Bilaspur High Court: CBI ने ऐसा क्यों कहा- प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित प्रश्नपत्रों को लीक करना, मर्डर के अपराध से भी जघन्य है, पढ़िए उद्योगपति श्रवण गोयल की जमानत याचिका पर क्या आया फैसला
Bilaspur High Court: सीजीपीएससी फर्जीवाड़े में संलिप्तता के आरोप में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद उद्योगपति श्रवण कुमार गोयल ने बिलासपुर हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। जमानत याचिका का विराेध करते हुए सीबीआई ने जस्टिस बीडी गुरु के सिंगल बेंच से कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित प्रश्नपत्रों को लीक करने में लिप्त व्यक्ति, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए रात-दिन एक कर रहे लाखों युवा अभ्यर्थियों के करियर और भविष्य के साथ खिलवाड़ करता है। ऐसा कृत्य हत्या के अपराध से भी अधिक जघन्य है। किसी व्यक्ति की हत्या करने से केवल एक परिवार प्रभावित होता है, लेकिन लाखों अभ्यर्थियों का करियर बर्बाद होने से पूरा समाज प्रभावित होता है। इसलिए, वर्तमान आवेदक सहित आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ लगाए गए कथित आरोपों को किसी भी तरह से सामान्य आरोप नहीं कहा जा सकता।

Bilaspur High Court: सीजीपीएससी फर्जीवाड़े में संलिप्तता के आरोप में जेल में बंद उद्योगपति श्रवण कुमार गोयल ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर जमानत की मांग की। सीबीआई ने उद्योगपति व याचिकाकर्ता गोयल की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अब तक जांच की फाइल कोर्ट के सामने सौंपते हुए संलिप्तता को स्पष्ट किया है। सीबीआई के अधिवक्ता ने उद्योगपति गोयल द्वारा बेटे व पुत्रवधु को डिप्टी कलेक्टर बनाने के लिए सीजीपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी की पत्नी व परिवार के सदस्यों के एनजीओ को करोड़ों रुपये दिए। सीएसआर फंड के जरिए सीजीपीएससी परीक्षा प्रक्रिया को ना केवल प्रभावित किया वरन हजारो प्रतियोगियों के करियर को चौपट करने का काम भी किया है। सीबीआई के विरोध के बाद बिलासपुर हाई कोर्ट ने कुछ इस तरह का फैसला सुनाया है।
याचिकाकर्ता उद्योगपति श्रवण गोयल ने अपनी याचिका में कहा कि उनका बेटा शशाांक और बहू भूमिका कटियार प्रतिभाशाली और विधिवत योग्य व्यक्ति हैं और इस तरह उनके लिए पीएससी के कथित लीक हुए प्रश्नपत्रों का अनुचित लाभ उठाने का कोई प्रश्न ही नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वर्तमान मामले में, आरोप-पत्र पहले ही 16/01/2025 को दायर किया जा चुका है और मुकदमे के निष्कर्ष में बहुत समय लगेगा क्योंकि कई गवाह हैं। वह 18/11/2024 से जेल में है और कई बीमारियों से पीड़ित है और नियमित रूप से उपचार चल रहा है। याचिका के अनुसार वह एक बहुत प्रतिष्ठित व्यवसायी है और उसके खिलाफ कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
सीजीपीएससी भर्ती प्रक्रिया में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के अधिकारियों द्वारा किए गए कतिपय अवैधताओं और अनियमितताओं के संबंध में एसीबी, छत्तीसगढ़, रायपुर के अपराध क्रमांक 05/2024 और अर्जुन्दा थाना, जिला बालोद, छत्तीसगढ़ के अपराध क्रमांक 28/2024 के तहत दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई। बाद में, मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो को स्थानांतरित कर दिया गया।
मामले में सात आरोपी
टामन सिंह सोनवानी, पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष, श्रवण कुमार गोयल बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड के निदेशक, श्रवण कुमार गोयल के पुत्र शशांक गोयल व श्रवण गोयल की पुत्रवधु भूमिका कटियार, टामन सिंह सोनवानी के भतीजे नितेश सोनवानी और साहिल सोनवानी व पीएससी के उप नियंत्रक (परीक्षा) ललित गणवीर को आरोपी बनाया गया है।
