Bilaspur TI Demotion: IG ने TI का किया डिमोशन... एक साल के लिए बनाया गया SI, जानिए क्या है पूरा मामला

Bilaspur TI Demotion: टीआई कलीम खान को विभागीय जांच के बाद एक साल के लिए डिमोशन देकर एसआई बना दिया गया है। यह आदेश आईजी ने जारी किया है.

Update: 2025-05-06 04:29 GMT

Bilaspur TI Demotion

Bilaspur TI Demotion: बिलासपुर। टीआई कलीम खान को धोखाधड़ी के एक आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने और केस कमजोर करने के एवज में पैसे मांगने और उसकी पत्नी से यौन शोषण के आरोप में डिमोशन कर दिया गया है। चार साल पुरानी शिकायत पर जांच के बाद बिलासपुर रेंज आईजी संजीव शुक्ला के द्वारा टीआई कलीम खान को पदावनत कर एक साल के लिए एसआई बना दिया गया है। कलीम खान वर्तमान में रेंज साइबर थाने अंबिकापुर में पदस्थ हैं।

पूरा मामला कलीम खान के बिलासपुर जिले में पदस्थापना के दौरान का है। कलीम खान बिलासपुर जिले में चकरभाठा, तारबाहर,सिविल लाईन,कोतवाली,सायबर सेल में पदस्थ रहे। तेज– तर्रार माने जाने वाले टीआई कलीम खान ने कई बड़े केस भी अपने कार्यकाल के दौरान सुलझाए, जिसमें चर्चित विराट अपहरणकांड भी शामिल रहा। पर कार्यकाल के दौरान उनका विवादों से भी नाता रहा। इस दौरान तत्कालीन विधायक शैलेश पांडे से भी उनका विवाद चर्चाओं में रहा।

बिलासपुर जिले में ही पदस्थ रहने के दौरान धोखाधड़ी के एक मामले में आरोपी को गिरफ्तार करने कलीम खान अपनी टीम के साथ दिल्ली गए हुए थे। इस दौरान आरोपी की गिरफ्तारी के बाद उसकी पत्नी को फोन और मैसेज के माध्यम से बुलवा केस कमजोर करने और जमानत दिलवाने के नाम पर रुपयों की मांग का आरोप कलीम खान पर लगा था। इसके अलावा आरोपी की पत्नी ने पति को छोड़ने की एवज में यौन शोषण का आरोप भी टीआई कलीम खान पर लगाया था। एसपी प्रशांत अग्रवाल के कार्यकाल के दौरान आरोपी पकड़ने जाने और रुपयों की मांग तथा यौन शोषण की शिकायत अगले एसपी दीपक झा की पदस्थापना के दौरान हुई थी। शिकायत मिलने पर एसपी दीपक झा ने डीएसपी स्तर के अधिकारी से मामले की प्रारंभिक जांच करवाई। प्रारंभिक जांच ( पीई) में मामला प्रमाणित हुआ। इस बीच एसपी दीपक झा का भी तबादला हो गया। दीपक झा के तबादले के बाद अगली बिलासपुर एसपी पारुल माथुर ने प्रारंभिक जांच प्रमाणित होने के चलते विभागीय जांच के आदेश दिए थे। विभागीय जांच पर मामला प्रमाणित हो गया।

4 साल बाद हुई कार्यवाही,एक साल तक रहेगा सजा का प्रभाव

मिली जानकारी के अनुसार यह पूरा मामला वर्ष 2020 का है। मेडिकल कॉलेज में एडमिशन दिलवाने के नाम से तीन आरोपियों ने मिलकर 82 लाख रुपए की ठगी कर ली। जिसके आरोपियों की गिरफ्तारी के सात माह बाद वर्ष 2021 में एक आरोपी की पत्नी ने टीआई कलीम खान के द्वारा पैसे मांगने और शारीरिक शोषण की शिकायत की। इस दौरान एसपी प्रशांत अग्रवाल थे। उक्त शिकायत उन्हीं के कार्यकाल की है। उनका तबादला होने के बाद अगले एसपी दीपक झा की पदस्थापना हो गई। उन्होंने मामले में प्रारंभिक इंक्वारी करवाया और प्रारंभिक जांच में मामला प्रमाणित पाए जाने तक उनका भी तबादला हो गया। फिर एसपी पारुल माथुर की पदस्थापना हो गई। प्राथमिक जांच में पूर्व से ही प्रमाणित होने के चलते उन्होंने विभागीय जांच के निर्देश दिए। पारुल माथुर के बाद संतोष सिंह एसपी बने। फिर रजनेश सिंह एसपी बन कर आए। तब तक विभागीय जांच भी चलती रही। अब विभागीय जांच प्रमाणित होने पर आईजी संजीव शुक्ला ने निरीक्षक कलीम खान को पदानवत कर एक वर्ष के लिए उप निरीक्षक बना दिया है।

यह हैं पूरा मामला

पूरा मामला कोनी थाने से जुड़ा हुआ है। वर्ष 2020 में प्रार्थी तरुण साहू ने एफआईआर करवाते हुए बताया है कि उनकी बेटी और रायगढ़ के उनके मित्र दीपक शर्मा की बेटी को पश्चिम बंगाल के एक निजी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन करवाने के सिलसिले में दोनों 18 अक्टूबर 2020 को दिल्ली गए थे। इस दौरान उनकी आरोपियों से मुलाकात हुई। आरोपियों ने उन्हें रकम मिलने पर एडमिशन करवा देने का आश्वासन दिया। तब तरुण साहू ने अपने झारखंड के टाटानगर निवासी परिचित भागवत वर्मा को भी इसकी जानकारी दी। उनकी बेटी को भी एमबीबीएस में एडमिशन चाहिए था। तरुण साहू, भागवत वर्मा और दीपक शर्मा ने अपने बच्चों का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन करवाने के लिए आरोपियों को 82 लाख रुपए दिया था। पर तीनों के बच्चों का मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं हुआ और ना हीं ठगों ने रकम लौटाई।

जिस आरोपी को गिरफ्तार करने पर लेनदेन के आरोप में मिली सजा,वह कोरोना में पैरोल लेकर हो गया फरार

धोखाधड़ी के आरोपी की गिरफ्तारी के सात माह बाद उसकी पत्नी ने टीआई कलीम खान के खिलाफ शिकायत की। वही आरोपी खुद कोरोना के समय पैरोल लेकर जेल से निकला था और फरार हो गया। जिसकी गिरफ्तारी अब तक नहीं हो पाई है।

मिला था आउट ऑफ टर्म प्रमोशन

कलीम खान को रायपुर में हुए एक चर्चित मामले में खुलासा कर आरोपी की गिरफ्तारी करने पर आउट ऑफ टर्म प्रमोशन मिला था और वे उप निरीक्षक से निरीक्षक बनाए गए थे। उप निरीक्षक स्तर पर संभवतः यह प्रदेश का पहला ऐसा ओटी था जो नक्सलाइट एरिया के बाहर मैदानी एरिया के काम पर दिया गया था। अब उन्हें फिर निरीक्षक से एक वर्ष के लिए उपनिरीक्षक बना दिया गया है।

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