Chhattisgarh Wildlife Sanctuaries: छत्तीसगढ़ के पूरे 11 वन्यजीव अभयारण्य की जानकारी; एक क्लिक में पढ़िए पूरी रिपोर्ट

Chhattisgarh Wildlife Sanctuaries: छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, घने वनों और समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। यहाँ के जंगल केवल हरियाली का खजाना नहीं हैं, बल्कि अनेक दुर्लभ जीव-जंतुओं और पक्षियों का सुरक्षित घर भी हैं। राज्य में कई ऐसे वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries) मौजूद हैं जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यटन और शोध के लिए भी बेहद खास माने जाते हैं। आइए जानते हैं छत्तीसगढ़ के प्रमुख अभयारण्यों के बारे में विस्तार से।

Update: 2025-09-12 08:02 GMT

Chhattisgarh Wildlife Sanctuaries: छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, घने वनों और समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। यहाँ के जंगल केवल हरियाली का खजाना नहीं हैं, बल्कि अनेक दुर्लभ जीव-जंतुओं और पक्षियों का सुरक्षित घर भी हैं। राज्य में कई ऐसे वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries) मौजूद हैं जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पर्यटन और शोध के लिए भी बेहद खास माने जाते हैं। आइए जानते हैं छत्तीसगढ़ के प्रमुख अभयारण्यों के बारे में विस्तार से।

Achanakmar Wildlife Sanctuary (अचनाकमार वन्यजीव अभयारण्य)

अचनाकमार अभयारण्य मुंगेली और बिलासपुर जिले के साथ मध्यप्रदेश के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ है। लगभग 557 वर्ग किलोमीटर में फैला यह क्षेत्र 1975 में अभयारण्य घोषित हुआ और 2009 में इसे टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला। घने साल और बाँस के जंगलों से घिरा यह इलाका मनियारी नदी से जीवन पाता है। यहाँ बाघ, तेंदुआ, गौर, सांभर, चीतल, नीलगाय, जंगली कुत्ते और कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। यह इलाका कान्हा-अचनाकमार कॉरिडोर का हिस्सा है, जो बाघ संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत अहम है।

Udanti Wildlife Sanctuary (उदंती वन्यजीव अभयारण्य)

गरियाबंद जिले में स्थित उदंती अभयारण्य लगभग 237 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसे 1983 में स्थापित किया गया था। यह अभयारण्य विशेष रूप से एशियाई जंगली भैंसे (Wild Buffalo) के लिए प्रसिद्ध है, जो यहाँ की सबसे प्रमुख प्रजाति है। साल और मिश्रित पर्णपाती वन इस जगह की खूबसूरती को और बढ़ाते हैं। यहाँ गौर, तेंदुआ, हिरण, नीलगाय और अनेक प्रकार के पक्षी भी पाए जाते हैं।

Sitanadi Wildlife Sanctuary (सीतानदी वन्यजीव अभयारण्य)

सीतानदी अभयारण्य की स्थापना 1974 में हुई और यह लगभग 556 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इसका नाम सीतानदी नदी के कारण पड़ा, जो इस क्षेत्र से होकर गुजरती है। साल और मिश्रित वनों से घिरा यह इलाका भैंस, सांभर, चीतल, नीलगाय, तेंदुआ और जंगली सूअर का घर है। यह स्थान पक्षी प्रेमियों और प्रकृति पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं।

Barnawapara Wildlife Sanctuary (बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य)

रायपुर जिले के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित बारनवापारा अभयारण्य अपनी हरियाली और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। इसका नाम बार और नवापारा गांवों से लिया गया है। यहाँ टाइगर, तेंदुआ भले ही कम देखने को मिलें, लेकिन गौर, सांभर, चीतल और जंगली सूअर बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। लगभग 150 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ इसे और भी जीवंत बनाती हैं।

Tamor Pingla Wildlife Sanctuary (तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य)

