हाई कोर्ट ने राज्य शासन से पूछा, बिना टेंडर गांवों में कैसे लग गया सोलर स्ट्रीट लाइट, 18 करोड़ के वारा-न्यारा के लिए कौन है जिम्मेदार

High Court: बस्तर और सुकमा जिले के 190 गांवों में क्रेडा से बगैर अनुमति लिए डीएमएफ फंड से ग्राम पंचायतों के माध्यम से सोलर स्ट्रीट लाइट लगा दिया है। यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2021 से 2023 के बीच किया गया है। मतलब ये कि तब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार काबिज थी और डीएमएफ फंड का जमकर दुरुपयोग किया गया है। मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका के रुप में सुनवाई प्रारंभ की है। गुरुवार को अवकाश के दिन इस मामले की सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने एनर्जी सिकरेट्री से पूछा कि नियम कानून है भी या नहीं। बगैर टेंडर और विभाग की जानकारी के ऐसा कैसे हो गया। इतने बड़े सिस्टम को कोई कैसे दरकिनार कर सकता है। नाराज सीजे ने एनर्जी सिकरेट्री से पूरे मामले को लेकर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

Update: 2024-12-26 12:22 GMT

बिलासपुर। बस्तर के सुकमा और आसपास के 190 गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट फर्जीवाड़े को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने हैरानी के साथ ही नाराजगी जताई और पूछा कि क्या कोई अफसर इतने बड़े सिस्टम की हिमाकत कर सकता है। नियमों से परे जाकर ऐसा क्यों किया गया। संबंधित विभाग के पत्र और आपत्ति के बाद भी सोलर स्ट्रीट लाइट किसके कहने और अनुमति से लगाई गई है। डिवीजन बेंच ने उर्जा सचिव को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

डीएमएफ फंड का दुरुपयोग और गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाते समय क्रेडा से अनुमति ना लेने की बात पर डिवीजन बेंच ने नाराजगी जताई है। क्रेडा की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर ने डिवीजन बेंच को बताया कि जब गांवों में सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने का काम किया जा रहा था, उस वक्त विभाग ने संबंधित विभाग को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई थी। इस बात को लेकर भी विरोध दर्ज कराया था कि बगैर टेंडर यह काम क्यों किया जा रहा है। नियमों और मापदंडों के अनुरुप काम करने की बात भी कही गई थी। विभाग की आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया गया।

0 एक इंडक्शन लैंप की कीमत है तीन हजार, खरीदारी की गई है पांच से छह हजार रुपये

शासन के खजाने को किस अंदाज में चूना लगाया गया है इसका ताजा उदाहरण है कि एक इंडक्शन लैंप कीकीमत तीन हजार रुपये है। इसे पांच से छह हजार रुपये में खरीदी गई है। इसी प्रकार खंभा को भी तय कीमत से आठ से दस गुना ज्यादा कीमत पर खरीदी की गई है। पूरे काम के लिए ओपन टेंडर भी नहीं किया गया है। पूरा काम गुपचुप तरीके से क्रेडा की बगैर जानकारी और अनुमति लिए बिना ही कर दिया गया है।

0 शासन ने बताया अप्रैल में हमने पूरी कर ली थी जांच, कोर्ट ने पूछा आगे क्या किया

मामले की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसर ने कोर्ट को बताया कि शिकायत के बाद इस पूरे मामले की अप्रैल में जांच पूरी कर ली गई थी। चीफ जस्टिस ने पूछा, जांच के बाद आपने क्या किया। जांच में आपको क्या मिला। किस पर कार्रवाई की। जांच पड़ताल के बाद आगे की कार्रवाई क्यों नहीं की गई। नाराज डिवीजन बेंच ने उर्जा सचिव को इस पूरे मामले में शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

0 किस जिले में कितने का हुआ काम

बस्तर- 17.23 करोड़, सुकमा 85 लाख, जांजगीर चांपा-2.96 करोड़, कोंडागांव- 14.40 करोड़।

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