CG Yuktiyuktkaran News: फिर पलटी जा रही युक्तियुक्तकरण की फाइलें, अभ्यावेदन के नाम पर शुरू हुआ ज्वाइनिंग का खेला
CG Yuktiyuktkaran News: युक्तियुक्तकरण के दौर में डीईओ और बीईओ कार्यालय ने अपनों को बचाने के नाम पर जो खेला किया,किसी से छिपा हुआ भी नहीं है। बिलासपुर हाई कोर्ट में युक्तियुक्तकरण के खिलाफ दायर होने वाले शिक्षकों की याचिका से ही यह साफ हो गया था कि विभागीय अफसर इसे अवसर मानकर चल रहे हैं,जमकर मनमानी कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग का यह नया प्रयोग अब भी जारी है। अफसरों ने फाइल बंद ही नहीं की है। एक बार फिर अभ्यावेदन के जरिए ज्वाइनिंग का खेला शुरू हो गया है।
CG Yuktiyuktkaran News: बिलासपुर। शिक्षकों और स्कूलों के युक्तियुक्तकरण में डीईओ से लेकर बीईओ कार्यालय में बैठे अफसरों और बाबुओं ने जमकर अपनी चलाई। अपनों को बचाने के लिए नियमों की आड़ में ऐसा पेंच फंसाया कि सीनियर शिक्षक को एक झटके में जूनियर और जूनियर को सीनियर बना दिया। खेला कुछ ऐसे हुआ कि सीनियर दूर दराज के स्कूल में भेज दिए गए और जूनियर्स आसपास के स्कूलों में ही जगह मिल गई। सैकड़ों शिक्षकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी। हाई कोर्ट ने जिला स्तरीय समिति के समक्ष अभ्यावेदन पेश करने कहा। अब अभ्यावदेन में एक बार फिर खेल शुरू हो गया है। अमान्य अभ्यावेदनों को मान्य करने का खेला चल रहा है।
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में यह खेला एक बार फिर शुरू हो गया है। जिन शिक्षकों को युक्तियुक्तकरण के दौरान अतिशेष बताते हुए दूसरे स्कूल में पदस्थ किया गया था अब उन्हीं शिक्षकों को एक बार फिर उसी स्कूल में या आसपास के स्कूलों में ज्वाइनिंग दी जा रही है। शिक्षा विभाग के अफसर इसके लिए हाई कोर्ट के आदेश और अभ्यावेदन को बड़ा जरिया बना रहे हैं। ऐसे शिक्षक जिनके अभ्यावेदन को जिला स्तरीय समिति ने अमान्य कर दिया था, चुपके से दोबारा अभ्यावेदन मंगाकर मान्य कर दिया जा रहा है। अफसरों के इस खेल में सवाल यह उठ रहा है, तीन महीने पहले समिति ने किस आधार पर अभ्यावेदन को अमान्य किया था। अब कौन सा नया आधार बन गया कि उसी शिक्षक का वही अभ्यावेदन स्वीकार योग्य हो गया है। अचरज की बात ये कि जिस स्कूल से शिक्षक को अतिशेष घोषित किया गया था, तीन महीने बाद उसी स्कूल में दोबारा ज्वाइनिंग दी जा रही है।
DEO, BEO कार्यालय में फिर शुरू हुआ खेला
हाई कोर्ट के निर्देश के बाद याचिकाकर्ता शिक्षकों ने जब जिला स्तरीय समिति के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया तब अधिकांश अभ्यावेदनों को कलेक्टर की अध्यक्षता वाली जिला स्तरीय समिति ने अमान्य कर दिया था। तीन महीने बाद बीईओ व डीईओ कार्यालय के खटराल बबुओं ने पुरानी फाइलों को नए सिरे से खंगालना शुरू किया और हाई कोर्ट को जरिया बनाकर उन शिक्षकों से संपर्क कर दोबारा अभ्यावेदन मंगा लिया। जिन अभ्यावेदनों को तीन महीने अस्वीकार कर दिया गया था उसी अभ्यावेदन को तीन महीने बाद स्वीकार करते हुए उसी स्कूल में ज्वाइन करा दे रहे हैं जहां से याचिकाकर्ता शिक्षक को अतिशेष बताया गया था।
JD कार्यालय में भी इसी तरह का खेला
डीईओ व बीईओ कार्यालय के अलावा जेडी कार्यालय में भी कुछ इसी तरह का खेला चल रहा है। नगोई में पदस्थ शिक्षक का नाम अतिशेष की सूची में शामिल कर लिया गया था। अतिशेष बताते हुए युक्तियुक्तकरण के तहत जोंधरा स्कूल में तबादला कर दिया था। ज्वाइन करने के बाद शिक्षक ने आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट के निर्देश पर जिला स्तरीय समिति के समक्ष अभ्यावेदन पेश किया था। जिला स्तरीय समिति ने अभ्यावेदन को अमान्य कर दिया था । इसे चुनौती देते हुए संभाग स्तरीय समिति में अभ्यावेदन पेश किया था। संभागीय समिति ने शिक्षक का नाम गलत ढंग से अतिशेष सूची में शामिल करने का हवाला देते हुए अभ्यावेदन को स्वीकार कर लिया। समिति ने नगाेई स्कूल में ज्वाइनिंग का आदेश जारी कर दिया।