CG News: रिश्वत लेकर मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने वाले डॉक्टर ब्लैकलिस्टेड, NMC की बड़ी कार्रवाई

मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के नाम पर रिश्वतखोरी करने वाले मूल्यांकनर्ताओं को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। आयोग की यह कार्रवाई सीबीआई की छापेमारी और चिकित्सकों की गिरफ्तारी के बाद किया है। देखे आयोग का कार्रवाई के संबंध में जारी पत्र

Update: 2025-07-02 12:00 GMT

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रायपुर। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने सीबीआई की कार्रवाई के बाद मूल्यांकनकर्ता डॉक्टर्स के खिलाफ बड़ा व कड़ा एक्शन लिया है। आयोग ने रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई के राडार में आए चिकित्सकों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। मूल्यांकनकर्ता चिकित्सक मेडिकल कालेज प्रबंधन से संपर्क कर मान्यता दिलाने के नाम पर बड़ा खेला करते थे। सीबीआई ने रिश्वतखोर चिकित्सकों के गोरखधंधे का भांडाफोड़ कर दिया है।


केंद्रीय जांच ब्यूरो ने मई महीने में रिपोर्ट दी थी कि एजेंसी ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग में मूल्यांकनकर्ता के रूप में काम कर रहे एक वरिष्ठ डॉक्टर को गिरफ्तार किया है। कथित तौर पर कर्नाटक के एक निजी मेडिकल कॉलेज के संबंध में सकारात्मक मूल्यांकन रिपोर्ट के बदले में 10 लाख रुपये की रिश्वत लेने के तुरंत बाद इस संबंध में सीबीआई ने कुछ मूल्यांकनकर्ताओं, कॉलेज अधिकारियों और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी और मामले को जांच में लिया था।

आयोग का फैसला: मूल्याकांकनर्ताओं को करेंगे ब्लैक लिस्टेड-

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने मामले को बहुत गंभीरता से लिया है और मामले में जांच और अंतिम फैसले तक उक्त मूल्यांकनकर्ता को काली सूची में डालने का फैसला किया है। स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में उक्त कॉलेज की मौजूदा सीटों की संख्या का नवीनीकरण मूल्यांकन वर्ष 2025-26 के लिए नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, मूल्यांकन वर्ष 2025-26 के लिए मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड द्वारा प्राप्त यूजी और पीजी दोनों के लिए सीटों की वृद्धि और नए पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए आवेदन को रद्द कर दिया जाएगा और आगे की प्रक्रिया नहीं की जाएगी।

ऐसे होता है मूल्यकांनकर्ताओं का चुनाव-

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग देश भर के विभिन्न सरकारी मेडिकल कॉलेजों से वरिष्ठ संकाय सदस्यों को नियुक्त करता है, जो आयोग की ओर से चिकित्सा संस्थानों में समय-समय पर निरीक्षण करने के लिए स्वेच्छा से काम करते हैं। इस प्रकार, मूल्यांकनकर्ता आयोग द्वारा नियुक्त नहीं किए जाते हैं, बल्कि उन्हें देश भर के सरकारी मेडिकल कॉलेजों से चुना जाता है और यादृच्छिक प्रक्रिया के माध्यम से निरीक्षण के लिए नियुक्त किया जाता है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अपने सभी कार्यों में अत्यंत सत्यनिष्ठा बनाए रखने तथा सभी स्तरों पर पारदर्शिता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। आयोग भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करता है तथा किसी भी व्यक्ति अथवा चिकित्सा संस्थान द्वारा की गई ऐसी किसी भी अप्रिय घटना से आयोग एनएमसी अधिनियम तथा उसके अंतर्गत बनाए गए विनियमों के प्रासंगिक दंड प्रावधानों के अनुसार निपटता है।

आयोग के पास है कार्रवाई का अधिकार-

अधिनियम के प्रासंगिक दंड प्रावधानों के अंतर्गत आयोग उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध उचित समझे जाने पर कार्रवाई कर सकता है, जैसे; आर्थिक जुर्माना लगाना, उस शैक्षणिक वर्ष अथवा इतने वर्षों के लिए किसी नई योजना(ओं) के लिए आवेदन पर कार्रवाई पर रोक लगाना, चिकित्सा संस्थान द्वारा अगले अथवा आगामी शैक्षणिक वर्षों में प्रवेश दिए जाने वाले छात्रों की संख्या कम करना, अगले अथवा आगामी शैक्षणिक वर्षों में एक अथवा अधिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पर रोक लगाना, सरकारी कर्मचारी आचरण नियमों के अंतर्गत संबंधित मूल्यांकनकर्ता के विरुद्ध सक्षम प्राधिकारी को कार्रवाई की अनुशंसा करना तथा/अथवा आयोग के आचार एवं चिकित्सा पंजीकरण बोर्ड को कार्रवाई की अनुशंसा करना आदि।

ये है मामला-

मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के नाम पर देशभर में बड़ा गिरोह काम कर रहा है। ऐसे ही एक गिरोह का भांडाफोड़ सीबीआई ने किया है। तीन डाक्टर सहित छह लोगों को किया है। सीबीआई स्पेशल कोर्ट में इन आरोपियों को पेश करेगी। माना जा रहा है कि पूछताछ करने के लिए स्पेशल कोर्ट रिमांड भी मागेगी। मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए सक्रिय गिरोह का सीबीआई ने भांडाफोड़ किया है। छत्तीसगढ़ के रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज से जुड़े एक बड़े घोटाले पर से सीबीआई ने पर्दा उठाया है। इस मामले में तीन डाक्टर सहित छह लोगों की गिरफ्तारी की है। छत्तीसगढ़ के रायपुर के अलावा सीबीआई की टीम ने देशभर के 42 से ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी की है। छत्तीसगढ़ के अलावा दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश,राजस्थान व कर्नाटक में छापामार कार्रवाई की महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जब्ती की है। मेडिकल कॉलेज को मान्यता दिलाने के लिए जांच पड़ताल के बाद की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को पाजिटिव बनाने के नाम पर बड़ा खेला किया जा रहा था। इसके एवज में लाखों का लेनदेन किया जा रहा था। गिरोह के सदस्य राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की निगेटिव रिपोर्ट को पाजिटिव बनाने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधकों से लेनदेन करते थे और उसके अनुकूल रिपोर्ट दे देते थे।

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