CG Congress Politics: कांग्रेस में घमासान, खरगे दे गए एकता की सीख, मगर बिलासपुर में कांग्रेसियों को संभालना टेढ़ी खीर

CG Congress Politics: बिलासपुर में जिला कांग्रेस अध्यक्षों में तालमेल नहीं, निष्कासन के मामले भी विवादित। नए जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों के लिए फिर होगा बड़े नेताओं में घमासान।

Update: 2025-07-09 13:50 GMT

CG Congress Politics

CG Congress Politics: बिलासपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने रायपुर की सभा और बैठक में कांग्रेसियों को एकता की सीख दी है। यह सीख प्रदेश नेताओं के साथ जिले व संभाग के नेताओं के लिए भी है। सीख का कितना असर दिखेगा, यह तो भविष्य में पता चलेगा। इसके विपरीत बिलासपुर संभाग में कांग्रेसियों को संभालना टेढ़ी खीर जैसा ही है। यहां का हर प्रदेश स्तरीय नेता उत्तर- दक्षिण की ओर भागता दिखता है। उम्मीद की जा रही है कि ब्लॉक के बाद जिला स्तर पर शहर व ग्रामीण अध्यक्षों की नियुक्तियों का काम तेज होगा, लेकिन बड़े नेताओं के बीच घमासान भी हो सकता है।

विधानसभा चुनाव में प्रदेश के अन्य जिलों की तरह बिलासपुर जिले में मस्तूरी व कोटा सीट को छोड़ कर बाकी विधानसभा सीटों से कांग्रेस का सफाया हो चुका है। संभाग में केवल जांजगीर जिले ने कांग्रेस की लाज बचाई है। बिलासपुर जिले में गलत टिकट वितरण के बाद कांग्रेसियों में सामंजस्य न होने के कारण पराजय मिला। हालांकि अब विधानसभा चुनाव में वक्त है, मगर संगठन अब तक पटरी पर नहीं लौट सका है। संगठन में पदाधिकारी ही एक दूसरे को निपटाने में जुटे हुए हैं। कई लोगों का चुनाव के बाद निष्कासन किया गया है, लेकिन इसके आदेश पर भी विवाद हो चुका है।

जिला कांग्रेस अध्यक्ष बनाना चुनौतीपूर्ण-

बिलासपुर जिले में अभी शहर अध्यक्ष विजय पांडेय और ग्रामीण जिला अध्यक्ष विजय केशरवानी हैं। नए संगठन के अनुसार अब दो ग्रामीण और एक शहर अध्यक्ष का चुनाव होगा। जिले की राजनीति में बदली राजनीतिक परिस्थिति में नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव का दखल ज्यादा है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से दीपक बैज की भी कमान यहां है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अब बिलासपुर की स्थानीय राजनीति में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं। चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है तो महंत और सिंहदेव खेमे के नेताओं के बीच ही घमासान होगा। पूर्व विधायक शैलेश पांडेय जिला अध्यक्ष के एक दावेदारों में शामिल हैं। इनके अलावा प्रदेश संगठन में पदाधिकारी रहे कुछ नेता जिला अध्यक्ष बनने के उत्सुक हैं। वर्तमान अध्यक्षों को दोहराए जाने की उम्मीद बिल्कुल नहीं है।

जिले से पहले ब्लॉक अध्यक्षों का चुनाव-

बिलासपुर जिले में वर्तमान ब्लॉक अध्यक्षों की हालत भी ठीक नहीं है। ज्यादातर ब्लाक अध्यक्ष विवादित हो चुके हैं या निष्क्रिय हैं। कोटा, तखतपुर, रतनपुर जैसे ब्लॉकों में कांग्रेस गायब है। इनमें से कुछ ने पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाया था, उसमें हार के बाद वे घर बैठ गए हैं। एक ब्लॉक में ससुर और बहू के पास ही पूरे संगठन की कमान चली गई है। एक ब्लॉक अध्यक्ष तो आठ साल से पद पर काबिज हैं, मगर संगठन ने कभी बदलने की दिशा में विचार ही नहीं किया है। संगठन के जानकार नेताओं का कहना है कि यदि कांग्रेस को मैदान में वापसी करनी है, जनता के बीच दिखना है तो उसे सबसे पहले ब्लॉक अध्यक्षों का चयन ठोंक- बजा कर करना होगा। तभी जनता के मुद्दों पर कांग्रेस जीवंत दिखेगी और आगामी चुनावों में परिणाम दिख सकता है।

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