BJP's social engineering in ticket भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग: 21 प्रत्याशियों में केवल एक सामान्य वर्ग का, 4 साहू, 2 कुर्मी और एक देवांगन, कई दिग्गजों की टिकट कटी
BJP's social engineering in ticket: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन के मामले में भाजपा ने बढ़त बना ली है। पार्टी ने चुनाव से दो-ढाई महीने पहले ही अपने 21 प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है।
- भाजपा ने कुल 21 सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की है
- 21 में से 10 सीट अनुसूचित जनजाति आरक्षित है, 01 एससी
- 10 सामान्य सीटों पर ओबीसी को मिला तवज्जो
- पूर्व गृहमंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पैकरा सहित कई की टिकट काट दी है
- अभनपुर से दिग्गज नेता चंप्पू साहू की भी टिकट कटी
- 2018 में हारे केवल एक प्रत्याशी को इस बार मिला टिकट
- 21 प्रत्याशियों की सूची में पांच महिलाओं का नाम शामिल है
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Assembly Election 2023) के लिए भाजपा ने आज प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी है। भाजपा ने इस सूची में 21 सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम की घोषणा की है। इनमें से एक भी सीट भाजपा 2018 के चुनाव में जीत नहीं पाई थी। इस पहली सूची भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग साफ देखी जा सकती है। 21 में से 11 आरक्षित सीटे हैं, जबकि 10 सामान्य सीट हैं। 10 सामान्य सीटों में से ज्यादातर पर पार्टी ने ओबीसी को टिकट दिया है। केवल एक सीट सामान्य वर्ग के हिस्से में गई है, जबकि सामान्य सीट पर आदिवासी को टिकट दिया गया है। इन सबके बीच पार्टी ने कुछ दिग्गज नेताओं की टिकट काट दी है।
BJP's social engineering in ticket ज्यादातर नए चेहरे, इन दो सीटों पर कटी टिकट
भाजपा ने 21 में से ज्यादातर सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया। राज्य के पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा की टिकट काट दी गई है। पैकरा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रतापपुर सीट से चुनाव लड़ते रहे हैं। 2018 में भी उन्होंने इसी सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। वहीं, अभनपुर से पार्टी ने चंद्रशेखर साहू ऊर्फ चंप्पू का टिकट काट दिया है। चंप्पू अभनपुर सीट का कई बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं वे राज्य के कृषि मंत्री और वित्त आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, पाटन सीट से विजय बघेल पर पार्टी ने फिर दांव खेला है। मोहला मानपुर सीट से प्रत्याशी बनाए गए संजीव शाहा 2003 में चौकी सीट से विधायक चुने गए थे। वहीं, श्रवण मरकाम भी सिहावा सीट से विधायक रह चुके हैं।
पिछीले चुनाव में हार का सामना करने वाले एक प्रत्याशी को फिर से टिकट BJP's social engineering in ticket
