CG News: अबूझमाड़ के जंगलों से निकला सुशासन का उजाला, CM विष्णुदेव साय की योजनाओं का फल महिलाओं ने रच दी आत्मनिर्भरता की मिसाल, जैविक बासमती से बदली तकदीर
CG News: नक्सल प्रभावित इलाका अब आत्मनिर्भरता, रोजगार और शांति का प्रतीक बन चुका है। कभी अंधेरे में डूबे इन ग्रामों में अब सुशासन का सवेरा सचमुच उतर आया है और यह कहानी है उस परिवर्तन की, जो भय से विश्वास और गरीबी से समृद्धि तक का सफर तय कर रही है
CG News: बस्तर। कभी नक्सल हिंसा और भय के साये में जीवन जीने वाले नारायणपुर जिले के ओरछा विकासखण्ड के अबूझमाड़ क्षेत्र के छोटे-छोटे गांवों में अब सुशासन और आत्मनिर्भरता की किरणें पहुंच चुकी हैं। यह वही इलाका है जहाँ कभी बम धमाकों की गूंज और बंदूकों की आवाज़ें विकास के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा थीं। आज अबूझमाड़ इलाके का छोटे से गांव कच्चापाल और उसके आसपास के ग्रामों में महिलाओं की मेहनत और शासन की योजनाओं का फल साफ दिखाई दे रहा है।
नक्सल प्रभावित इलाका अब आत्मनिर्भरता, रोजगार और शांति का प्रतीक बन चुका है। कभी अंधेरे में डूबे इन ग्रामों में अब सुशासन का सवेरा सचमुच उतर आया है और यह कहानी है उस परिवर्तन की, जो भय से विश्वास और गरीबी से समृद्धि तक का सफर तय कर रही है। गांवों की महिलाओं के साहस, स्वावलंबन और नव छत्तीसगढ़ की नई सुबह की यह सच्ची कहानी अन्य महिलाओं को आगे बढ़ने और आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दे रही है। सड़क, बिजली, पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित यह गांव अब नियद नेल्ला नार योजना के तहत विकास की मुख्यधारा से जुड़ चुका है।
राज्योत्सव के भव्य मंच पर इस परिवर्तन की गूंज सुनाई दी जब कच्चापाल के आश्रित ग्राम ईरकभट्टी की दो महिलाएँ दृ मांगती गोटा और रेनी पोटाई दृ अपने हाथों से उगाई गई जैविक बासमती चावल लेकर राजधानी पहुँचीं। ये महिलाएँ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) के लालकुंवर स्व-सहायता समूह से जुड़ी हैं। कभी शहर का नाम तक न जानने वाली ये महिलाएँ आज अपने गाँव की पहचान बन चुकी हैं।
बिहान समूहों ने बदले हालात
एरिया कोऑर्डिनेटर सोधरा धुर्वे बताती हैं कि पहले इस क्षेत्र में लाल आतंक के कारण कोई सरकारी योजना पहुंच ही नहीं पाती थी। ग्रामीणों के पास बाजार की जानकारी नहीं थी, और बिचौलिए उनके उत्पादों को औने-पौने दामों पर खरीदकर मुनाफा कमा लेते थे। लेकिन सशस्त्र बलों के कैम्प लगने और शासन की सक्रिय पहल से जब ‘नियद नेल्ला नार’ योजना के तहत बिहान समूहों का गठन हुआ, तो हालात बदलने लगे। महिलाओं में बचत की आदत और आत्मनिर्भरता का भाव बढ़ा। मांगती गोटा बताती हैं कि हम हमेशा से बिना रासायनिक खाद के जैविक तरीके से बासमती चावल उगाते रहे हैं।
पहले बिचौलिए हमसे 15दृ20 रुपये किलो में चावल ले जाते थे। लेकिन बिहान योजना से जुड़ने और प्रशिक्षण मिलने के बाद हमें असली कीमत का पता चला। आज राज्योत्सव में हमारे चावल की कीमत 120 रुपये किलो मिल रही है। लोग इसे शुद्ध और जैविक जानकर बहुत उत्साह से खरीद रहे हैं। रेनी पोटाई बताती हैं कि इस बार हमने सिर्फ चावल नहीं, बल्कि बाँस की टोकनी और झाड़ू भी तैयार किए हैं। हमारे समूह ने इस साल 40 क्विंटल जैविक बासमती चावल का उत्पादन किया है।
नक्सल प्रभावित वनांचल में विकास की किरण
छत्तीसगढ़ रजत महोत्सव वर्ष में कोंडागांव जिले के केशकाल विकासखंड के ग्राम पंचायत धनोरा की रतो बाई के जीवन में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने दीपोत्सव के पूर्व नई रोशनी लाई है। सुदूर वनांचल की अनुसूचित जनजाति वर्ग की महिला नक्सल हिंसा से पीड़ित रती बाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में चल रही इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत एक विशेष परियोजना के माध्यम से पक्का आवास प्राप्त हुआ है। रतो बाई को योजना के तहत 1.20 लाख रुपये का अनुदान स्वीकृत किया गया था। इस योजना की एक उल्लेखनीय विशेषता यह भी है आवास निर्माण के लिए उन्हें मनरेगा के तहत 90 दिवस का सुनिश्चित पारिश्रमिक 23490 रूपए भी मिला।
