CG News: स्कूलों का बुरा हाल: 3 साल में 7 प्रतिशत बढ़े शिक्षक, फिर भी एक लाख स्कूलों में एक ही शिक्षक
CG News: आठ हजार स्कूलों में एक भी बच्चे नहीं हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने भारत में स्कूली शिक्षा पर एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली प्लस (यूडीआईएसई प्लस) 2024-25 पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तीन सालों में शिक्षकों की संख्या में 6.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो गई है, इसके बाद भी आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि अब भी एक लाख 4125 स्कूल केवल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। जबकि 7993 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी छात्र पढ़ाई नहीं कर रहा है।
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CG News: रायपुर। शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूडीआईएसई प्लस आरंभ किये जाने के बाद से, किसी शैक्षणिक वर्ष में पहली बार, 2024-25 में शिक्षकों की कुल संख्या एक करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है। शिक्षकों की संख्या में यह बढ़ोतरी छात्र-शिक्षक अनुपात में सुधार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और शिक्षकों की उपलब्धता में क्षेत्रीय असमानता दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। वर्ष 2022-23 से और उल्लेखित वर्ष (रिपोर्टिंग वर्ष) में यह संख्या लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2022-23 की तुलना में मौजूदा वर्ष के दौरान शिक्षकों की संख्या में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2022-23 में देशभर में शिक्षकों का आंकड़ा 94 लाख 83294 थी, यह वर्ष 2024-25 में1 करोड़ 1 लाख 22420 पहुंच गई है।
बेहतर छात्र शिक्षक अनुपात (पीटीआर)
फाउंडेशनल (मूलभूत), प्रिपरेटरी (प्रारंभिक), मिडिल (मध्य) और सेकेंडरी स्तरों पर छात्र-शिक्षक अनुपात (पीटीआर) अब क्रमशः 10, 13, 17 और 21 है, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अनुशंसित 1:30 के अनुपात से काफ़ी बेहतर है। बढ़ा हुआ छात्र-शिक्षक अनुपात शिक्षकों और छात्रों के बीच अधिक व्यक्तिगत ध्यान और मज़बूत अंतःक्रिया को सुगम बनाता है, जिससे बेहतर शिक्षण अनुभव और बेहतर शैक्षणिक परिणाम प्राप्त होते हैं।
स्कूल छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में कमी
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में पिछले दो वर्षों 2022-23 और 2023-24 की तुलना में प्रारंभिक, मध्य और माध्यमिक स्तरों पर स्कूल छोड़ने की दर में उल्लेखनीय कमी आई है। प्रारंभिक चरण में, यह दर पिछले वर्ष की तुलना में 3.7 प्रतिशत से घटकर 2.3 प्रतिशत, मध्य चरण में 5.2 प्रतिशत से घटकर 3.5 प्रतिशत और माध्यमिक स्तर पर 10.9 प्रतिशत से घटकर 8.2 प्रतिशत हो गई है। गिरावट का यह रुझान बेहतर छात्र प्रतिधारण दर्शाता है और बच्चों को उनकी शिक्षा चर्या में पूर्ण संलग्नता के उद्देश्य पहल की सफलता को दिखाता है। सभी स्तरों पर लगातार इसमें आई कमी से पता चलता है कि स्कूल छात्रों की आवश्यकताओं के प्रति अधिक सहायक और उत्तरदायी हो रहे हैं। इससे उन्हें स्कूली शिक्षा से जल्द निकलने से रोकने में मदद मिल रही है।
बेहतर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर)
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के दौरान मध्य और माध्यमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। मध्य स्तर पर जीईआर 2023-24 में 89.5 प्रतिशत से बढ़कर अब 90.3 प्रतिशत हो गया है, जबकि माध्यमिक स्तर पर यह 66.5 प्रतिशत से बढ़कर 68.5 प्रतिशत पहुंच गया है। यह बढ़ोतरी शिक्षा तक बेहतर पहुंच और उच्च कक्षाओं में छात्रों की बढ़ती भागीदारी को दर्शाती है। जीईआर में निरंतर वृद्धि स्कूल प्रणाली में महत्वपूर्ण संक्रमण बिंदुओं पर व्यापक शैक्षिक समावेशन और प्रतिधारण की दिशा में प्रगति का सकारात्मक संकेतक है।
