Bilaspur Highcourt News: बाघ और तेंदुए के शिकार पर हाईकोर्ट नाराज, कहा- करंट का जाल वन्यजीवों के अलावा इंसानी जान के लिए भी खतरा
Bilaspur Highcourt News:–छत्तीसगढ़ में करंट से बाघ और तेंदुए के शिकार की घटना पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि इलेक्ट्रिक ट्रैप सिर्फ वन्यजीवों के लिए नहीं बल्कि इंसानी जान के लिए भी खतरा है। पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) से अदालत ने व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा है।
Bagh Aur Tendua Ka Shikar: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बाघ और तेंदुए की निर्मम हत्या के मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। शिकारियों द्वारा करंट लगाकर वन्यजीवों के शिकार को न सिर्फ क्रूर बल्कि आम नागरिकों के लिए भी जानलेवा बताते हुए हाईकोर्ट ने वन विभाग को कठघरे में खड़ा किया है। शुक्रवार को चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और विभुदत्त गुरु के डिवीजन बेंच ने इस गंभीर मसले पर सुनवाई करते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक से व्यक्तिगत शपथपत्र तलब किया है।
सूरजपुर में करंट से बाघ की मौत, नाखून-मांस बरामद-
हाईकोर्ट को बताया गया कि 15 दिसंबर 2025 को सूरजपुर वन मंडल के धोंधा गांव के पास एक नर बाघ का शव मिला। सूचना मिलते ही वन विभाग ने क्षेत्र को सील किया, डॉग स्क्वॉड तैनात किया और जांच शुरू की।
जांच के दौरान ईश्वर कुजूर के घर से बाघ के नाखून, बाल और मांस बरामद किया गया। मुख्य आरोपी सिस्का कुजूर को भी गिरफ्तार किया गया है। मामले में पीओआर क्रमांक 701/03 दर्ज किया गया।
खैरागढ़ में तेंदुए की बर्बर हत्या, पंजे काटकर ले गए आरोपी-
एक अन्य मामले में 14 दिसंबर 2025 को खैरागढ़-डोंगरगढ़ क्षेत्र के बनबोड़ गांव के जंगल में एक मादा तेंदुए की बेरहमी से हत्या की गई। शव से चारों पंजे काट लिए गए थे और मुंह को क्षत-विक्षत कर दिया गया था। जांच में कुल 7 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, जिनके पास से कुल्हाड़ी, इलेक्ट्रिक वायर, एयर गन, तेंदुए के पंजे और दांत बरामद किए गए। सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी, कहा- यह बेहद गंभीर मामला:–
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि, वन्यजीवों के शिकार में बिजली का इस्तेमाल न केवल जानवरों के लिए घातक है, बल्कि यह आम नागरिकों के लिए भी गंभीर खतरा है। कोई भी व्यक्ति अनजाने में ऐसे जाल की चपेट में आ सकता है। कोर्ट ने इसे सार्वजनिक सुरक्षा का गंभीर मुद्दा बताते हुए व्यापक और समन्वित कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया।
पहले भी सामने आ चुके हैं करंट से मौत के मामले-
कोर्ट ने याद दिलाया कि इससे पहले एक बच्चे की मौत आंगनबाड़ी केंद्र में करंट से, दूसरे की मौत खेत में लगे तारों से करंट के कारण हुई थी। उस मामले में मुख्य सचिव ने बिजली विभाग के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन कोर्ट ने कहा कि वन्यजीव शिकार का मामला सिर्फ बिजली विभाग तक सीमित नहीं है।
व्यक्तिगत शपथपत्र में देना होगा जवाब, 21 जनवरी को अगली सुनवाई-
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) अपने व्यक्तिगत शपथपत्र में यह स्पष्ट करें कि, करंट से शिकार रोकने के लिए अब तक क्या ठोस कदम उठाए गए, आगे कौन-से प्रभावी उपाय किए जाएंगे। वन विभाग, पुलिस, बिजली कंपनी और जिला प्रशासन के बीच समन्वय की क्या व्यवस्था है। संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कैसे की जा रही है। लापरवाह अधिकारियों की जिम्मेदारी कैसे तय होगी। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि, वन्यजीवों की सुरक्षा और मानव जीवन की रक्षा के लिए प्रभावी, स्थायी और निवारक कदम उठाना अनिवार्य है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को तय की गई है।