यह सहयोग रत्तो बाई के लिए एक महत्वपूर्ण संबल साबित हुआ। जीविकोपार्जन के लिए रतो बाई सब्जी बेचने का कार्य करती है। शासन की इस महत्वाकांक्षी योजना के साथ ही रतो बाई को महतारी वंदन योजना, उज्ज्वला योजना, नल जल योजना सौभाग्य योजना, शौचालय जैसे मूलभूत आवश्यकता को पूरा करने वाली योजनाओं का लाभ भी मिला है। यह विशेष परियोजना नक्सल हिंसा से प्रभावित वर्गों के कल्याण के लिए सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाती है। इसका उद्देश्य ऐसे परिवारों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और उन्हें सुरक्षित एवं सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर प्रदान करना है।
सुशासन की राह बनाती सड़कें
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनांतर्गत बस्तर जिले में कुल 451 सड़कें स्वीकृत हुईं, जिनमें से सभी पूर्ण हो चुकी हैं। पीएमजीएसवाई फेज-1 के तहत 426 सड़कें 1993.51 किलोमीटर लंबी, पीएमजीएसवाई फेज-2 के तहत 5 सड़कें 94.35 किलोमीटर और पीएमजीएसवाई फेज-3 के तहत 20 सड़कें 300.38 किलोमीटर की बनीं। इनके साथ ही 42.30 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित 16 वृहद पुल भी पूरे हो चुके हैं। जिले के नदी-नालों पर बने ये पुल अब स्थानीय लोगों के लिए सिर्फ यातायात का माध्यम नहीं, बल्कि आपदा के समय जीवनरक्षक भी साबित हो रहे हैं। बाढ़ के दिनों में जहां पहले नाव ही एकमात्र सहारा होती थी, वहीं आज ये पुल गांवों को अलग-थलग होने से बचा रहे हैं।
वर्ष 2025-26 में पीएम-जगुआ और पीएमजीएसवाई फेज-4 के नए चरण में 295 बसाहटों का सर्वेक्षण आधुनिक जीओ सड़क ऐप और ड्रोन तकनीक की मदद से पूरा किया गया है। इनमें से बैच-1 के तहत 87 सड़कों का विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (डीपीआर) तैयार कर केंद्र सरकार को स्वीकृति के लिए भेजा जा चुका है। इन नई सड़कों में जलवायु अनुकूल डिजाइन, सौर ऊर्जा से संचालित स्ट्रीट लाइट और वर्षा जल संचयन की व्यवस्था भी शामिल की जा रही है, ताकि बस्तर का विकास टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल हो।
ओरछा में बनेगा तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्र
ओरछा में तेंदूपत्ता संग्रहण केंद्र स्थापित करने की घोषणा की। यह केंद्र बस्तर की सांस्कृतिक विरासत,वन-संपदा संरक्षण और पारंपरिक तेंदूपत्ता संग्रहण की ऐतिहासिक प्रक्रिया को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही यह स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार एवं प्रशिक्षण के नए अवसर भी प्रदान करेगा।
अबूझमाड़ मल्लखंभ के खिलाड़ियों ने देश-विदेश में नारायणपुर का नाम रोशन
अबूझमाड़ मल्लखंभ के खिलाड़ियों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ये खिलाड़ी आज देश-विदेश में नारायणपुर का नाम रोशन कर रहे हैं।
नारायणपुर-अबूझमाड़ को महाराष्ट्र से जोड़ेगा नेशनल हाईवे 130-डी
बस्तर अंचल को महाराष्ट्र से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 130-डी के निर्माण को नई गति मिली है। छत्तीसगढ़ शासन ने कुतुल से नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक 21.5 किलोमीटर हिस्से के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। इस सड़क के निर्माण के लिए न्यूनतम टेंडर देने वाले ठेकेदार से अनुबंध की प्रक्रिया शर्तों सहित पूरी करने के निर्देश लोक निर्माण विभाग मंत्रालय द्वारा प्रमुख अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र रायपुर को दिए गए हैं। कुल तीन खंडों में निर्मित होने वाले 21.5 किलोमीटर सड़क के निर्माण हेतु लगभग 152 करोड़ रुपए न्यूनतम टेंडर दर प्राप्त हुई है, जिसे छत्तीसगढ़ शासन ने मंजूरी प्रदान कर दी है।
यह उल्लेखनीय है कि कुतुल, नारायणपुर जिले के अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थित है और कुतुल से महाराष्ट्र सीमा पर स्थित नीलांगुर की दूरी 21.5 किलोमीटर है। यह नेशनल हाईवे 130-डी का हिस्सा है। इस सड़क का निर्माण टू-लेन पेव्ड शोल्डर सहित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि एनएच-130डी राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 195 किलोमीटर है। यह एनएच-30 का शाखा मार्ग (स्पर रूट) है। यह कोण्डागांव से शुरू होकर नारायणपुर, कुतुल होते हुए नीलांगुर (महाराष्ट्र सीमा) तक जाता है। आगे महाराष्ट्र में यह बिंगुंडा, लहरे, धोदराज, भमरगढ़, हेमा, लकासा होते हुए आलापल्ली तक पहुँचता है, जहाँ यह एनएच-353डी से जुड़ जाता है। इस मार्ग के विकसित होने से बस्तर क्षेत्र सीधे राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क से जुड़ जाएगा और व्यापार, पर्यटन एवं सुरक्षा को बड़ी मजबूती प्राप्त होगी।