Chhattisgarh Crime News: मासूम के दुष्कर्मी को पुलिस इसलिए बचा रही? पीड़िता के वकील ने NPG न्यूज से किया बड़ा खुलासा, जानिये पुलिस ने पास्को एक्ट की कैसे उड़़ाई धज्जियां?

Chhattisgarh Crime News: भिलाई के प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल में मासूम के साथ दुष्कर्म की घटना संज्ञान में आने के बाद पुलिस इसलिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही क्योंकि, वहां छत्तीसगढ़ के कई आईएएस, आईपीएस अफसरों के साथ नामी-गिरामी लोगों सफेदपोश लोगों के बच्चे पढ़ते हैं। अलबत्ता, पुलिस कार्रवाई करने की बजाए मीडिया पर दोषारोपण करने में पूरी उर्जा लगा दे रही। जबकि, पास्को एक्ट में सबसे पहले एफआईआर दर्ज किया जाता है, साक्ष्य नहीं मांगा जाता और न ही किसी पर आरोप-प्रत्यारोप किया जाता।

Update: 2024-07-31 15:29 GMT

Chhattisgarh Crime News: रायपुर। दुर्ग पुलिस वाकई कमाल का काम कर रही है....मासूम के साथ दुष्कर्म करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाए पूरी उर्जा इस बात पर लगा दी है कि मीडिया नाहक मामले को तूल दे रहा, घटना का कोई आधार नहीं है। जबकि, पास्को एक्ट में स्पष्ट है कि ऐसी घटना सुनने में आए तो पुलिस को आरोप-प्रत्यारोप से पहले अपराध दर्ज करना चाहिए। फिर पुलिस हो या वकील, डॉक्टर या आम आदमी...अगर किसी बच्ची के साथ दुष्कर्म या छेड़छाड़ की घटना अगर सुनने में भी आई और आपने थाने में रिपार्ट दर्ज नहीं कराई तो आप भी दोषी होगे और आजीवन कारावास की सजा भोगना पड़ेगा। महिला कलेक्टर होने के बाद भी दुष्कर्म पीड़िता मासूम को न्याय नहीं, पास्को एक्ट में पुलिस खुद करा सकती है FIR दर्ज, सोशल मीडिया में तीखे कमेंट्स...

बचाने वाले को भी आजीवन कारावास

कांकेर के झलियामारी में ऐसा ही हुआ था। आदिवासी छात्रावास की बच्चियां जिला शिक्षा अधिकारी के पास फरियाद लेकर गई थीं। अफसर ने उन्हें अनसूना कर दिया। लिहाजा, बवाल मचने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज हुआ और डीईओ को आज तक जमानत नहीं मिली। जबकि, उसका कसूर सिर्फ यही था कि उसने बच्चियों के आरोपों पर ध्यान नहीं दिया। छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित प्रायवेट स्कूल में 5 साल की मासूम से हैवानियत, उठते सवाल...कार्रवाई करने में पुलिस के क्यों कांप रहे हाथ?...

पीड़िता के वकील ने एनपीजी न्यूज से कहा...

दुर्ग पुलिस के मीडिया पर एजेंडा चलाए जाने का इल्जाम लगाए जाने पर एनपीजी न्यूज ने पीड़िता के वकील से बात की। पास्को एक्ट के तहत वकील का नाम नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि पीड़िता के परिजन उनके पास आए थे। वे चाहते थे कि कोई थर्ड व्यक्ति इसकी शिकायत करें। वे इसलिए सामने नहीं आना चाह रहे थे कि समाज में बदनामी होगी। पीड़िता के चाचा ने उन्हें फोन किया और मदद मांगी। इसका स्क्रीन शॉट और कॉल रिकार्ड एनपीजी न्यूज के पास है। वकील ने वकालतनामा भी तैयार कर लिया था। मगर अगले दिन पीड़िता के परिजन दौड़ते-भागते रात करीब 10 बजे वकील के घर पहुंचे। और कहा कि वकील साब प्लीज वकालतनामा दे दीजिए...हम अब केस नहीं कराना चाहते। वकील भी परिजनों के बदले रुख से हतप्रभ रह गए।

