Chhattisgarh Holiday News: 9 दिन में सिर्फ 2 वर्किंग डे, 7 दिन छुट्टी: ऐसे में कैसे आएगा सुशासन, क्या होगा विज़न डॉक्यूमेंट का?...

Chhattisgarh Holiday News: छत्तीसगढ़ में फाइव डे के बाद लगातार छुट्टियों से सरकार के कामकाज पर बड़ा ख़राब असर पड़ रहा है। बीते शनिवार से लेकर अगले रविवार तक 9 दिन में दो दिन ही काम होगा। मंत्रालय से लेकर पूरा सरकारी सिस्टम इस दौरान ठप्प रहेगा। कल तीजा मनाएंगे, फिर गणेश जी की पूजा करेंगे, फिर अगले दिन नवा खाई मनाएंगे। सवाल उठता है, सरकारी मुलाजिम फिर काम कब करेंगे? महिलाओं का व्रत तीजा में पुरुषों छुट्टी का क्या मतलब? पिछली सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को भरपूर छुट्टियां और सुविधाएं दी थी। समय- समय पर डीए के साथ पांच दिन का वर्किंग डे भी। नतीजा यह हुआ कि जनता छुट्टियों से परेशान रही और सुविधाएं देने वाली सरकार को ही सरकारी कर्मचारियों ने चुनाव में पलट दिया।

Update: 2025-08-25 14:22 GMT

Chhattisgarh Holiday News: रायपुर। छुट्टियों के गणित में तेज कर्मचारी यदि 25 अगस्त और 29 अगस्त को छुट्टी का आवेदन देते हैं तो उन्हें पूरे नौ दिनों का अवकाश मिल जाएगा। ज्यादातर ऑफिसों में आज यह हुआ भी है। इस सप्ताह केवल दो दिन 25 और 27 अगस्त यानी सोमवार और शुक्रवार को ही सरकारी ऑफिस खुलेंगे। इधर 26 अगस्त को हरतालिका तीज, 27 को गणेश चतुर्थी और 28 को नुवाखाई का अवकाश घोषित है। इसके अगले दिन 29 अगस्त शुक्रवार को ऑफिस खुलेंगे और फिर शनिवार- रविवार अवकाश है। इस तरह बीते शनिवार से इस रविवार तक देखें तो पूरे नौ दिनों तक कर्मचारियों की मौज है।

छत्तीसगढ़ में सरकारी छुट्टियों की संख्या पर कभी गंभीरता से मंथन नहीं होता। छुट्टियों की उपयोगिता भी नहीं देखी जाती है। जबकि भाजपा सरकार ने सुशासन का संकल्प लिया है, मगर सरकारी ऑफिसों पर यह प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो पा रहा है। हाल ही में चर्चा थी कि पांच दिनी वर्किंग डे को खत्म कर केवल दूसरे और तीसरे शनिवार को अवकाश पर विचार किया जा रहा है, यह बात आते ही गायब हो गई। इधर हाल यह है कि हर सोमवार को दोपहर तक तो ऑफिस का काम सरकना शुरू हो पाता है। फिर सोम और मंगल सरकारी बैठकों में निकल जाते हैं। किसी तरह शुक्रवार आता है तो दूसरे हाफ से ही ऑफिसों में घर जाने का माहौल बनने लगता है और चार बजते- बजते रवानगी शुरू हो जाती है। ऐसे में जिन लोगों को सरकारी ऑफिस में काम पड़ता है, उनके चक्कर काट- काट कर जूते घिस जाते हैं।

हाल की छुट्टियों को देखें तो तीजा का त्यौहार केवल महिलाओं का होता है और ज्यादातर महिलाएं मायके चली जाती हैं। ऐसे में पुरुष को अवकाश देने की क्या जरुरत? इसी तरह नुवाखाई के अवकाश पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं, क्योंकि यह ओडिशा का त्यौहार है। सामान्य प्रशासन विभाग में कभी छुट्टियों के औचित्य पर विचार नहीं किया जाता है। छत्तीसगढ़ में हलषष्ठी व्रत लगभग हर घर में मनाया जाता है, मगर इसका अवकाश नहीं दिया जाता। इसी तरह कुछ त्यौहारों से केवल महिलाओं का वास्ता है, तो फिर उन अवकाशों को ऐच्छिक की सूची में क्यों नहीं डाल दिया जाता?

कर्मचारी के हित साधने वाली सरकारें भी गिरीं

राज्य बनने के बाद सरकारी कर्मचारियों के हित में कई फैसले हुए हैं। रमन सरकार ने पंद्रह साल तक काफी सुविधा दी थी, चुनाव से पहले उन्होंने संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का आश्वासन दिया था। भूपेश सरकार आयी तो शिक्षा कर्मियों सहित संविदा को नियमित किया गया, मगर दोनों सरकार चली गईं। अब भाजपा की सरकार ने भी कर्मचारी हित में कई फैसले लिए हैं और इनमें से एक छुट्टियां भी हैं। देखना होगा कि क्या वर्तमान सरकार कम से कम छुट्टियों के मामले में कोई कमेटी बनवा कर अध्ययन करवा कर रिपोर्ट मांगती है?

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