छत्तीसगढ़ CGMSC घोटाला: मामले में 'मोक्षित कॉर्पोरेशन' के 2 लग्जरी कारें जब्त, ईडी ने की बड़ी कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने “री-एजेंट प्रोक्योरमेंट स्कैम” में शामिल मेसर्स मोक्ष कॉर्पोरेशन की दो लक्जरी कार (पोर्श केयेन कूप और मर्सिडीज-बेंज) जब्त किया है. फर्म शशांक चोपड़ा और उनके पिता शांतिलाल चोपड़ा के नाम से पंजीकृत है
Chhattisgarh CGMSC scam: 2 luxury cars of 'Mokshit Corporation' seized in the case, ED takes major action
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित री-एजेंट प्रोक्योरमेंट स्कैम की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने दुर्ग में छापेमारी के दौरान मोक्षित कॉर्पोरेशन की दो लक्जरी कारें पोर्श केयेन कूप और मर्सिडीज-बेंज जब्त की हैं। यह फर्म शशांक चोपड़ा और उनके पिता शांतिलाल चोपड़ा के नाम पर पंजीकृत है।
जानकारी के मुताबिक, ईडी ने 28 अगस्त को पीएमएलए, 2002 की धारा 17(1) के तहत तलाशी अभियान चलाया। जांच में सामने आया कि टेंडर प्रक्रियाओं में हेरफेर कर और फर्जी मांग दिखाकर छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) को बढ़ी हुई कीमत पर मेडिकल उपकरण और री-एजेंट सप्लाई किए गए।
क्या है पूरा मामला ?
करीब 400 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच ACB-EOW कर रही है। मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा सहित 6 लोग पहले से जेल में हैं। ईडी भी अब मामले की जांच कर रही है। इससे पहले 30 और 31 जुलाई को ईडी ने शशांक चोपड़ा, उनके परिवार और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के 20 ठिकानों पर छापे मारकर करीब 40 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।
ED, Raipur has conducted search operation on 28.08.2025 in Durg, Chhattisgarh under PMLA, 2002, in “Re-agent Procurement Scam” involving Shashank Chopda and others in a matter related to criminal conspiracy to manipulate the tender processes, fabricated demand, and supplied… pic.twitter.com/CNya3iqVNm
— ED (@dir_ed) September 6, 2025
मोक्षित कॉर्पोरेशन पर आरोप है कि, कंपनी ने निविदाएं अपने पक्ष में कराने के लिए अधिकारियों को कमीशन दिया और अन्य कंपनियों के साथ मिलकर पूल टेंडरिंग की। कम कीमत दिखाकर ठेका लेने के बाद महंगे दामों पर सप्लाई की गई। उदाहरण के तौर पर, 8 रुपये की क्रीम 23 रुपये में बेची गई।
री-एजेंट और मशीनों की सप्लाई में भी भारी गड़बड़ी सामने आई। कई जगह मशीनें स्थापित ही नहीं की गईं, और जहां लगाई गईं वहां अचानक बंद कर दी गईं। नतीजा यह हुआ कि शासन को करीब 400 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा और 95 लाख रुपये के री-एजेंट बर्बाद हो गए।
इस मामले में EOW और ACB ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409 और 120-B तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है। इस मामले में कई सरकारी अधिकारी भी गिरफ्तार किए जा चुके हैं।