तमोर पिंगला अभयारण्य सुरजपुर जिले में स्थित है और 608 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैला हुआ है। इसे 1978 में अभयारण्य घोषित किया गया था। यह स्थान अब गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर एक नए टाइगर रिजर्व का हिस्सा बनने की प्रक्रिया में है। यहाँ चीतल, सांभर, नीलगाय, तेंदुआ और कई छोटे वन्यजीव देखे जा सकते हैं।

Semarsot Wildlife Sanctuary (सेमरसोत वन्यजीव अभयारण्य)

बलरामपुर जिले में स्थित यह अभयारण्य लगभग 430 वर्ग किलोमीटर का है। इस क्षेत्र से कर्क रेखा गुजरती है, जो इसे भूगोल की दृष्टि से भी खास बनाती है। यहाँ साल के घने वन, नदियाँ और घाटियाँ हैं। चीतल, सांभर, चिंकारा, भालू, तेंदुआ और लोमड़ी यहाँ सामान्य रूप से मिलते हैं। यह स्थान अंबिकापुर से पास होने के कारण पर्यटकों के लिए आसानी से सुलभ है।

Bhairamgarh Wildlife Sanctuary (भैरमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य)

भैरमगढ़ अभयारण्य बीजापुर जिले में स्थित है और बस्तर क्षेत्र की जैव विविधता का हिस्सा है। यह मुख्यतः जंगली भैंसे के लिए जाना जाता है। इसके अलावा यहाँ हिरण, जंगली सूअर और कई अन्य वन्य जीव भी पाए जाते हैं। बस्तर क्षेत्र की भौगोलिक संरचना इसे विशिष्ट पहचान देती है।

Gomarda Wildlife Sanctuary (गोमर्दा वन्यजीव अभयारण्य)

रायगढ़ जिले के सारंगढ़ क्षेत्र में स्थित गोमर्दा अभयारण्य लगभग 275 वर्ग किलोमीटर का है। यहाँ गौर, सांभर, चीतल, जंगली सूअर और तेंदुए देखने को मिलते हैं। पक्षियों में एशियन पैराडाइज फ्लाईकैचर और व्हाइट थ्रोटेड फैंटेल जैसे सुंदर पक्षी इसे विशेष बनाते हैं। यहाँ का प्राकृतिक भूभाग ऊँचाई और पठारी क्षेत्रों का मिश्रण है, जो रोमांचक सफर प्रदान करता है।

Pamed Wildlife Sanctuary (पामेड़ वन्यजीव अभयारण्य)

दंतेवाड़ा और बीजापुर जिलों में फैला पामेड़ अभयारण्य लगभग 262 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहाँ साल और सागौन के जंगल घने रूप में पाए जाते हैं। यह स्थान भी जंगली भैंसे के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहाँ बाघ, तेंदुआ और कई पक्षी प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं।

Bhoramdeo Wildlife Sanctuary (भोरमदेव वन्यजीव अभयारण्य)

कबीरधाम जिले में स्थित भोरमदेव अभयारण्य भोरमदेव मंदिर के समीप होने के कारण धार्मिक और पर्यावरणीय दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। यहाँ साल, तेंदू और साज के वृक्ष प्रमुखता से पाए जाते हैं। बाघ, तेंदुआ, भालू, गौर और मोर यहाँ आमतौर पर देखे जा सकते हैं। इस क्षेत्र को भी टाइगर रिजर्व में बदलने की संभावनाएँ हैं।

Badalkhol Wildlife Sanctuary (बादलखोल वन्यजीव अभयारण्य)

जशपुर जिले में स्थित बादलखोल अभयारण्य लगभग 105 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है। यहाँ साल के घने जंगल और नदियों का सुंदर संगम है। यह हाथी, बाघ, तेंदुआ और जंगली कुत्तों के लिए प्रसिद्ध है। पक्षियों और सरीसृपों की विविधता इसे जैविक दृष्टि से समृद्ध बनाती है।

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