शून्य नामांकन और एकल शिक्षक वाले स्कूलों में कमी
भारतीय स्कूली शिक्षा प्रणाली में शून्य नामांकन वाले स्कूलों के साथ ही एकल शिक्षक वाले स्कूलों की भी विशेषताएं दर्ज की गई हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि शून्य नामांकन वाले स्कूलों के साथ-साथ एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में भी लगातार कमी आई है। यूडीआईएसई प्लस के निष्कर्ष, स्कूलों में शिक्षकों के उचित आवंटन की नीति और उसे युक्तिसंगत बनाने में सहायक हैं, जिससे छात्र शिक्षक अनुपात का विवेकपूर्ण संतुलन बना रहे। जैसा कि विवरण में प्रस्तुत है, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष एकल शिक्षक वाले स्कूलों की संख्या में लगभग 6 प्रतिशत की कमी आई है। इसी प्रकार, शून्य नामांकन वाले स्कूलों की संख्या में भी लगभग 38 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
कंप्यूटर-युक्त स्कूलों की संख्या में वृद्धि
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में स्कूली बुनियादी ढांचे, विशेष तौर पर डिजिटल सुविधा प्रदान करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति रही है। सबसे उल्लेखनीय सुधारों में कंप्यूटर-युक्त स्कूलों की संख्या में बढ़ोतरी है, जो वर्ष 2023-24 में 57.2 प्रतिशत की तुलना में इस वर्ष बढ़कर 64.7 प्रतिशत हो गई है। यह बढ़ोतरी कक्षाओं में प्रौद्योगिकीकरण, डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने और छात्रों को तकनीक-संचालित भविष्य के लिए तैयार करने पर अधिक ध्यान दिये जाने को दर्शाती है। डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार अधिक आधुनिक और समावेशी शिक्षण वातावरण निर्मित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
इंटरनेट सुविधा से युक्त स्कूलों की संख्या में बढ़ोतरी
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में स्कूलों में इंटरनेट सुविधाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले स्कूलों का प्रतिशत पिछले वर्ष के 53.9 प्रतिशत से बढ़कर अब 63.5 प्रतिशत हो गया है। यह उल्लेखनीय सुधार डिजिटल बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ करने, ऑनलाइन संसाधनों, डिजिटल सामग्री और प्रौद्योगिकी-सक्षम शिक्षण विधियों के बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करने पर बढ़ते ध्यान को दर्शाता है।
महिलाओं का बेहतर प्रतिनिधित्व
शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में महिला शिक्षकों के प्रतिनिधित्व में भी बढ़ोतरी हुई है, और कुल शिक्षण कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 54.2 प्रतिशत हो गई है। रिपोर्ट मेंं कहा गया है कि शिक्षा क्षेत्र में लैंगिक संतुलन की दिशा में यह एक सकारात्मक परिवर्तन है, जो शिक्षण पेशे में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के प्रयासों में सफलता दिखाती है। महिला शिक्षकों की बढ़ती उपस्थिति स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर समावेशी, सहायक और लैंगिक-संवेदनशील शिक्षण वातावरण निर्मित करने में महत्वपूर्ण है। शैक्षणिक वर्ष 2024-25 में स्कूलों में महिला शिक्षकों और कर्मियों के प्रतिनिधित्व में सकारात्मक वृद्धि रही है, जहां लड़कियों का नामांकन पिछले वर्ष के 48.1 प्रतिशत से बढ़कर अब 48.3 प्रतिशत हो गया है। हालांकि यह सुधार मामूली है, लेकिन यह शिक्षा में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और सभी स्तरों पर लड़कियों की बेहतर पहुंच और भागीदारी सुनिश्चित करने के चल रहे प्रयासों को दर्शाता है।