CG Bilaspur Court News: SDM ने 21 एकड़ जमीन को बताया घास जमीन, कमिश्नर ने नक्शा किया निरस्त, करा दी एफआईआर, अदालत ने उठाए गंभीर सवाल

CG Bilaspur Court News: नगर निगम की कार्यप्रणाली पर जिला अदालत ने गंभीर सवाल खड़ा किया है। जिस जमीन पर निगम के भवन अधिकारी ने आवासीय प्रायोजन के लिए नक्शा पास किया था, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने सहमति दी थी, एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर निगम कमिश्नर ने नक्शा निरस्त करने के साथ ही सरकारी अधिकारी के खिलाफ एफआईआर करा दी।

Update: 2025-10-28 11:40 GMT

CG Bilaspur Court News:   बिलासपुर। विजय कुमार साहू की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद निचली अदालत ने सशर्त जमानत दे दी है। बता दें कि एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर जब निगम आयुक्त ने नक्शा को निरस्त कर दिया था,तब इसे याचिकाकर्ता विजय साहू ने हाई कोर्ट में चुनाैती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कमिश्नर के आदेश को एकपक्षीय करार देते हुए रद्द कर दिया था। निगम ने याचिकाकर्ता के खिलाफ फर्जी दस्तावेज के आधार पर नक्शा पास करने का आरोप लगाते हुए सरकंडा थाने में एफआईआर दर्ज कराया है। गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से निचली अदालत में जमानत आवेदन पेश किया था। आवेदन पर सुनवाई के बाद निचली अदालत ने सशर्त जमानत दे दी है।

आवेदक ने अपनी जमानत आवेदन में कोर्ट को बताया है कि उसने 10 मई 2012 को खसरा नंबर 559/2/थ में से 3492 वर्गफुट खुली आवासीय जमीन राजकुमारी यादव पति बीआर यादव से खरीदी थी। जमीन खरीदी के दौरान पटवारी द्वारा किश्तबंदी खतौनी 22 बिंदु का प्रतिवेदन पेश करते हुए भूमि आवासीय एवं भूमि विक्रेता राजकुमारी यादव के स्वामित्व की जानकारी दी थी। आवासीय जमीन खरीदी के पश्चात आवेदक ने नामांतरण प्रकरण 247, आदेश 06 सितंबर 2012 के तहत अपना नाम राजस्व रिकार्ड में दर्ज करवा लिया। उपरोक्त भूमि अभी तक खसरा, पांचसाला एवं राजस्व रिकार्ड में आवेदक के नाम पर दर्ज है। उक्त भूमि के लिये ऋण पुस्तिका अतिरिक्त तहसीलदार बिलासपुर द्वारा 03 दिसंबर 2012 को जारी किया गया। उपरोक्त भूमि को राजकुमारी यादव ने 15 मई 1990 को पंजीकृत विक्रयपत्र के द्वारा धनसिंह आ गोकुल सिंह से खरीदी थी, तभी से भूमि आवासीय रुप में दर्ज थी।

उसने आवासीय निर्माण के लिए नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय में उक्त भूमि खसरा नंबर 559 के संबंध में भूमि उपयोगिता प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु आवेदन किया था। जिस पर सयुक्त संचालक नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय द्वारा 19 जून 2024 को ऑनलाइन खसरा नंबर 559, प०ह०नं० 25, ग्राम खमतराई के लिये आवासीय भूमि के रुप में उपयोगिता प्रपत्र दी गयी। सभी दस्तावेजों को प्रापत करने के पश्चात नगर निगम कार्यालय के भवन शाखा में संपर्क किया गया तब भवन अधिकारी सुरेश कुमार शर्मा के द्वारा सारे दस्तावेजों को अपने पास रख लिया गया, उसके पश्चात उनके द्वारा स्थल निरीक्षण कराया गया जिसके सम्यक निरीक्षण पश्चात 30/09/2024 को संपत्ति कर के रुप में 2447/- रुपये की मांग की गयी तथा 30/09/2025 की तिथि तक प्राप्त की गयी जिसके पश्चात इस बीच में उनके द्वारा अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष भूमि व्यपवर्तन हेतु आवेदन के निर्धारित प्रपत्र में आवेदन अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष दिनांक 08/07/2024 को प्रस्तुत किया, उस पर विचार करते हुए अनुविभागीय अधिकारी द्वारा दिनांक 02/08/2024 को प्रकरण दर्ज कर निर्धारण हेतु दिनांक 27/04/2024 की तिथि निर्धारित की गयी इसी दौरान अनुविभागीय अधिकारी द्वारा राजस्व निरीक्षक से 16/07/2024 का प्रतिवेदन प्राप्त किया गया जिसका राजस्व निरीक्षक द्वारा आवेदक की भूमि 559/2/थ/1 को आवासीय भूमि दर्शाते हुए लगान के रुप में 6424/- रुपये वार्षिक पुर्ननिर्धारित एवं प्रीमियम 4869/- रुपये का उपकर 423/-रुपये पर्यावरण उपकरण 723/- रुपये प्रस्तावित किया गया ।