21 सीटों में केवल एक को छोड़कर किसी भी सीट पर 2018 में चुनाव लड़ चुके किसी भी प्रत्याशी को टिकट नहीं दिया गया है। इस सूची में एक मात्र लखन लाल देवांगन ऐसे हैं जो 2018 में चुनाव हारे थे, इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें इस बार प्रत्याशी बनाया है। देवांगन को 2018 में कटघोरा सीट से टिकट दिया गया था, 2013 में वे इसी सीट से विधायक चुने गए थे। इस बार उन्हें कोरबा से कांग्रेस के विधायक और मंत्री जयसिंह अग्रवाल के खिलाफ टिकट दिया है। पुराने विधायकों में रामविचार नेतामा का भी शामिल है। नेताम रमन सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं। नेताम 2003 और 2008 का चुनाव जीते थे। 2013 में वे रामानुजगंज सीट से हार गए थे।
BJP's social engineering in ticket पूर्व विधायकों का भी पत्ता साफ
भाजपा प्रत्याशियों की सूची में विजय बघेल, रामविचार नेताम और लखनलाल देवांगन के अलावा किसी भी पूर्व विधायक या पूर्व प्रत्याशी का नाम नहीं है। भटगांव से रजनी त्रिपाठी का पत्ता साफ कर दिया है। वे भाठागांव के पूर्व विधायक रविशंकर त्रिपाठी की पत्नी हैं। इसी सीट से एक बार विधायक चुनी जा चुकी हैं। 2013 में भी पार्टी ने उन्हें टिकट दिया था। प्रतापुर से रामसेवक पैकरा का टिकट कट गया है। अभनपुर से चंद्रशेखर साहू और सिहावा से पिंकी शाह का टिकट काट दिया गया है। दोनों पूर्व विधायक हैं। इसी तरह खैरागढ़ से विधायक रहे कोमल जंघेल और बस्तर से विधायक रहे डॉ. सुभाऊ कश्यप को भी इस बार टिकट नहीं दिया गया है।
ओपी को रायगढ़ से टिकट दिए जाने की चर्चा BJP's social engineering in ticket
आईएएस की नौकरी छोड़ कर राजनीति में आए ओपी चौधरी को पिछली बार खरसिया सीट से चुनाव लड़ाया गया था। खरसिया कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ है इसके बावजूद चौधरी ने कड़ी टक्कर दी थी। इस बार पार्टी ने वहां से महेश साहू का टिकट फाइनल कर दिया है। ऐसे में चर्चा यह है कि चौधरी की टिकट काट दी गई है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि चौधरी को पार्टी इस बार रायगढ़ या अन्य किसी सामान्य सीट से टिकट देगी।
पाटन में फिर बघेल वर्सेस बघेल
भाजपा ने पाटन से विजय बघेल को मैदान में उतारा है। विजय अभी दुर्ग से सांसद हैं। विजय बघेल ने 2008 में इसी सीट से भूपेश बघेल को मात दी थी। यह पहला मौका था, जब भूपेश बघेल को हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2013 में हुए विधानसभा चुना में विजय बघेल को फिर भूपेश बघेल ने हरा दिया था।
केवल एक सामन्य वर्ग का उम्मीदवार
भाजपा प्रत्याशियों की सूची में केवल एक नाम सामान्य वर्ग से है। वह नाम है विक्रांत सिंह। विक्रांत को खैरागढ़ सीट से टिकट दिया गया है। विक्रम युवा चेहरा हैं। अभी वे जिला पंचायत उपाध्यक्ष हैं। विक्रांत सिंह के नाम की चर्चा उपचुनाव के दौरान भी थी है। बताया जा रहा है कि विक्रांत पूर्व सीएम रमन सिंह के भांजे हैं।
जानिए इन 21 सीटों पर 2018 में भाजपा के कौन-कौन थे प्रत्याशी
प्रेमनगर- विजय प्रताप सिंह, भटगांव- रजनी त्रिपाठी, प्रतापुर- रामसेवक पैकरा, रामानुजगंज- रामकिशुन सिंह, लुंड्रा- विजय नाथ सिंह, खरसिया- ओपी चौधरी, धर्मजयगढ़- लीनव बिरजू राठिया, कोरबा- विकास महतो, मरवाही- अर्चना पोर्ते, सरायपाली- श्याम तांडी, खल्लारी- मोनिका साहू, अभनपुर- चंद्रशेखर साहू, राजिम- संतोष उपाध्याय, सिहावा- पिंकी शाह, डौंडी लोहारा- लाल महेंद्र सिंह टेकाम, पाटन- मोतीलाल साहू, खैरागढ़- कोमल जंघेल, खुज्जी- हिरेंद्र कुमार साहू, मोहला मानपुर- कंचन माला भुआर्या, कांकेर-हीरा मरकाम और बस्तर- डॉ. सुभाऊ कश्यप।