा तय किए गए मापदंड को चुनौती देने वाली रिटायर्ड शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इसके साथ ही ई संवर्ग के 1478 शिक्षकों की प्रिंसिपल पद पर पोस्टिंग का रास्ता खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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High Court News: बिलासपुर। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने प्राचार्य पदोन्नति व पोस्टिंग को लेकर दायर याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। शिक्षकों में अब उम्मीद जगी है कि जल्द ही ई संवर्ग के 1475 शिक्षकों को प्राचार्य के पद पर पोस्टिंग मिलेगी।
स्कूल शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के अलावा प्रिंसिपल बनने की राह पर खड़े ई संवर्ग 1478 को अब जाकर राहत की उम्मीद जगी है। रिटायर शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी की याचिका को सुनवाई के बाद जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल के सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। प्राचार्य प्रमोशन का मामला कोर्ट से क्लियर हुआ तो एक रिटायर शिक्षक की वजह से 2813 में से 1478 प्राचार्यों का केस उलझ गया था। अब सब-कुछ साफ हो गया है। पहले चरण में सिर्फ 'टी' संवर्ग के 1335 प्राचार्यों के लिए ही काउंसलिंग की जाएगी।
बीते सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बेंच को बताया कि प्राचार्य पदोन्नति के लिए बनाए गए नियमों,मापदंडों व कैडर को लेकर डिवीजन बेंच में विस्तार से सुनवाई हो चुकी है। सभी पक्षों ने अपनी बातें व तर्क बेंच के सामने रख दिया था। डिवीजन बेंच ने सभी आधा दर्जन याचिकाओं का खारिज करते हुए प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए राज्य शासन द्वारा बनाए गए निमयों व मापदंडों को सही ठहराते हुए पदोन्नति का आदेश जारी कर दिया है। इसी तरह के सभी यााचिकाओं की सुनवाई पूरी हो गई है। डिवीजन बेंच ने स्थगन आदेश को हटाते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच में सुनवाई के बाद बेंच ने 17 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था। डिवीजन बेंच में 9 जून से 17 जून तक लगातार सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने अपने- अपने विषय में तथ्यों के साथ पक्ष रखा था। अतिरिक्त महाधिवक्ता के साथ ही इंटरविनर ने भी लाभार्थी व शासकीय पक्ष को मजबूती से रखा था। स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को प्राचार्य पदोन्नति की सूची जारी की थी, जिसे हाई कोर्ट ने 1 मई को स्थगित किया था, जिसमे सुनवाई चली। 17 जून को सुरक्षित फैसले पर अपना आर्डर सुनाते हुए डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराते अंत में हाई कोर्ट ने सभी को सुनने के बाद फैसला 17 जून को सुरक्षित रख लिया है, जिसमे सभी आपत्ति को खारिज करते हुए प्राचार्य पदोन्नति की जारी सूची से स्टे हटाते हुए शासन के पक्ष को सही माना है।
रिटायर शिक्षक ने अपनी याचिका में ये की थी मांग-
दुर्ग के रिटायर शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी ने ई संवर्ग के प्राचार्यों की पोस्टिंग के संबंध में याचिका लगाते हुए मांग की है कि 65 परसेंट की जगह 100 परसेंट पदों पर ई संवर्ग के शिक्षकों की पोस्टिंग दी जाए। जबकि, डबल बेंच पहले ही इस पर फैसला दे चुका है कि राज्य सरकार द्वारा 65 परसेंट का तय किया कोटा सही है। जाहिर है, सरकार ने 65 परसेंट ई संवर्ग वालों के लिए और 25 परसेंट एलबी याने लोकल बॉडी वाले मर्ज किए गए कैडर के लिए रखा गया है। बाकी 10 परसेंट सीधी भर्ती से पोस्टिंग होती है। मगर डबल बेंच के फैसले के बाद फिर से 65 परसेंट पर केस लगा दी गई। रिटायर शिक्षक की याचिका पर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में सुनवाई चल रही है।
