Bilaspur Highcourt News: हाईकोर्ट ने कहा क्रूरता माफ कर दी जाए तो तलाक का आधार नहीं, पति की याचिका खारिज
Bilaspur Highcourt News:– पति ने पत्नी के खिलाफ मानसिक क्रूरता के आरोप लगा तलाक की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्रकरण में सबूतों के अभाव में क्रूरता साबित नहीं हुई। इसके अलावा सुनवाई के दौरान यह भी तथ्य सामने आया कि पति ने कथित क्रूरता को माफ कर दिया था। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 23 (1)(बी) में स्पष्ट नियम है कि यदि पति या पत्नी द्वारा क्रूरता माफ कर दी जाए तो तलाक का आधार नहीं बनता। इस आधार पर पति द्वारा लगाई गई तलाक की अर्जी खारिज कर दी गई।
Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। एक दंपती के बीच विवाद में बिलासपुर हाईकोर्ट की डीबी ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है। जस्टिस संजय के. अग्रवाल और जस्टिस संजय कुमार जायसवाल की डिवीजन बेंच ने कहा कि सबूतों के अभाव में क्रूरता साबित नहीं होती और यदि कोई घटना हुई भी थी, तो पति ने उसे बाद में माफ कर दिया था। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 23(1)(b) के अनुसार यदि क्रूरता माफ कर दी जाए तो तलाक का आधार नहीं बनता।
जांजगीर निवासी व्यक्ति की शादी 11 दिसंबर 2020 को सरगांव निवासी महिला के साथ हुई थी। अक्टूबर 2022 को बेटी के जन्म के बाद दोनों के बीच तनाव बढ़ने लगा। पति का आरोप था कि तीन अज्ञात नंबरों से उसे गालियां दी गईं और पत्नी के कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी गई। आरोप है कि 29 मार्च 2023 को पत्नी घर छोड़कर चली गईं। इसके बाद 4 अप्रैल 2023 को पति ने हिंदू मैरिज एक्ट के प्रावधानों के तहत तलाक की मांग करते हुए फैमिली कोर्ट में आवेदन प्रस्तुत किया। जांजगीर के फैमिली कोर्ट ने 20 अगस्त 2024 को याचिका खारिज करते हुए कहा था कि क्रूरता साबित नहीं हुई। इस फैसले के खिलाफ पति ने हाई कोर्ट में अपील की थी।
पत्नी के पास से तीन सिम मिलने का दावा
पति ने बताया कि नवंबर 2022 में एक सामाजिक बैठक के दौरान पत्नी के पास से तीन सिम कार्ड मिले। समझाइश के बाद दोनों कुछ समय तक साथ रहे। पति ने आरोप लगाया कि 16 मार्च 2023 को पत्नी ने झूठे दहेज व टोनही मामले में फंसाने की धमकी दी।
पत्नी ने कहा- वह पति के साथ रहना चाहती है
वहीं, पत्नी ने सभी आरोपों से इनकार किया। कहा कि पति का अपने भाई से विवाद चल रहा था और वह अलग रहना चाहते थे। पति उसे छोड़ने के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं। यह भी कहा कि वह अब भी अपने पति के साथ रहने को तैयार हैं।
मानसिक क्रूरता के सबूत नहीं दे सका
हाईकोर्ट ने पति की अपील खारिज करते हुए कहा कि सबूतों के अभाव में क्रूरता साबित नहीं होती और यदि कोई घटना हुई भी थी तो पति ने उसे माफ कर दिया था। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 23(1)(b) के अनुसार यदि क्रूरता माफ कर दी जाए तो तलाक का आधार नहीं बनता। नवंबर 2022 से 29 मार्च 2023 तक दंपती साथ रहे, इससे स्पष्ट है कि पति ने किसी भी कथित क्रूरता को माफ कर दिया था।