CG Land Diversion News: नामांतरण के बाद डायवर्सन में भी होगा बड़ा सुधार, 15 दिनों में डायवर्सन नहीं होने पर 16 वें दिन होगा ऑटोमैटिक डायवर्सन

CG Land Diversion News: नामांतरण के बाद डायवर्सन में भी होगा बड़ा सुधार, 15 दिनों में डायवर्सन नहीं होने पर 16 वें दिन होगा ऑटोमैटिक डायवर्सन

Update: 2025-12-13 15:43 GMT

CG Land Diversion News: रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन के डायवर्सन को लेकर आम लोगों की सबसे बड़ी परेशानी जल्द खत्म होने वाली है। राज्य सरकार ने डायवर्सन की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन करने का फैसला किया है, जिससे अब किसानों और भूमि स्वामियों को गांव से लेकर शहर तक एसडीएम कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। नई व्यवस्था का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है और दावा-आपत्ति की प्रक्रिया पूरी होते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।

घर बैठे होगा आवेदन, ऑनलाइन ही जमा होगा शुल्क

नई प्रणाली के तहत भूमि स्वामी को डायवर्सन के लिए सरकारी पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ ही क्षेत्र के अनुसार तय भू-राजस्व और प्रीमियम राशि का भुगतान भी ऑनलाइन किया जाएगा।आवेदन सीधे संबंधित जिले के एसडीएम के पास डिजिटल माध्यम से पहुंचेगा, जिससे फाइलों के अटकने की गुंजाइश खत्म हो जाएगी।

15 दिन की समयसीमा, देरी हुई तो ऑटोमैटिक मंजूरी

नए नियमों के अनुसार एसडीएम को 15 दिनों के भीतर डायवर्सन आदेश जारी करना अनिवार्य होगा। यदि इस अवधि में आदेश जारी नहीं होता है, तो 16वें दिन सिस्टम अपने आप आदेश जारी कर देगा और डायवर्सन स्वतः मान्य माना जाएगा। इस प्रावधान से समयसीमा तो तय होगी ही, साथ ही अनावश्यक देरी पर भी लगाम लगेगी।

नए नियमों पर 15 दिन तक दावा-आपत्ति

डायवर्सन प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से सरकार ने छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता (व्यपवर्तित भूमि के लिए भू-राजस्व का निर्धारण तथा पुनर्निधारण) नियम, 2025

तैयार किया है। इन नियमों पर 15 दिनों तक दावा-आपत्ति आमंत्रित की गई है। आपत्तियों के निराकरण के बाद नियमों को अंतिम रूप देकर लागू किया जाएगा।

एसडीएम दफ्तर के चक्कर होंगे खत्म

अब तक डायवर्सन की प्रक्रिया लंबी और जटिल मानी जाती रही है। आवेदन के बाद एसडीएम को आदेश जारी करने के लिए 60 दिन तक का समय मिलता था, फिर भी लोगों को बार-बार कार्यालय जाना पड़ता था। इसी वजह से प्रदेश भर में डायवर्सन के हजारों मामले लंबित हैं। नई ऑनलाइन व्यवस्था से न केवल इन मामलों के तेजी से निपटारे की उम्मीद है, बल्कि अघोषित लेन-देन पर भी प्रभावी रोक लगने की संभावना जताई जा रही है।

प्रीमियम दरें तय, उपयोग और क्षेत्र के हिसाब से शुल्क

नई व्यवस्था के तहत डायवर्सन के लिए प्रीमियम दरें निर्धारित की गई हैं, जो 3 रुपये प्रति वर्गमीटर से लेकर 25 रुपये प्रति वर्गमीटर तक होंगी। ये दरें नगर निगम,नगरपालिका,नगर पंचायत,ग्रामीण क्षेत्रों के अनुसार अलग-अलग लागू होंगी।

इसके अलावा आवासीय उपयोग,कॉलोनी परियोजनाएं,वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियां,मिश्रित उपयोग,सार्वजनिक और संस्थागत प्रयोजन,चिकित्सा सुविधाएं, विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) के लिए भी अलग-अलग प्रीमियम दरें तय की गई हैं।

सरकार का दावा: पारदर्शिता और समयबद्धता बढ़ेगी

राज्य सरकार का कहना है कि इस नई डिजिटल व्यवस्था से जमीन डायवर्सन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, समयबद्ध और आम लोगों के लिए सहज हो जाएगी। खासकर किसानों और छोटे भूमि स्वामियों को इससे बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।

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