Bilaspur High Court News: प्रिंसिपल प्रमोशन: हेड मास्टर और लेक्चरर की संयुक्त वरिष्ठता सूची की मांग को लेकर दायर याचिका पर हुई सुनवाई, हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा सचिव से मांगा जवाब, ग्रेडेशन लिस्ट से बाहर करने पर जताई नाराजगी

Bilaspur High Court News: प्रिंसिपल प्रमोशन में हेड मास्टर और लेक्चरर की संयुक्त वरिष्ठता सूची बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका में हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। शिक्षक आरके झा ने अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।

Update: 2025-12-04 07:53 GMT

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। प्रिंसिपल प्रमोशन में हेड मास्टर और लेक्चरर की संयुक्त वरिष्ठता सूची बनाने की मांग को लेकर दायर याचिका में हाई कोर्ट के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। शिक्षक आरके झा ने अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिकाकर्ता आरके झा व अन्य शिक्षकों ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 2008 में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति के लिए नियम बनाया गया था। इसमें स्पष्ट था कि प्राचार्य के पद पर पदोन्नति के लिए व्याख्याता नहीं रहेंगे तब हेड मास्टर कैडर से प्राचार्य के पद पर पदोन्नति दी जाएगी। विभाग ने नियम तो बनाए पर ऐसा कभी नहीं हुआ। प्राचार्य के रिक्त हो रहे पद के लिए लेक्चरर की संख्या ही इतनी हो जाती थी कि हेड मास्टर कैडर की जरुरत ही नहीं पड़ी। लिहाजा हेड मास्टरों की प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नति ही नहीं हो पाई।

छह साल बाद वर्ष 2014 के नियम में एचएम का प्रावधान ही नहीं था। स्कूल शिक्षा विभाग के वर्ष 2019 में बनाए गए नियम में 25 प्रतिशत हेड मास्टर को प्राचार्य बनाने का प्रावधान किया गया। इस नियम के तहत हेड मास्टर के लेक्चरर के पद पर पदोन्नत हो गए। जिन हेड मास्टर की लेक्चरर के पद पर पदोन्नति नहीं हो पाई,उनकी योग्यता नहीं थी। वे हेड मास्टर ही रह गए। वर्ष 2019 के नियम का फायदा उन हेड मास्टरों को हुआ जो 2011 में योग्यता ना रखने के कारण लेक्चरर नहीं बन पाए थे , ऐसे हेड मास्टर्स प्रिंसिपल बन गए।

याचिकाकर्ताओं ने नियमों के फेर में हुए नुकसान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2011 में जिन हेड मास्टर्स की लेक्चरर के पद पर पदोन्नति हो गई थी वे मौजूदा नियमों के कारण प्रिंसिपल नहीं बन पाए और लेक्चरर ही रह गए। लेक्चरर कैडर में आने के बाद वे जूनियर हो गए और प्राचार्य के पद पर पदोन्नति से वंचित हो गए हैं।

संयुक्त वरिष्ठता सूची बनाने का डीपीआई ने जारी किया था आदेश

याचिकाकर्ता शिक्षकों ने अपनी याचिका में बताया है कि डीपीआई ने हेड मास्टर से लेक्चरर के पद पर पदोन्नत होन वाले शिक्षकों और हेड मास्टर का संयुक्त वरिष्ठता सूची बनाने का निर्देश जारी किया था। इसी क्रम में अक्टूबर में वरिष्ठता सूची तो बनाई पर किसी कारणवश सूची से नाम अलग कर दिया गया

2021 से शुरू हुई याचिका दायर करने का दौर

संयुक्त वरिष्ठता सूची बनाने की मांग करते हुए वर्ष 2021 में याचिका दायर की गई थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने नियम 15 एक का संशोधन करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि यदि नियमों में संशोधन नहीं होता है तो पदोन्नति तिथि से हेड मास्टर की गणना की जाए। इसे आधार मानकर स्कूल शिक्षा विभाग ने मई 2024 में संयुक्त वरिष्ठता सूची जारी की गई। संयुक्त वरिष्ठता सूची का विरोध करते हुए कुछ हेड मास्टर ने हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के समक्ष याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्राचार्य पदोन्नति के पूर्व इनके नामों पर विचार करने राज्य शासन को निर्देश जारी किया था। इसी बीच राज्य शासन ने 29 अक्टूबर 2024 को वरिष्ठता सूची जारी की। इस सूची से लेक्चरर का नाम विलोपित कर दिया। इसके विरोध में आरके झा सहित अन्य शिक्षकों ने अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। इसके विरोध में आरके झा ने याचिका दायर की है।

सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को हाई कोर्ट का नोटिस

मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शिक्षकों के अधिवक्ता हमीदा सिद्दीकी ने कोर्ट के आदेश के बाद भी ग्रेडेशन लिस्ट से नाम हटा दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि जब शिक्षक दोनों कैडर में हैं, तो उनकी सहमति लेनी होगी। वरिष्ठता का लाभ मिलना चाहिए। कोर्ट ने सचिव स्कूल शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

Tags:    

Similar News