CG Teacher Transfer: एक रिटायर शिक्षक के चलते 1478 प्राचार्यों की लटकी पोस्टिंग, प्राचार्य बने बिना बेचारे 356 हो गए रिटायर, 2813 स्कूल प्राचार्य से वंचित...इसका जिम्मेदार कौन?...
CG Teacher Transfer: छत्तीसगढ़ में गजबे हो रहा है। एक ऐसे रिटायर शिक्षक की याचिका की वजह से 'ई' संवर्ग के 1478 प्राचार्यो की पोस्टिंग हाई कोर्ट में फंस गई है। वहीं, इससे पहले इसी तरह के 11 शिक्षकों ने प्राचार्यों के प्रमोशन में टांग फंसा प्रक्रिया बाधित कर डाली। जबकि, वे सभी 13 का प्रमोशन से कोई संबंध नहीं था। फिर भी आश्चर्य है कि स्कूल शिक्षा विभाग मौन क्यों हैं? स्कूल शिक्षा विभाग ने 2813 स्कूलों में प्राचायों की पोस्टिंग में पेंच फंसाने वाले शिक्षकों को अभी तक कोई नोटिस भी नहीं दी। विधिक जानकारों का सवाल है कि प्रमोशन से प्रभावित व्यक्ति अगर कानूनी मदद के लिए कोर्ट जाता है तो यह उसका राइट है मगर दूसरा आदमी कोर्ट जाकर नौनिहालों के स्कूलों में प्राचार्य पोस्टिंग को बाधित क्यों और कैसे जा सकता है? जाहिर है, प्राचार्य प्रमोशन का मामला कोर्ट से क्लियर हुआ तो अब एक रिटायर शिक्षक की वजह से 2813 में से 1478 प्राचार्यों का केस उलझ गया। बहरहाल, खबर के लास्ट में देखिए उन 1478 प्राचार्यो के नामों की सूची, जो एक रिटायर शिक्षक की याचिका की वजह से अधर में लटक गए हैं...
CG Teacher Transfer: रायपुर। हाई कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने प्राचार्य पोस्टिंग की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। इसके लिए काउंसलिंग का ड्रा्फ्ट अनुमोदन के लिए मुख्यमंत्री को भेजा गया है। दो-एक दिन में ड्राफ्ट को मंजूरी मिलने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ऑनलाइन काउंसलिंग प्रारंभ कर देगा। समझा जाता है कि 15 अगस्त तक पोस्टिंग का आदेश निकल सकता है। मगर पहले चरण में 1335 प्राचार्यों की ही पोस्टिंग मिलेगी। क्योंकि, ई संवर्ग के 1478 प्राचार्यों का मामले में 30 जून को रिटायर हुए एक शिक्षक ने केस लगा दिया है। इसलिए, पहले चरण में सिर्फ 'टी' संवर्ग के 1335 पाचार्यों के लिए ही काउंसलिंग की जाएगी।
रिटायर शिक्षक की याचिका
दुर्ग के रिटायर शिक्षक प्रकाश नारायण तिवारी ने ई संवर्ग के प्राचार्यों की पोस्टिंग के संबंध में याचिका लगाते हुए मांग की है कि 65 परसेंट की जगह 100 परसेंट पदों पर ई संवर्ग के शिक्षकों की पोस्टिंग दी जाए। जबकि, डबल बेंच पहले ही इस पर फैसला दे चुका है कि राज्य सरकार द्वारा 65 परसेंट का तय किया कोटा सही है। जाहिर है, सरकार ने 65 परसेंट ई संवर्ग वालों के लिए और 25 परसेंट एलबी याने लोकल बॉडी वाले मर्ज किए गए कैडर के लिए रखा गया है। बाकी 10 परसेंट सीधी भर्ती से पोस्टिंग होती है। मगर डबल बेंच के फैसले के बाद फिर से 65 परसेंट पर केस लगा दी गई। रिटायर शिक्षक की याचिका पर हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में सुनवाई चल रही है।
437 प्राचार्य रिटायर
प्राचार्य पदोन्नति मामला कानूनी उलझन में फंसने का नुकसान जून तक रिटायर हो चुके 356 शिक्षकों का हुआ, जो बिना प्राचार्य की कुर्सी पर बैठ रिटायर हो गए। जुलाई का आंकड़ा देखे तो 'ई' संवर्ग के 58 व 'टी' संवर्ग के 23 शिक्षक रिटायर हो जाएंगे। याने जुलाई तक यह फिगर 437 पहुंच जाएगा। इन शिक्षकों के लिए तो कानूनी लड़ाई रोड़ा बनकर सामने आया। प्राचार्य बनने का सपना ही अधूरा रह गया है। जैसे-जैसे यह मामला आगे खिंचता चला जाएगा उसी अंदाज में लेक्चरर्स भी रिटायर होते जाएंगे। हर महीने तीन से चार दर्जन शिक्षक दोनों संवर्ग से रिटायर हो रहे हैं।
प्राचार्य विहीन स्कूल
छत्तीसगढ़ में एक दशक से प्राचार्यों का प्रमोशन नहीं हुआ था। आलम यह था कि शिक्षकों का ग्रेडेशन लिस्ट तक तैयार नहीं हुआ था। इस वजह से प्रदेश के 3290 स्कूल प्राचार्य के बिना संचालित हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते स्कूल शिक्षा विभाग ने पहले ग्रेडेशन लिस्ट तैयार कराया, फिर प्रमोशन की प्रक्रिया निबटाई। प्राचार्य प्रमोशन का आदेश अप्रैल में निकल गया था। अगर शिक्षकों ने कोर्ट-कचहरी न की होती तो स्कूल खुलने से पहले कम-से-कम 2813 स्कूलों को रेगुलर प्राचार्य मिल जाता।
रोड़ा अटकाने का काम