437 प्राचार्य रिटायर-
प्राचार्य पदोन्नति मामला कानूनी उलझन में फंसने का नुकसान जून तक रिटायर हो चुके 356 शिक्षकों का हुआ, जो बिना प्राचार्य की कुर्सी पर बैठ रिटायर हो गए। जुलाई का आंकड़ा देखे तो 'ई' संवर्ग के 58 व 'टी' संवर्ग के 23 शिक्षक रिटायर हो जाएंगे। याने जुलाई तक यह फिगर 437 पहुंच जाएगा। इन शिक्षकों के लिए तो कानूनी लड़ाई रोड़ा बनकर सामने आया। प्राचार्य बनने का सपना ही अधूरा रह गया है। जैसे-जैसे यह मामला आगे खिंचता चला जाएगा उसी अंदाज में लेक्चरर्स भी रिटायर होते जाएंगे। हर महीने तीन से चार दर्जन शिक्षक दोनों संवर्ग से रिटायर हो रहे हैं।
प्राचार्य विहीन स्कूल-
छत्तीसगढ़ में एक दशक से प्राचार्यों का प्रमोशन नहीं हुआ था। आलम यह था कि शिक्षकों का ग्रेडेशन लिस्ट तक तैयार नहीं हुआ था। इस वजह से प्रदेश के 3290 स्कूल प्राचार्य के बिना संचालित हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते स्कूल शिक्षा विभाग ने पहले ग्रेडेशन लिस्ट तैयार कराया, फिर प्रमोशन की प्रक्रिया निबटाई। प्राचार्य प्रमोशन का आदेश अप्रैल में निकल गया था। अगर शिक्षकों ने कोर्ट-कचहरी न की होती तो स्कूल खुलने से पहले कम-से-कम 2813 स्कूलों को रेगुलर प्राचार्य मिल जाता।
रोड़ा अटकाने का काम-
राज्य शासन ने प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए जब मापदंड व नियम बनाए तो सबसे पहले उन शिक्षकों ने रोड़ा अटकाने का काम किया जिनका नाम पदोन्नति सूची में आ ही नहीं रहा था। ऐसे एक दर्जन शिक्षकों ने पदोन्नति के लिए तय मापदंड का विरोध करते हुए याचिका दायर की।
डिवीजन बेंच ने खारिज कर दी थी याचिका, हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं ने इस तरह दिया था तर्क-
व्याख्याता से प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता की मांग की। डीएलएड और बीटीआई वाले शिक्षकों को पदोन्नति से दूर रखने की मांग की। बता दें कि राज्य शासन ने समय-समय पर शिक्षा विभाग के अन्य कैडरों के शिक्षकों का संविलियन किया है। इसमें सबसे पहले ट्राइबल और फिर उसके बाद शिक्षा कर्मियों का संविलियन किया गया। हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं ने याचिकाकर्ता शिक्षकों की याचिका में की गई मांग का विरोध करते हुए कहा कि प्राचार्य का पद पर प्रशासनिक होता है। शैक्षणिक पद नहीं है। जिसके लिए बीएड की योग्यता को अनिवार्य किया जाएगा। हस्तक्षेपकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया था कि राज्य शासन ने दो कैडरों के शिक्षकों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किया है। उनकी वरिष्ठता और योग्यता का भी ध्यान रखना होगा। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है। इसी तरह की याचिका और ऐसे ही मांग को लेकर सिंगल बेंच में प्रकाश नारायण तिवारी ने याचिका दायर की थी।
इन शिक्षकों की याचिका को डिवीजन बेंच ने किया था खारिज-
पी गलिक राव, लक्ष्मी प्रसाद रबेठ,दूज राम खरे, संजय कुमार वखारिया,रुपनारायण कुशवाहा, अनुराग त्रिवेदी, अखिलेश त्रिपाठी, आनंद प्रसाद साहू, कोमल प्रसाद साहू, पुरुषोत्तम सिंह यदु।
फैक्ट फाइल-
शिक्षा विभाग में 10 और आदिम जाति कल्याण विभाग में बीते 12 वर्षों से प्राचार्य की पदोन्नति नहीं हुई है। प्रदेश में 1897 हाई स्कूल और 2886 हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित की जा रही है। 4783 स्कूल में प्राचार्य के पास स्वीकृत है। हाई स्कूल में 1565 व हायर सेकेंडरी स्कूल में 2011 पद मिलाकर कुल 3576 स्कूलों में प्राचार्य के पद रिक्त है। मतलब साफ है कि 75 फीसदी स्कूल प्राचार्यविहीन है। 30 अप्रैल को 2813 प्राचार्य की पदोन्नति सूची जारी की गई थी। ई संवर्ग के 1478 व टी संवर्ग के 1335 लेक्चरर व हेड मास्टर को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति देते हुए सूची जारी की गई थी।