अनुविभागीय अधिकारी के कोर्ट में 15 अक्टूबर 2024 को प्रस्तुत किया गया, उसकी अनुपस्थिति एवं लिंक दस्तावेजों के अभाव के कारण एसडीएम ने प्रकरण खारिज एवं नस्तीबद्ध कर दिया। इस बात की जानकारी उसे प्राप्त नहीं हो पायी। इस दौरान नगर निगम के भवन अधिकारी सुरेश कुमार शर्मा के द्वारा विकास शुल्क 3,7857// रु. पटाने हेतु उसे निर्देशित किया गया, जिसे द्वारा जमा कर दिया गया और नगर निगम द्वारा 20 जून 2025 को भवन अनुज्ञा की स्वीकृति प्रदान की गयी। यह अनुज्ञा आवेदन उसके द्वारा प्रस्तुत रजिस्ट्री पेपर बिलासपुर विकास योजना (पुर्नविलोकन) 2031 नगर निवेश द्वारा घोषित आवासीय उपयोग के प्रमाण पत्र के आधार पर अनुमति प्रदान की गयी।

कलेक्टर के निर्देश पर कमिश्नर ने एसडीएम से जांच कराई।अनुविभागीय अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि ख.नं. 559/2 में से 21.88 एकड़ भूमि घास भूमि के रूप में दर्ज है। जबकि यहां यह बताया जाना उचित होगा कि उक्त पूरा खसरा 559 बिलासपुर विकास योजना (पुर्नविलोकन) 2031 के तहत आवासीय घोषित किया जा चुका है। अनुविभागीय अधिकारी के प्रतिवेदन के बाद आयुक्त ने भवन अनुज्ञा का 08 सितंबर 2025 को यह कहकर निरस्त कर दिया कि उसकी भूमि का खसरा 559/2/थ/1 घास भूमि दर्ज है। इस संबंध में उसे किसी भी प्रकार का सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।

कमिश्नर के आदेश को हाई कोर्ट में दी चुनौती

कमिश्नर के आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता भूमि स्वामी विजय कुमार साहू ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने बताया कि एसडीएम की रिपोर्ट के आधार पर कमिश्नर ने एक पक्षीय कार्रवाई कर दी है। आदेश जारी करने से पहले सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने निगम आयुक्त द्वारा जारी आदेश को निरस्त कर दिया।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को दी ये जानकारी

आयुक्त ने उप अभियंता जुगल किशोर के माध्यम से एक रिपोर्ट दर्ज करायी थी कि आवेदक द्वारा घांस भूमि पर एवं अन्य खसरा नंबर 417/20 को प्रस्तुत कर दूरभि-संधि कर भवन अनुज्ञा प्राप्त किया है। जिस पर बिना प्रारंभिक जांच के आवेदक के ऊपर पुलिस ने धारा 318(4), 336(3), 332 एवं 340 (2) भा. न्या.सं. के तहत एफआईआर दर्ज किया।

निगम ने झूठे दस्तावेज के आधार पर पुलिस में की शिकायत

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने दस्तावेज पेश करते हुए कोर्ट को बताया कि नगर निगम ने जिस दस्तावेज ख.नं. 417/20 का जिक्र आवेदक द्वारा प्रस्तुत करने का आरोप लगाया है, उस दस्तावेज को आवेदक द्वारा प्रस्तुत ही नहीं किया गया है एवं यह खसरा नंबर आवेदक के नाम से भी दर्ज नहीं है। जो नक्शा नगर निगम द्वारा पास किया गया है वह ख.नं. 559/2/1/1 है और जिस आधार पर प्रकरण दर्ज है उसके लिए आवश्यक है जो भी फर्जी दस्तावेज दर्ज होगा, उसका उपयोग फर्जी दस्तावेज के रूप में किया गया होगा। ख.नं. 559/2 एवं 559/1 में अन्य बहुत से लोगों की भूमि का उपयोग डायवर्सन हो चुका है। यह वेबसाइट में दर्ज है। अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता का समाज में प्रतिष्ठा है। झूठी शिकायत और झूठे दस्तावेजाें के आधार पर पुलिस ने बिना पड़ताल किए एफआईआर दर्ज कर लिया है। पुलिस और नगर निगम के अफसरों की मंशा भी साफ दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में अगर याचिकाकर्ता को पुलिस गिरफ्तार करती है तो समाज में उसकी छवि खराब होगी। याचिकाकर्ता यहां का स्थायी निवासी है जहां उसके नाम पर चल व अचल संपत्ति विद्यमान है, जिससे उसके कहीं अन्यत्र फरार एवं पलायन करने की कोई संभावना नहीं है। आवेदक पुलिस के उक्त कृत्य से अकारण गिरफ्तार होने की संभावना से भयभीत है। अधिवक्ता ने कहा कि आवेदक को जमानत का लाभ दिया जाता है तो वह न्यायालय की समस्त आदेशों एवं निर्देशों का पालन करने हेतु तैयार रहेगा।

