CG B.Ed Teachers Protest: रायपुर में शिक्षकों का घुटनों पर प्रदर्शन, पुलिसकर्मियों के साथ नोकझोंक, हाथ जोड़कर कर रहे न्याय की गुहार
CG B.Ed Teachers Protest: छत्तीसगढ़ के 2,897 बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षक अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। इन शिक्षकों ने अब राजधानी रायपुर के नवा रायपुर स्थित तूता धरना स्थल से मंत्रालय भवन तक पैदल मार्च निकाला।
CG B.Ed Teachers Protest: छत्तीसगढ़ के 2,897 बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षक अपनी मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। इन शिक्षकों ने अब राजधानी रायपुर के नवा रायपुर स्थित तूता धरना स्थल से मंत्रालय भवन तक पैदल मार्च निकाला। ये शिक्षक अपने समायोजन और बहाली की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं और सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
शिक्षकों की मांग और आंदोलन
बर्खास्त शिक्षकों का कहना है कि उन्हें नौकरी से निकालना उनके लिए एक बड़ा संकट है। उनकी मुख्य मांग है कि सरकार उनका समायोजन करे और उन्हें जल्द से जल्द बहाली प्रदान करे। 16 मार्च 2025 को अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ, छत्तीसगढ़ के बैनर तले एक विराट अनशन रैली का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में बर्खास्त शिक्षकों ने हिस्सा लिया। शिक्षकों ने अपना बोरिया-बिस्तर लेकर धरने पर बैठने का फैसला किया है और सरकार से अपनी मांगें मनवाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच तनाव
जब शिक्षकों ने तूता धरना स्थल से मंत्रालय भवन तक रैली निकाली, तो पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए रास्ते में बैरिकेड्स लगाए। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच नोकझोंक भी हुई। हालांकि, शिक्षकों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रदर्शन जारी रखा और अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने अपना पक्ष रखा।
शिक्षकों ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे। उनका कहना है कि उन्हें नौकरी से निकालना उनके और उनके परिवारों के लिए एक बड़ा आर्थिक और सामाजिक संकट है।
अब तक प्रशासन और सरकार की ओर से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। शिक्षकों ने सरकार से जल्द से जल्द उनकी मांगों पर ध्यान देने और उनकी समस्याओं का समाधान करने की अपील की है।
छत्तीसगढ़ के बर्खास्त B.Ed सहायक शिक्षकों का आंदोलन उनकी मजबूत इच्छाशक्ति और संघर्ष को दर्शाता है। उनकी मांगें सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती हैं, और अब यह देखना होगा कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है। शिक्षकों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे तब तक संघर्ष करते रहेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं।