Chhattisgarh: बाबा ने किया पानी में चलने का दावा, चमत्कार को देखने पहुंचे थे तहसीलदार, पटवारी और थानेदार, ज‍ानिये फिर क्‍या हुआ...

Chhattisgarh: पानी में बाबा को डूबते देख गोताखोर की टीम तालाब में उतरी और बाबा की जान बचाई गई। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मौके पर तहसीलदार, पटवारी और मंदिर हसौद थाना प्रभारी भी मौजूद थे

Update: 2024-10-11 08:21 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। जहां एक बाबा के द्वारा पानी के उपर चलने के दावे को देखने के लिए तहसीलदार, पटवारी और थाना प्रभारी पहुंचे थे। साथ ही हजारों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ भी मौके पर थी। फिर क्या था बाबा भीड़ के सामने तालाब में जैसे ही उतरे तो पानी में चलने की बजाए तैरने लगे। बाहर से आये लोग बाबा को तैरता देख शोर-गुल करने लगे और इसे अंधविश्वास बताने लगे। फिर क्या था पोल खुलता हुआ देख बाबा पानी के अन्दर तैरते हुये तालाब पार करने लगे और थोड़ी दूर ही पहुंचे थे कि गहरे पानी में डूबने लगे। गनीमत रही कि गोताखोर की टीम भी मौके पर थी, जिन्होंने तालाब में कूदकर डूब रहे बाबा को बाहर निकाले और उनकी जान बचाई।

जानिए पूरा मामला

दरअसल, ये पूरा मामला राजधानी रायपुर के मंदिर हसौद थाना क्षेत्र में आने वाले आरंग विधानसभा के ग्राम कठिया का है। यहां रहने वाले बाबा शिवदास बंजारे ने पैदल चलकर तालाब को पार करने का दावा किया था। इतना ही नहीं बाबा ने ये भी कहा कि उसके उपर दिव्य शक्ति है और वो जलते अंगारों में व बिना तेल के सब्जी-खाना बना सकता है। बाबा के दावा के बाद ग्राम के लोगों ने बैठक कर बाबा को तालाब पार करने के लिए 10 अक्टूबर का समय चुना।

इधर, जैसे ही बाबा के चमत्कार की बात आसपास के ग्रामीणों को हुई तो बड़ी संख्या में ग्रामीण तालाब के पास पहुंचे। गुरूवार की शाम तालाब के आसपास भारी संख्या में भीड़ थी। बाबा भी अपने समर्थकों के साथ तालाब के पास आये और जैसे ही तालाब में चलने के लिए पैर रखे वो पानी के अंदर चले गये। फिर क्या था पोल खुलता देख बाबा पानी में तैरते हुए तालाब पार कराने लगे। इसी बीच कुछ दूर जाने के बाद गहरे पानी में बाबा डूबने लगे।

पानी में बाबा को डूबते देख गोताखोर की टीम तालाब में उतरी और बाबा की जान बचाई गई। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मौके पर तहसीलदार, पटवारी और मंदिर हसौद थाना प्रभारी भी मौजूद थे, पर किसी ने भी इस तरह के अंधविश्वास को रोकने की कोशिश नहीं की। और भीड़ की मौजूदगी में ये पूरा खेल होता रहा।

हालांकि समझ से ये भी परे हैं कि कैसे बाबा को प्रशासन की मौजूदगी में अंधविश्वास दिखाने की अनुमति मिल गई। वहीं, मीडिया के साथियों ने बाबा के चमत्कार के बारे में जब तहसीलदार, पटवारी और थाना प्रभारी से सवाल-जवाब किया तो किसी ने भी इस पर बात नहीं की, खुद को कैमरे से बचाते रहे। फिलहाल देखना होगा कि आगे क्या कुछ कार्रवाई इस मामले में होती है।

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