पुलिस से फरियाद का साक्ष्य भी

पीडिता के परिजन एक जनप्रतिनिधि के साथ पुलिस के एक सीनियर अफसर के पास गए थे। अफसर ने इसके बाद एक एडिशनल एसपी को दुष्कर्म पब्लिक स्कूल भेजा। परिजन पुलिस अधिकारी से मिलने गए, उसके साक्ष्य भी हैं।

मेडिकल रिपोर्ट

5 जुलाई की घटना के बाद मासूम के परिजन डॉक्टर के पास गए थे। महिला डॉक्टर ने प्रिस्क्रिप्शन में लिखा है कि बच्ची के प्रायवेट पार्ट में स्क्रेच, ब्लीडिंग और व्हाइट डिस्चार्ज है। कायदे से किसी बच्ची के साथ छेड़छाड़ की घटना का अंदेशा होता है तो पास्को एक्ट के तहत डॉक्टर को तुरंत पुलिस को इंफर्म करना होगा। मगर महिला डॉक्टर ने ऐसा क्यों नहीं किया...यह सवालो के घेरे में है। चार पेज का डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन एनपीजी न्यूज के पास है और इस प्रिस्क्रिप्शन से पुलिस भी अनभिज्ञ नहीं है। मगर कार्रवाई न करने के सौ बहाने।

स्कूल ने आया को नौकरी से निकाल दिया

दुर्ग पुलिस ने कल प्रेस नोट जारी कर एक तरफ मीडिया की खबरों को सिरे से खारिज करते हुए ये भी बताने का प्रयास किया कि साक्ष्य मिलेगा तो कार्रवाई होगी। प्रेस नोट में लिखा है कि मीडिया समेत जिस किसी को भी साक्ष्य मिले, वे बताए। इसका आशय यह दिखाना है कि वह कार्रवाई करना चाह रही मगर उसके पास साक्ष्य नहीं है। जबकि, पास्को एक्ट में साक्ष्य की जरूरत ही नहीं। फिर पुलिस मासूम के दरिंदों के खिलाफ ईमानदारी से एक्शन लेना चाहती तो वकील से लेकर डॉक्टर के बयान पर एफआईआर दर्ज कर सकती थी, जैसा कि पास्को एक्ट में प्रावधान है। और सबसे बड़ा सवाल...स्कूल प्रबंधन ने आया को स्कूल से निकाल दिया तो इस लाइन पर पुलिस ने जांच क्यों नहीं की। बिना किसी कसूर के स्कूल प्रबंधन आया को कैसे निकाल सकता है।

सवाल मासूम के परिजन डर क्यों गए?

पीड़िता मासूम के परिजन बड़े बिजनेसमैन हैं। उन्होंने पुलिस से लेकर विधायक और वकील तक फरियाद की। उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि परिजन चाहते थे कि बिना किसी हंगामे के चुपचाप पुलिस जांच करके कार्रवाई करें, ताकि उनकी और बच्ची की प्रतिष्ठा पर कोई आंच नहीं आए। इसके बाद आश्चर्यजनक ढंग से परिजन बैकफुट पर चले गए। क्या इस बात की जांच नहीं होनी चाहिए कि ऐसा कौन सा प्रेशर उनके उपर पड़ा कि परिजन डर गए? बता दें, दुष्कर्म पब्लिक स्कूल में छत्तीसगढ़ के बड़े-बड़े लोगों के बच्चे पढते हैं। कहीं परिजनों के बिजनेस या काम-धंधे से जुड़ा कोई प्रेशन तो नहीं पड़ा? दरअसल, परिजन दूसरे राज्य के हैं, भिलाई में उनका कामधाम है।

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