CG Transfer News: ट्रांसफर पर बैन! छत्तीसगढ़ में SIR प्रारंभ, ट्रांसफर पर नहीं लगा प्रतिबंध, अफसर भूल गए आदेश निकालना, तीन महीने नहीं होंगे तबादले

CG Transfer News: जिन राज्यों में 1 नवंबर से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य प्रारंभ हुआ है, वहां कलेक्टर से लेकर नीचे तक के मुलाजिमों के ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई है। मगर छत्तीसगढ़ में अभी इसका कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। जाहिर है, फर्जी मतदाताओं को रोकने भारत सरकार भी गंभीर है।

Update: 2025-11-04 06:22 GMT

CG Transfer News: रायपुर। छत्तीसगढ़ समेत आधा दर्जन राज्यों में भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य प्रारंभ कर दिया है। एक नवंबर से इसका आगाज हो गया है। मतदाता सूची का जब भी पुनरीक्षण किया जाता है, भारत निर्वाचन आयोग इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इससे जुड़े अधिकारियों, कर्मचारियों के तबादले पर रोक लगा देता है। इसके लिए निर्वाचन आयोग सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेज सूचित कर देता है।

पता चला है, राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने एक नवंबर से पहले ही सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेज दिया था कि एक नवंबर से 6 फरवरी 2026 तक विशेष गहन पुनरीक्षण होगा, इसलिए तबादले पर रोक लगाई जाए। इसमें कलेक्टर से लेकर एडिशनल कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, नायब तहसीलदार समेत बूथ लेवल के बीएलओ, अधिकारियों, कर्मचारियों का ट्रांसफर शामिल है। बता दें, बीएलओ और बूथ लेवल पर पुनरीक्षण कार्य के लिए बड़ी संख्या में शिक्षकों की भी ड्यूटी लगाई गई है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की अनुमति

मतदाता सूची के पुनरीक्षण कार्य कार्य एक नवंबर 2025 से छह फरवरी 2026 तक होना है। इस अवधि में विशेष परिस्थितियों में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की अनुमति से राज्य सरकार ट्रांसफर कर पाएगा। ठीक उसी तरह, जैसे विधानसभा, लोकसभा चुनाव के समय आचार संहिता के दौरान होतो है।

कलेक्टरों का ट्रांसफर रुक जाएगा

राज्योत्सव के बाद 6 या 7 नवंबर को कलेक्टरों की एक लिस्ट निकलनी थी। हालांकि, सूची ज्यादा बड़ी नहीं थी, दो-तीन नाम थे। मगर अब ट्रांसफर पर बैन से कलेक्टरों के तबादले नहीं हो पाएंगे। कलेक्टर तो वैसे भी पदेन जिला निर्वाचन अधिकारी होते हैं, उन्हीं के नेतृत्व में मतदाता सूची का पुनरीक्षण कार्य होता है। इसलिए कलेक्टरों का ट्रांसफर अब 6 फरवरी तक नामुमकिन है। कोई विशेष स्थिति में सरकार अगर निर्वाचन आयोग से अनुमति लेकर किसी कलेक्टर का ट्रांसफर कर दे तो बात अलग है।

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