CG MBBS–BDS Admission: एमबीबीएस और बीडीएस की खाली सीटों में चॉइस फीलिंग के लिए तीन दिन बढ़ी तारीख

CG MBBS–BDS Admission: एमबीबीएस और बीडीएस कॉलेजों में प्रथम चरण के बाद खाली सीटों के लिए चॉइस फीलिंग की तिथि 18 सितंबर थी। जिसे तीन दिन बढ़ाते हुए 21 सितंबर तक कर दी गई है। बता दे एमबीबीएस की 428 सीटें वर्तमान में रिक्त हैं।

Update: 2024-09-19 07:49 GMT

CG MBBS–BDS Admission रायपुर। प्रदेश की मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में प्रथम चरण की काउंसलिंग पूरी होने के बाद 428 सीटें रिक्त हैं। जिसके लिए 9 से 18 सितंबर तक ऑनलाइन चॉइस फिलिंग करने का मौका दिया गया था। जिसे तीन दिन आगे बढ़ाते हुए 21 सितंबर तक कर दिया गया है। मेडिकल एवं डेंटल कॉलेज में प्रवेश के लिए 5738 अभ्यर्थियों ने अपना पंजीयन करवाया था।

मेडिकल कॉलेज और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस एवं बीडीएस सीट में प्रवेश के लिए पहले चरण में 1967 बच्चों को कॉलेज आबंटित किए गए थे। इनमें से 1602 बच्चों ने आबंटित कॉलेजों में प्रवेश लिया। 363 बच्चों ने आबंटन के बाद भी संबंधित् कॉलेजों में उपस्थिति नहीं दी थी। पहले चरण की प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद एमबीबीएस की 428 सीटें अब भी खाली हैं। इसमें एनआरआई और सेंट्रल कोटे की सीट शामिल है।

5738 का हुआ पंजीयन

मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों में प्रवेश के लिए नीट परीक्षा देने वाले 5738 बच्चों ने पंजीयन कराया है। सीटें रिक्त होने के बाद पंजीकृत बच्चों द्वारा चॉइस फिलिंग की जा रही है। पहले चरण के आबंटन में नीट की स्टेट रैंकिंग 5731 तक गई है। रायपुर मेडिकल कॉलेज में 230 सीटें हैं। इसमें एनआरआई और सेंट्रल कोटा भी शामिल है। पहले चरण में 184 बच्चों को सीट आबंटित हुई थी। इनमें से 158 बच्चों ने प्रवेश लिया है। रिक्त सीटों के लिए दूसरे चरण की प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। चॉइस फिलिंग के लिए 18 सितंबर अंतिम तिथि निर्धारित की गई थी किन्तु इसे बढ़ाकर 21 सितंबर कर दिया गया है। चॉइस फिलिंग के बाद 23 व 24 सितंबर को मेरिट के आधार पर सीट आबंटित की जाएगी। 25 सितंबर को रिजल्ट प्रकाशित किया जाएगा।

चयनित विद्यार्थियों को आबंटित कॉलेजों में 26 सितंबर से 1 अक्टूबर तक प्रवेश की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके बाद भी सीटें रिक्त होने की स्थिति में तीसरे चरण के लिए 9 से 14 अक्टूबर तक चॉइस फिलिंग की जाएगी। इसी तरह प्रदेश के डेंटल कॉलेजों के लिए 335 बच्चों का आबंटन हुआ था। इनमें से 174 बच्चों का ही प्रवेश हो पाया था।

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