भवन अधिकारी ने जांच के बाद शिकायत को पाया फर्जी

आवेदक के विरुद्ध नीरज पटेल ने नगर निगम बिलासपुर के तत्कालीन भवन अधिकारी सुरेश शर्मा एवं आर्किटेक्ट नरेंद्र कुमार कुर्रे पर भूमि स्वामी विजय साहू से मिलकर फर्जी नक्शा स्वीकृत कराने की शिकायत कलेक्टर से की थी। कलेक्टर के निर्देश पर नगर पालिका निगम के भवन विभाग के विभाग प्रमुख अनुपम तिवारी द्वारा जांच की गई और 11 जुलाई 2025 को स्थल निरीक्षण करने पर यह पाया गया कि विजय कुमार साहू द्वारा किसी नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है और उक्त भूमि घास भूमि/शासकीय भूमि होने के संबंध में शिकायत निराधार होना पाते हुए नस्तीबद्ध किया गया।

आयुक्त की कार्रवाई पर अदालत ने उठाए गंभीर सवाल

आयुक्त नगर निगम द्वारा अपने उक्त भवन अनुज्ञा निरस्त आदेश में सर्वाधिक दिलचस्प तथ्य यह है कि सर्वप्रथम तो जो खसरा नंबर 559/2 की भूमि मिसल बंदोबस्त 1929-30 में घास भूमि बतायी गयी है, वह 1955-56 के जमा बंदी खतौनी में भूमि स्वामी के रुप में परिवर्तित होना दर्शित है, इस भांति जो भूमि मिसल बंदोबस्त 1929-30 में घास भूमि दर्ज थी, वह 1955-56 के राजस्व दस्तावेजों में भूमि स्वामी के रुप में दर्ज हो गयी थी। ऐसी स्थिति में आयुक्त नगर निगम का, आवेदक को बिना सुनवाई का मौका दिये बिना एकतरफा रुप से मिसल बंदोबस्त 1929-30 के घास भूमि को आधार मानते हुए भवन अनुज्ञा पारित किया जाना विधि की दृष्टि में उचित नहीं था। इस संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा अपने रिट पिटीशन के माध्यम से नगर निगम बिलासपुर को आदेशित भी किया है कि सम्यक सुनवाई का अवसर देने के पश्चात ही जांच उपरांत पुनः आदेश पारित करें। इसके अतिरिक्त यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि यद्यपि 1955-56 के राजस्व दस्तावेजों के अनुसार खसरा नंबर 559/2 की भूमि, भूमि स्वामी के रुप में दर्ज होना दर्शित है। यदि कल्पना के लिये थोड़ी देर के लिये मान भी लिया जाए कि खसरा नंबर 559/2 की भूमि वर्तमान में घास भूमि है तो भी अनुविभागीय अधिकारी के प्रतिवेदनानुसार खसरा नंबर 559/2 जो कि 56 एकड़ में समाहित है, में से 26.80 एकड़ भूमि ही मिसल बंदोबस्त अनुसार घास भूसि बतायी गयी हैं, तो ऐसी स्थिति में क्या आवेद की भूमि जो कि 3492.5 वर्गफीट भूमि क्या 26.80 एकड़ की घास भूमि के अंतर्गत आती है। जिसके आधार पर आयुक्त नगर निगम द्वारा भवन अनुज्ञा आदेश निरस्त किया गया है। इस संबंध में राजस्व दस्तावेज मौन है। इस बात की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि वास्तव में आवेदक की भूमि 3492.5 वर्गफीट 26.80 एकड़ की घास भूमि को छोड़कर 56 एकड़ की शेष भूमि के अंतर्गत आती हो । इस संबंध में आयुक्त नगर निगम के द्वारा भवन अनुज्ञा निरस्ती आदेश जारी करने के पूर्व कोई जांच की गई हो, ऐसा कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कराया गया है।

