Chhattisgarh BJP: बड़ी खबर: दिल्‍ली से आया संदेश, इस तारीख को जारी होगी बीजेपी प्रत्‍याशियों की दूसरी सूची

Chhattisgarh BJP: छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारी के मामले में भाजपा लगातार बढ़त बनाए हुए है। पार्टी अब तक 90 में से 21 सीटों के लिए अपने प्रत्‍याशियों की घोषणा कर चुकी है।

Update: 2023-09-11 10:13 GMT

Rajasthan BJP 

Chhattisgarh BJP: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्‍याशियों की दूसरी सूची भी जल्‍द जारी हो सकती है। राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व की तरफ से इसके संकेत मिल गए हैं।

पार्टी नेताओं के अनुसार 13 सितंबर को दिल्‍ली में भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक प्रस्‍तावित की गई है। इस बैठक में प्रधानमंत्री भी मौजूद रहेंगे। बताया जा रहा है कि इस बैठक में छत्‍तीसगढ़ सहित पांचों चुनावी राज्‍यों यानी मध्‍य प्रदेश, राजस्‍थान, तेलंगाना और मिजोरम को लेकर चर्चा होगी। सूत्र बता रहे हैं कि इस बैठक के बाद छत्‍तीसगढ़ के लिए 20 और प्रत्‍याशियों के नामों की घोषणा हो सकती है।

दिल्‍ली में होने वाली इस बड़ी बैठक से एक दिन पहले 12 सितंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्‍तीगसढ़ आ रहे हैं। शाह यहां दंतेवाड़ा में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा को झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। वहीं बैठक के दूसरे दिन 14 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्‍तीसगढ़ के दौरे पर आ रहे हैं। मोदी की रायगढ़ में सभा होगी।

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रायपुर। भाजपा के 21 प्रत्‍याशियों में चार पहले विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। बाकी ज्‍यादातर प्रत्‍याशी नगरीय निकाय या पंचायत स्‍तर तक ही चुनाव लड़े हैं। इनमें बस्‍तर प्रत्‍याशी मनीराम कश्‍यप इसी सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक लखेश्‍वर बघेल के रिश्‍तेदार हैं। नाम की घोषणा होने के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए मनीराम ने खुद यह बात बताई। उन्‍होंने बताया कि लखेश्वर बघेल मेरे बड़े भैया हैं। उनके छोटे भाई मेरे साढ़ू भाई हैं, लेकिन रिश्तेदारी अपनी जगह है। राजनीति और चुनाव लड़ना यह अपनी जगह है। आगे पढ़ने के लिए यहां क्‍लीक करें

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रायपुर। छत्‍तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Election 2023) के लिए भाजपा ने आज प्रत्‍याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। भाजपा ने इस सूची में 21 सीटों के लिए प्रत्‍याशियों के नाम की घोषणा की है। इनमें से एक भी सीट भाजपा 2018 के चुनाव में जीत नहीं पाई थी। इस पहली सूची भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग साफ देखी जा सकती है। 21 में से 11 आरक्षित सीटे हैं, जबकि 10 सामान्‍य सीट हैं। 10 सामान्‍य सीटों में से ज्‍यादातर पर पार्टी ने ओबीसी को टिकट दिया है। केवल एक सीट सामान्‍य वर्ग के हिस्‍से में गई है, जबकि सामान्‍य सीट पर आदिवासी को टिकट दिया गया है। इन सबके बीच पार्टी ने कुछ दिग्‍गज नेताओं की टिकट काट दी है। आगे पढ़ने के लिए यहां क्‍लीक करें

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रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के लिए अपने 21 प्रत्‍याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। इन 21 नामों में एक नाम ऐसा है जिसे देखकर न केवल बीजेपी के कार्यकर्ता बल्कि पार्टी की रीति-नीति को समझाने वाले भी चौक गए। यही वजह है कि पार्टी के इस फैसला का संगठन के अंदर और बाहर दोनों तरफ से विरोध हो रहा है। पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थक कह रहे हैं कि पार्टी ने ये क्‍या कर दिया और फैसला बदलने की मांग कर रहे हैं। ज्ञापन सौंपने से लेकर विरोध प्रदर्शन का भी दौर चल रहा है। आलम यह है कि कार्यकर्ता और समर्थक फैसला न बदलने की स्थिति पार्टी को खामियाजा भुगतने की चेतावनी दे रहे हैं। हालांकि, सरगुजा बीजेपी के एक सीनियर नेता ने पार्टी के इस फैसले की वकालत करते हुए कहा कि प्रबोध मिंज की छबि अच्छी है...उससे सीतापुर जैसे दूसरे सीटों पर लाभ मिलेगा। मगर वे इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि रायगढ़, जशपुर और बस्तर में मिशनरीज के साथ आदिवासियों का जो द्वंद्व चल रहा, उसमें बीजेपी का क्या स्टैंड रहेगा।

