CG RSS News: रोज शाम को एक घंटे मोबाइल बंद! छत्तीसगढ़ में भी शुरू, पढ़िये क्या है मामला

CG RSS News: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शताब्दी वर्ष में कुछ नई पहल की जा रही है। देश के कुछ शहरों में स्वयं सेवकों ने गलियों में घरों को चिन्हांकित कर रोज शाम को सात बजे से आठ बजे तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने का संकल्प दिलाया है। यही प्रयोग अब बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ के कुछ शहरों में लागू करने की कोशिश शुरू हो गई है।

Update: 2025-11-21 05:55 GMT

CG RSS News: बिलासपुर। शताब्दी वर्ष में संघ ने लक्ष्य तय कर हर स्वयं सेवक को अभियान चलाने का निर्देश दिया है। इसमें पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब, स्वच्छता जैसे प्रभावी मुद्दे भी शामिल हैं। पर्यावरण संरक्षण को तो केंद्र सरकार ने भी एक अभियान के रूप में चलाया है और मां के नाम एक पेड़ का आयोजन लगभग हर प्रदेश में हो चुका है। स्कूलों और सरकारी दफ्तरों सहित हर रिक्त जमीन पर पौधे लगा कर पर्यावरण को बचाने की दिशा में कदम उठाया गया है।

संघ ने भाजपा सहित अपने सभी आनुषांगिक संगठनों को स्वच्छता पर भी काम करने को कहा है। यह अभियान गांधी जयंती दो अक्टूबर से अधिक प्रभावी तरीके से चलाया गया है। अक्टूबर में स्वच्छता पखवाड़ा का आयोजन कर संघ और भाजपा के सदस्यों ने अपने मोहल्ले और गलियों तक में सफाई अभियान चलाया था, इसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंत्रियों ने भी हिस्सा लिया था। स्वच्छता का यह काम अभी पूरे साल चलने वाला है। शैक्षणिक संस्थाओं में बच्चों को स्वच्छता के प्रति जागरुक किया गया है।

शहर की गली में होगा यह

बिलासपुर के एक स्वयं सेवक ने बताया कि अब संघ कुटुंब के लक्ष्य पर भी फोकस कर रहा है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीमित परिवार के सदस्यों में भी संवाद नहीं होने या संतुलन का अभाव देखा जा रहा है। संघ इसे अपने तरीके से दूर करना चाहता है। स्वयं सेवक कोशिश कर रहे हैं कि पूर्व की भांति परिवार के सदस्य आपस में बातचीत का सिलसिला जारी रखें, जिससे वे एक- दूसरे के भाव को समझ सकें। दक्षिण भारत के एक शहर के कुछ हिस्से में प्रयोग किया गया है। इससे प्रेरित होकर स्वयंसेवक इसे बिलासपुर में लागू करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। इस प्रयोग कें शहर के किसी भी हिस्से में एक गली के घरों में जाकर स्वयं सेवक संपर्क करेंगे। उनका एक ग्रुप बनाने पर सहमति लेंगे। इसके बाद उन्हें बताएंगे कि उस गली के किसी एक घर में शाम सात बजे घंटी बजाई जाएगी। घंटी बजने के एक घंटे बात तक परिवार का कोई सदस्य किसी भी डिजिटल उपकरण का उपयोग नहीं करेगा। उस वक्त घर के मोबाइल फोन शांत रहेंगे, टीवी तक नहीं देखा जाएगा और न ही लैपटॉप जैसे उपकरणों में कोई काम किया जाएगा। घर के सभी सदस्य एक जगह पर बैठ कर आपस में बातचीत करेंगे या पड़ोसी के साथ बात कर समय व्यतीत करेंगे। मोबाइल फोन वगैरह का उपयोग रात आठ बजे के बाद ही किया जा सकेगा। इस फार्मूले पर स्वयं सेवक संबंधित घरों के सदस्यों से बात करेंगे, उन्हें समझाएंगे और उनकी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाएगा। स्वयं सेवक का मानना है कि इस तरीके से परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों को आपस में जोड़ने की पहल की जाएगी। यदि यह सफल हो गया तो फिर इसका विस्तार भी किया जाएगा।

धार्मिक अनुष्ठान पर जोर

घरों में कम से कम तुलसी पौधे पर एक दीया प्रतिदिन शाम को जलाया जाए, यह प्रयास भी स्वयं सेवक कर रहे हैं। दीया को एक प्रतीक माना गया है, घर में धार्मिक संस्कार को मानने का। तुलसी चबूतरे या घर के द्वार पर दीया जलाने की परंपरा हिंदू संस्कृति में रही है। अब ज्यादातर घरों से यह संस्कृति गायब होने लगी है। अभी अगहन मास चल रहा है और इस मास में दीया जलाने का विशेष महत्व रहा है।

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