Chhattisgarh IAS Transfer 2024: IAS नीलेश क्षीरसागर बनाए गए कांकेर के कलेक्टर, तीन आईएएस अधिकारियों को नई पोस्टिंग, देखिए आदेश

Chhattisgarh IAS Transfer 2024: छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के बाद प्रशासनिक तबादले शुरू हो गए हैं। आज तीन आईएएस अधिकारियों की पहली लिस्ट निकली।

Update: 2024-06-07 07:12 GMT

Chhattisgarh IAS Transfer 2024: रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने आज तीन आईएएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया है। इनमें से कांकेर कलेक्टर अभिजीत सिंह को सरकार ने वापिस बुला लिया है। उन्हें मंत्रालय में गृह और जेल विभाग का स्पेशल सिकरेट्री बनाया गया है। अभिजीत पहले भी गृह विभाग में पोस्टेड रह चुके हैं। उनकी जगह पर एडिशनल सीईओ नीलेश श्रीरसागर को कांकेर का नया कलेक्टर बनाया गया है। नीलेश 2011 बैच के आईएएस हैं। जशपुर, गरियाबंद और महासमुद जिले का कलेक्टर रहने के बाद उन्हें पिछले विधानसभा चुनाव से पहले मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय में पोस्ट किया गया था। उधर, 2021 बैच के आईएएस वासु जैन को सारंगढ़ एसडीएम से वापिसल बुलाकर उन्हें मंत्रालय में योजना और सांख्यिकी विभाग में अवर सचिव बनाया गया है। देखिए राज्य सरकार का आदेश...



 

जानिए कौन है छत्तीसगढ़ कैडर के आईएएस निलेश कुमार क्षीरसागर?

एनपीजी। निलेश कुमार क्षीरसागर छत्तीसगढ़ कैडर के 2011 बैच के आईएएस हैं। वे पूर्व में महाराष्ट्र में डिप्टी कलेक्टर भी रह चुके है। बीएएमएस के अलावा दो विषय में एमए भी कर चुके है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी है। आइए जानते है उनके बारे में...

जन्म और शिक्षा:

आईएएस निलेश क्षीरसागर छत्तीसगढ़ कैडर के 2011 बैच के आईएएस है। वे मूलतः महाराष्ट्र के पुणे जिले के रहने वाले है। पुणे से 30 किलोमीटर दूर इनका गांव चाकन है। जहां उनका 29 जनवरी 1984 को जन्म हुआ। उनके माता–पिता शिक्षक थे। माता-पिता की नौकरी के चलते पूरे से 35 किलोमीटर दूर स्थित गांव शिकरापुर में सरकारी स्कूल में निलेश क्षीर सागर की पहली से लेकर चौथी तक की पढ़ाई हुई। चौथी के बाद महाराष्ट्र के चर्चित प्रबोधिनी स्कूल से पढ़े। प्रबोधिनी स्कूल में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा होती है। जिसे महाराष्ट्र के सारे बच्चे दिलाते हैं। यह प्रवेश परीक्षा निलेश के जीवन की पहली परीक्षा थी। बारहवीं तक की पढ़ाई निलेश ने यही की।

दसवीं के बाद निलेश ने 11वीं 12वीं में फिजिक्स केमिस्ट्री मैथ्स विषय लिए थे। शिक्षक पिता की सलाह के चलते बायो भी एडीशनल सब्जेक्ट के तौर पर निलेश से लेकर 12वीं उत्तीर्ण की। 12वीं के बाद निलेश ने मुख्य विषय गणित होने के बावजूद भी इंजीनियरिंग नहीं की बल्कि एमबीबीएस के लिए प्रवेश परीक्षा दिलाई। पर उन्हें सरकारी कॉलेज में एमबीबीएस में प्रवेश नहीं मिला। उन्हें प्राइवेट कॉलेज में एमबीबीएस मिल रहा था। पर निलेश को सरकारी कॉलेज से ही पढ़ना था। इसलिए उन्होंने सरकारी कॉलेज से बीएएमएस किया। बीएएमएस के बाद में वे यूपीएससी की तैयारियों में जुट गए।

निलेश ने इंदिरा कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट से एमबीए भी किया है। राजनीति विज्ञान में पुणे के तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ से एमए भी किया है। पब्लिक पॉलिसी में एमए भी किया है।

यूपीएससी की तैयारी के लिए निलेश दिल्ली जाना चाहते थे। पर उस समय उनकी बहन की पढ़ाई में भी पैसे खर्च हो रहे थे। आर्थिक दिक्कतों के चलते उन्होंने घर पर ही रह कर यूपीएससी की तैयारी का फैसला किया। इस बीच महाराष्ट्र पीएससी भी दिलाई। प्रथम प्रयास में ही निलेश ने महाराष्ट्र पीएससी में चौथा रैंक हासिल किया और डिप्टी कलेक्टर के पद के लिए चयनित हुए। डिप्टी कलेक्टर रहते रहते उन्होंने यूपीएससी का भी प्रथम प्रयास दिलाया। अपने पहले ही प्रयास में 78 वीं रैंक हासिल कर वे आईएएस के लिए चयनित हुए।

जीवन साथी:

निलेश क्षीरसागर ने डॉक्टर पल्लवी से शादी की है। उनकी लव मैरिज हुई है। पल्लवी उसी कॉलेज में उनकी एक साल जूनियर थी जहां से निलेश बीएएमएस कर रहे थे। निलेश के समाज व ग्रामीण परिदृश्य में लड़कियों की पढ़ाई खत्म होने के बाद तुरंत शादी करवा दी जाती थी। निलेश की शादी के समय जॉब नहीं लगी थी। निलेश के घर वाले पल्लवी और नीलेश के रिश्ते के बारे में तो जानते थे पर पल्लवी के घर में सिर्फ उनकी मां को इस बारे में पता था। एक तरह से दोनों की लव कम अरेंज मेरिज थी।

दोनों के रिश्ते की बात चली तो नीलेश के पास नौकरी तो नहीं थी पर उनके माता-पिता के शिक्षक की नौकरी व खेती-बाड़ी को देखते हुए निलेश से शादी के लिए पल्लवी के घरवाले तैयार हो गए इस तरह से दोनों की शादी हुई। निलेश के लिए पल्लवी लकी भी साबित हुई। शादी के तीन से चार महीनों के अंदर ही निलेश का पीएससी में सलेक्शन हो गया। फिर प्रथम प्रयास में यूपीएससी भी निकला।

प्रोफेशनल कैरियर:

प्रथम प्रयास में निलेश ने महाराष्ट्र पीएससी चौथा रैंक प्राप्त कर निकाला। डिप्टी कलेक्टर के पद पर काम करते-करते यूपीएससी भी अपने प्रथम प्रयास में 78वें रैंक के साथ निकाला। छत्तीसगढ़ कैडर मिलने के बाद उनकी पहली पोस्टिंग राजनंदगांव जिले में सहायक कलेक्टर के रूप में हुई। राजनांदगांव के बाद में वे रायगढ़ के एसडीएम बने। फिर रायपुर के जिला पंचायत सीईओ बने।बतौर कलेक्टर पहली पोस्टिंग उनकी जशपुर में हुई। जहां उन्होंने अपने इनोवेटिव आइडिया से जशपुर में पदस्थ रहते हुए पर्यटन, शिक्षा, चाय बागान ट्राइबल टूरिज्म के साथ स्पोर्ट्स के क्षेत्र में काफी काम किया। जशपुर के बाद में गरियाबंद के कलेक्टर रहे फिर महासमुंद के कलेक्टर रहे। वर्तमान में वे छत्तीसगढ़ के संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी है।

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