बहरहाल, मामला जशपुर जिला की लुंड्रा विधानसभा सीट का है। वहां से पार्टी ने प्रबोध मिंज को प्रत्‍याशी घोषित किया है। मसीही समाज से आने वाले मिंज अंबिकापुर नगर निगम के दो बार मेयर रहे हैं। उनकी गिनती क्षेत्र के बड़े जनाधार वाले नेताओं में होती है। इसके बावजूद न केवल पार्टी के कार्यकर्ता बल्कि समर्थक भी उन्‍हें प्रत्‍याशी बनाए जाने का खुलकर विरोध कर रहे हैं। इसी विरोध की आग की आंच को भांपने पार्टी के प्रभारी ओम माथुर, सह प्रभारी नीतीन नबीन और प्रदेश अध्‍यक्ष अरुण साव तीन दिन पहले जशुपर पहुंचे थे। सूत्र बता रहे हैं कि माथुर ने जिला संगठन से मिंज के विरोध को लेकर फिडबैक लिया है।

इस वजह से विरोध

एक तरफ घर वापसी और दूसरी तरफ टिकटबीजेपी के नेता कह रहे हैं कि एक तरफ पार्टी धर्म बदल चुके आदिवासियों की फिर से हिंदु धर्म में लाने के लिए घर वापसी अभियान चला रही है, दूसरी तरफ मसीह समाज को टिकट देकर उनका मनोबल बढ़ा रही है। बताते चले कि सरगुजा संभाग का जशपुर जिला दिलीप सिंह जूदेव का क्षेत्र है। जूदेव ने अपने घर वापसी अभियान की शुरुआत इसी क्षेत्र से की थी। उनके बाद अब जूदेव के बेटे प्रबलप्रताप सिंह और पूर्व मंत्री गणेश राम भगत ने इसकी कमान संभाल रखी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार जशपुर क्षेत्र में बीजेपी की पूरी राजनीति चर्च के विरोध पर टिकी हुई है।

सरगुजा से बस्‍तर तक विरोध

बीजेपी धर्म की रक्षा के नाम पर सरगुजा से लेकर बस्‍तर तक मिशनरी के खिलाफ खड़ी रहती है। पार्टी के नेताओं के अनुसार इसका असर यह हुआ है कि आदिवासी अब अपने धर्म के प्रति जागरुक हुआ हैं। बस्‍तर संभाग में अलग-अलग जिलों में इसका असर भी दिख रहा है। सरगुजा संभाग में पत्‍थगड़ी और बड़े पैमाने पर आदिवासियों की हिंदु धर्म में वापसी हो रही है। सवाल यह हो रहा है कि ऐसे में पार्टी एक सीट के चक्कर में अपनी रीति-नीति से समझौता कैसे कर सकती है।

29 सीटों पर असर

2018 के विधानसभा चुनाव के बाद बस्तर के आदिवासी इलाकों में पिछले दो सालों से बीजेपी का प्रभाव बढ़ा है, इसकी एक बडी वजह धर्मांतरण से आदिवासियों में उपजी नाराजगी भी है। राजनीतिक विश्‍लेषकों की राय में लुंड्रा में हो रहे प्रत्‍याशी के विरोध का मामला यदि बीजेपी सही तरीके ने हैंड नहीं कर पाई तो इसका सीधा असर आदिवासी (एसटी) आरक्षित सभी 29 सीटों पर पड़ सकता है। इसके अलावे 15 से 20 सीटों पर आदिवासियों की संख्या अच्छी खासी है। वैसे भी 2018 के विधानसभा चुनाव में एसटी सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन अच्‍छा नहीं रहा था। 29 में से बीजेपी केवल 3 ही एसटी आरक्षित सीट जीत पाई थी। इनमें रामपुर, बिंद्रानवागढ़ और दंतेवाड़ा शामिल है। इनमें से भी दंतेवाड़ा सीट उपचुनाव में पार्टी हार गई।


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