Chhattisgarh Teacher Recruitment 2024: शिक्षक भर्ती पर बड़ी खबरः सरकार पलटने जा रही कांग्रेस सरकार का फैसला, डीपीआई ने मंत्री बृजमोहन को भेजा प्रस्ताव

Chhattisgarh Teacher Recruitment 2024: छत्तीसगढ़ में 33 हजार शिक्षकों की भरती होने वाली है। विधानसभा में स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने इसका ऐलान किया है। सरकार शिक्षक भर्ती की गुणवता के लिए भर्ती शर्तों में कुछ अहम बदलाव करने जा रही है।

Update: 2024-02-20 14:03 GMT

Chhattisgarh Teacher Recruitment 2024: रायपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की बड़ी भरती होने जा रही है। राज्य बनने के बाद पहली बार 33 हजार से अधिक शिक्षकों की भर्ती होगी। इनमें सहायक शिक्षक से लेकर शिक्षक, व्याख्याता के पद शामिल हैं। इससे पहले भूपेश बघेल सरकार ने 12489 शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। इनमें से कुछ अभी काउंसलिंग की प्रक्रिया में है। करीब 642 पद इस चक्कर में फंस गया है कि डीपीआई ने शिक्षक ई संवंर्ग के लिए रिक्त पदों का प्रस्ताव तैयार किया था, उसमें बड़ी चूक कर दी। पदों की संख्या 642 ज्यादा कर दिया। अब पद ही नहीं है, तो भरती कैसे होगी। नई सरकार बदलने के बाद इस पर विचार किया जा रहा था कि उसे शिक्षक टी में कंवर्ट कर दिया जाए। मगर अभी इस पर कुछ फायनल फैसला नहीं हुआ है।

बहरहाल, बीजेपी की नई सरकार ने 33 हजार से अधिक पद भरने का फैसला किया है। लोकसभा चुनाव का ऐलान होने से पहले स्कूल शिक्षा विभाग भर्ती का विज्ञापन जारी कर देगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग में युद्ध स्तर पर तैयारी की जा रही है।

विषय बाध्यता अनिवार्य

कांग्रेस सरकार ने शिक्षकों की भर्ती में विषय बाध्यता समाप्त कर दिया था। याने कला संकाय वाले भी शिक्षक सलेक्ट हो गए। और आठवीं तक के छात्रों को गणित और विज्ञान पढ़ा रहे थे। इससे शिक्षा की गुणवता को बड़ा नुकसान पहुंचा। शिक्षाविदों का मानना था कि इस फैसले से छत्तीसगढ़ का मानव संसाधन खतम हो जाता। क्योंकि आठवीं तक की शिक्षा एजुकेशन का आधार होता है। और यदि कला संकाय वाले शिक्षक, जो आर्ट्स से स्नातक हैं, वे भला गणित और विज्ञान क्या पढ़ा पाएंगे। पुराने जमाने का अब गणित और साइंस रहा नहीं। बृजमोहन अग्रवाल ने स्कूल शिक्षा मंत्रालय संभाला तो उन्हें इसकी जानकारी मिली। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि शिक्षा की गुणवता बहाल करने के लिए विषय की अनिवार्यता की शर्त रखी जाए। मंत्री के निर्देश पर डीपीआई से इसका प्रस्ताव भेज दिया गया है। इस पर कभी भी फैसला हो सकता है। सूत्रों का कहना है कि विषय बाध्यता का निर्णय जल्दी इसलिए होगा क्योंकि लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता प्रभावशील होने से पहले भर्ती का विज्ञापन जारी किया जाना है। और बिना इसके किया गया तो फिर बिना विषय बाध्यता की भर्ती करनी पड़ेगी।

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