CG High Court News: पत्नी पर अवैध संबंध के झूठे आरोप को हाई कोर्ट ने माना मानसिक क्रूरता, पति को दी ये सलाह

पति ने पत्नी पर बहनोई से अवैध संबंध और व्यभिचार का आरोप लगाकर तलाक की मांग की। आरोप के संबंध में याचिकाकर्ता पति कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाया। बिना प्रमाण पत्नी पर चरित्रहीनता के आरोप लगाने को मानसिक क्रूरता मानते हुए हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

Update: 2025-06-29 10:36 GMT

CG High Court News

CG High Court News: बिलासपुर। पति ने पत्नी पर बहनोई के साथ नाजायज संबंध होने का गंभीर आरोप लगाते हुए त्लाक की माँग की थी. दायर याचिका में कहा कि उनकी अनुपस्थिति में बहनोई को ससुराल बुलाकर संबंध बनाने का आरोप लगाया।

याचिका में कहा है कि पत्नी नए पुरुषों के साथ रह रही है और गलत संगत में है.इसका प्रभाव बच्चों पर पड़ेगा। पति अपने आरोपों की पुष्टि के संबंधमें कोई प्रमाण या तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाया। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने पत्नी पर चरित्रहीनता और व्यभिचार के आरोप लगाने को मानसिक क्रूरता माना है। फैमिली कोर्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए पति द्वारा तलाक के लिए दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।

याचिकाकर्ता पति का 24 जून 2012 को हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार विवाह हुआ था। विवाह के बाद दो बच्चे पैदा हुए, जिनमें एक बेटी और एक बेटा हैं। वर्तमान में बच्चे पत्नी के साथ रह रहे हैं। विवाह के 4-5 वर्षों बाद पति-पत्नी में झगड़े होने लगे और उनका आपस में व्यवहार बहुत ही खराब हो गया । पत्नी 2018 में बच्चों को लेकर अपने मायके चली गई। पति ने परिवार न्यायालय में तलाक के लिए आवेदन दिया। आवेदन में कहा कि, पत्नी का दूसरे बच्चे के जन्म के पश्चात व्यवहार उपेक्षापूर्ण एवं अपमानजनक हो गया। उसे एवं परिवार के सदस्यों को बिना बताए घर से बाहर जाने लगी तथा बाहर अधिक समय बिताने लगी। पति ने कहा कि उसकी अनुपस्थिति में वह बहनोई को ससुराल बुलाती थी तथा उसके साथ समय गुज़ारती थी।

पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दाखिल कर कहा कि पत्नी नए पुरुषों के साथ रह रही है और गलत संगत में पड़ रही है। इसलिए इस बात की आशंका है कि इसका बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। हालांकि इन सब आरोपों पर पति कोई प्रमाण या तथ्य प्रस्तुत नहीं कर पाया। जिसके चलते फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका खारिज कर दी।

परिवार न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए पति ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि पति ने पवित्रता पर आरोप लगाया है। बिना प्रमाण यदि चरित्र की शुद्धता पर आरोप लगाया जाता है तो यह पति द्वारा पत्नी के विरुद्ध मानसिक क्रूरता के समान है। फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए पति की तलाक की अर्जी को खारिज कर दी है।

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