राज्य शासन ने प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए जब मापदंड व नियम बनाए तो सबसे पहले उन शिक्षकों ने रोड़ा अटकाने का काम किया जिनका नाम पदोन्नति सूची में आ ही नहीं रहा था। ऐसे एक दर्जन शिक्षकों ने पदोन्नति के लिए तय मापदंड का विरोध करते हुए याचिका दायर की। व्याख्याता से प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए बीएड डिग्री की अनिवार्यता की मांग की। डीएलएड और बीटीआई वाले शिक्षकों को पदोन्नति से दूर रखने की मांग की। बता दें कि राज्य शासन ने समय-समय पर शिक्षा विभाग के अन्य कैडरों के शिक्षकों का संविलियन किया है। इसमें सबसे पहले ट्राइबल और फिर उसके बाद शिक्षा कर्मियों का संविलियन किया गया। हस्तक्षेप याचिकाकर्ताओं ने याचिकाकर्ता शिक्षकों की याचिका में की गई मांग का विरोध करते हुए कहा कि प्राचार्य का पद पर प्रशासनिक होता है। शैक्षणिक पद नहीं है। जिसके लिए बीएड की योग्यता को अनिवार्य किया जाएगा। हस्तक्षेपकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया था कि राज्य शासन ने दो कैडरों के शिक्षकों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किया है। उनकी वरिष्ठता और योग्यता का भी ध्यान रखना होगा। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने याचिका को खारिज कर दिया है। इसी तरह की याचिका और ऐसे ही मांग को लेकर सिंगल बेंच में प्रकाश नारायण तिवारी ने याचिका दायर की है। याचिका पर सिंगल बेंच में सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान ही याचिकाकर्ता तिवारी रिटायर हो गए हैं। पर उनकी याचिका पर सुनवाई जारी है।
फरवरी 2024 में विभाग ने शुरू की थी प्रक्रिया
स्कूल शिक्षा विभाग ने फरवरी 2024 में प्रिंसिपल के पद पर प्रमोशन के लिए प्रक्रिया प्रारंभ की थी। बीते डेढ़ साल के दौरान 400 से ज्यादा शिक्षक रिटायर हो गए। तय समय पर पदोन्नति का लाभ मिलता तो ये सभी शिक्षक प्रिंसिपल के पद से रिटायर होते। पेंशन के साथ ही ग्रेज्युटी व अन्य भुगतान में लाभ मिलता। पदोन्नति मामले में पेंच फंसने के कारण ये शिक्षक लाभ से वंचित रह गए हैं।
सिंगल याचिका पर चल रही सुनवाई
30 जून को रिटायर हो चुके लेक्चरर नारायण प्रकाश तिवारी की याचिका पर सिंगल बेंच में सुनवाई चल रही है। बीते सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कोर्ट से कहा था कि एक पद रिक्त रखते हुए शेष पदों के लिए आदेश जारी किया जा सकता है। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने 27 ऐसे शिक्षकों की सूची बताई, जिनका इस याचिका से सीधे तौर पर ताल्लुक है। इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता ने सभी 27 पद रिक्त रखते हुए शेष पदों पर पदोन्नति आदेश की मांग की।
बेगान शादी में अब्दुला दीवाना
जिन 11 शिक्षकों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नियमों का पेंच फंसाया है, उनमें से किसी ने भी प्राचार्य पदोन्नति में अपना दावा बताते हुए याचिका दायर नहीं की है। दरअसल ये सभी याचिकाकर्ता शिक्षक प्राचार्य पदोन्नति की स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी सूची से बाहर हैं। पदोन्नति को लेकर इनके नामों पर विचार नहीं किया जा सकता, जाहिर सी बात है अभी इनकी वरिष्ठता नहीं हुई है कि पदोन्नति सूची में नाम शामिल कर लिया जाए। शिक्षक संगठनों द्वारा यह भी सवाल खड़ा किया जा रहा है कि पदोन्नति सूची में जब इनका दावा नहीं बनता और याचिका में अपने लिए मांग भी नहीं कर रहे हैं तो आखिर नियमों का पेंच क्यों फंसाकर उलझाया जा रहा है।
जिनकी याचिका खारिज
पी गलिक राव, लक्ष्मी प्रसाद रबेठ,दूज राम खरे, संजय कुमार वखारिया,रुपनारायण कुशवाहा, अनुराग त्रिवेदी, अखिलेश त्रिपाठी, आनंद प्रसाद साहू, कोमल प्रसाद साहू, पुरुषोत्तम सिंह यदु।
फैक्ट फाइल
शिक्षा विभाग में 10 और आदिम जाति कल्याण विभाग में बीते 12 वर्षों से प्राचार्य की पदोन्नति नहीं हुई है। प्रदेश में 1897 हाई स्कूल और 2886 हायर सेकेंडरी स्कूल संचालित की जा रही है। 4783 स्कूल में प्राचार्य के पास स्वीकृत है। हाई स्कूल में 1565 व हायर सेकेंडरी स्कूल में 2011 पद मिलाकर कुल 3576 स्कूलों में प्राचार्य के पद रिक्त है। मतलब साफ है कि 75 फीसदी स्कूल प्राचार्यविहीन है। 30 अप्रैल को 2813 प्राचार्य की पदोन्नति सूची जारी की गई थी। ई संवर्ग के 1478 व टी संवर्ग के 1335 लेक्चरर व हेड मास्टर को प्राचार्य के पद पर पदोन्नति देते हुए सूची जारी की गई थी। हाई कोर्ट की रोक के चलते इस पर अब तक अमल नहीं हो पाया है।