कोर्ट ने कहा कि जहां तक आवेदक द्वारा व्यपवर्तन हेतु 16 जुलाई 2024 को अपने स्वामित्व की भूमि खसरा नंबर 559/2/थ/1 रकबा 3492.5 वर्गफीट के आनलाइन आवेदन के साथ जो खसरा नंबर 417/20 रकबा 0.0320 हेक्ट. का फर्जी व कूटरचित दस्तावेज पेश करने के आधार पर प्रकरण दर्ज किया जाना बताया गया है, ऐसी स्थिति में खसरा नंबर 417/20 का दस्तावेज स्वयं का होना बताते हुए व्यपवर्तन हेतु आवेदन किया जाता तो स्वाभाविक रुप से खसरा नंबर 417/20 के ही नाम से भवन अनुज्ञा आवेदक के नाम से जारी होती, परंतु उक्त खसरा नंबर की कोई भूमि आवेदक के नाम पर है ही नहीं और आवेदक को जो भवन अनुज्ञा प्राप्त हुई है, वह खसरा नंबर 559/2/थ/1 के संबंध में है। वैसी स्थिति में न्यायालय यह समझने में असमर्थ है कि एक ऐसा खसरा नंबर 417/20 जो कि आवेवक के स्वामित्व का होना बताते हुए कूटरचित रुप से आवेदक के आर्किटेक्ट द्वारा अपनी आईडी से नगर निगम में फाइल किया गया था, यदि वह जांच के दौरान पाया जाता है कि उक्त खसरे की भूमि आवेदक के नाम पर है ही नहीं तो आवेदक के पक्ष में खसरा नंबर 559/2/थ/1 के संबंध में भवन अनुज्ञा जारी होती और निश्चित रुप से नगर निगम कार्यालय द्वारा यह पाते हुए कि खसरा नंबर 417/20 आवेदक के स्वामित्व का दस्तावेज ही नहीं है, खारिज कर दिया जाता।

इसके अतिरिक्त महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि खसरा नंबर 559/2 जिसको घास भूमि नगर निगम बता रहा है उसके संबंध में आवेदक के अधिवक्ता द्वारा आनलाइन भूमि स्वामी हक में व्यपवर्तन होकर वेबसाइड में दर्ज होना दर्शित कराया गया है तथा स्वयं ही प्रार्थी द्वारा दर्ज कराये गये प्रथम सूचना रिपोर्ट में उल्लेखित कराया गया है कि नगर पालिका निगम के द्वारा सम्यक जांच उपरांत ही नगर निवेश कार्यालय के मापदंड के अनुसार आवेदक के पक्ष में खसरा नंबर 559/2/थ/1 पहनं 25 ग्राम खमतराई की भवन अनुज्ञा 20 जून 2025 को प्रदान की गई है।

अदालत ने दी सशर्त जमानत

चूंकि आवेदक को राजपत्रित शासकीय कर्मी होना बताया गया है तथा दर्शितः पते का स्थायी निवासी होना बताया गया है, जिससे उसके फरार होने की कोई संभावना नहीं है, विवेचना अधिकारी द्वारा आवेदक के अभिरक्षात्मक पूछताछ की आवश्यकता नहीं बतायी गयी है। इसके अतिरिक्त आवेदक द्वारा जमानत उपरांत अभियोजन पक्ष व साक्ष्य को किसी भी प्रकार से प्रलोभित, प्रताडित अथवा उत्पीडित कर उसे बदलवाने अथवा नष्ट करने का प्रयास नहीं करना बताया गया है। कोर्ट ने आवेदक को सशर्त जमानत दे दी है।

यदि आवेदक को थाना सरकण्डा के अपराध क्रमांक-1293/2025 अंतर्गत धारा 318 (4), 336(3), 338, 340 (2) बीएनएस में गिरफ्तार किया जाता है तो गिरफ्तार करने वाले अधिकारी की संतुष्टि योग्य 50,000 रुपये की सक्षम जमानत एवं इतनी ही राशि का स्वयं का बंध पत्र प्रस्तुत करने पर आवेदक विजय कुमार साहू को जमानत पर रिहा किया जावे।

जमानत की शर्तें

  • आवेदक मामले की विवेचना में सहयोग करेगा ।
  • आवेदक साक्षियों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित नहीं करेगा।
  • आवेदक प्रकरण के विचारण के दौरान नियमित रूप से न्यायालय के समक्ष उपस्थित रहेगा ।
  • आवेदक इस प्रकरण के समान अन्य कोई अपराध में पुनः संलिप्त नहीं होगा ।
  • आवेदक के द्वारा यदि उपरोक्त जमानत शतों का उल्लंघन किया जाता है तो उसको दी गयी जमानत निरस्त की जा सकेगी।
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