क्या है मामला
2020-2022 की अवधि के दौरान पीएससी ने राज्य सेवा परीक्षा आयोजित की। उस समय टामन सिंह सोनवानी पीएससी के अध्यक्ष पद पर काबिज थे। साेनवानी ने अपने परिवार के सदस्यों और चहेतों को अनुचित लाभ पहुंचाया। श्रवण गोयल बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड का निदेशक हैं और वह कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के मद में एनजीओ को धन मुहैया कराता था। अभियोजन पक्ष के अनुसार तत्कालीन चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी की पत्नी एक गैर-सरकारी संगठन की अध्यक्ष है। ग्रामीण विकास समिति और जीवीएस को, दो अलग-अलग अवसरों पर गोयल ने सीएसआर मद से 45.00 लाख रुपये की राशि दी। आरोप है कि उक्त राशि गोयल द्वारा राज्य सेवा परीक्षा, 2021 के लिए पीएससी द्वारा आयोजित प्रारंभिक परीक्षा और अंतिम परीक्षा से पहले प्रदान की गई। सीएसआर फंड के बदले में, प्रारंभिक परीक्षा और अंतिम परीक्षा के प्रश्न पत्र गोयल को दिए गए थे, जिन्होंने बदले में उन्हें शशांक गोयल और भूमिका कटियार को प्रदान किया, जो गोयल के बेटे और बहू हैं। उक्त प्रश्न पत्रों के आधार पर शशांक और भूमिका दोनों भर्ती प्रक्रिया में सफल हुए और शीर्ष पद यानी डिप्टी कलेक्टर पर चयन हुआ। सीबीआई का आरोप है कि परीक्षा प्रक्रिया को प्रभावित कर याचिकाकर्ता व उद्योगपति श्रवण गोयल ने अपराध किया है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि उसे झूठा फंसाया गया
याचिकाकर्ता व उद्योगपति गोयल ने अपनी याचिका में कहा है कि वह एक निर्दोष व्यक्ति है और उसे झूठा फंसाया गया है। याचिका के अनुसार वह व्यवसायी है और उसका पीएससी के मामलों से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने ईमानदारी से और कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार जीवीएस को वित्तीय सहायता प्रदान की, जो कि सीएसआर के मद में एक एनजीओ है। 08/11/2021 को जीवीएस ने सीएसआर मद में वित्तीय सहायता मांगी और उसके अनुरोध पर विचार करते हुए बजरंग इस्पात लिमिटेड की सीएसआर समिति ने 01/01/2022 को एक बैठक बुलाई और शहर व गांवों में ग्रामीण विकास कार्यक्रम शुरू करने के लिए जीवीएस को 24.85 लाख रुपये की राशि मंजूर की, जिसे 05/01/2022 को निदेशक मंडल द्वारा विधिवत अनुमोदित किया गया।
01/03/2022 को जीवीएस को 20.00 लाख रुपये का भुगतान किया गया। इस बीच, 26/11/2021 को, पीएससी ने राज्य सिविल सेवा परीक्षा, 2021 के 171 पदों का विज्ञापन दिया। इसके बाद, 13/02/2022 को प्रारंभिक परीक्षा आयोजित की गई, और परिणाम 08/03/2022 को प्रकाशित किया गया।
गोयल ने एनजीओ पर जमकर बरसाए धन
जीवीएस ने फिर से 04/04/2022 को वित्तीय सहायता मांगी, जिसे सीएसआर समिति और निदेशक मंडल के समक्ष रखा गया, जिसमें 35.03 लाख रुपये की राशि सही लाभार्थी को देने के लिए मंजूर की गई। 18/05/2022 को आरटीजीएस के माध्यम से 25.00 लाख रुपये की राशि जीवीएस को हस्तांतरित की गई।
थानों में एफआईआर, फिर फाइल किया सीबीआई के हवाले
पीएससी की अंतिम परीक्षा 26/05/2022 से 29/05/2022 की अवधि के दौरान आयोजित की गई थी, जिसमें 509 उम्मीदवार साक्षात्कार के लिए योग्य थे। साक्षात्कार 20 सितंबर से 30 सितंबर, 2022 तक आयोजित किया गया था और अंतिम परिणाम 11/05/2023 को घोषित किया गया था, जिसमें उद्योगपति गोयल के बेटे शशांक और बहू भूमिका को डिप्टी कलेक्टर के पद के लिए सफल घोषित किया गया था। इसके बाद, पीएससी द्वारा की गई अनियमितताओं और अवैधताओं का आरोप लगाते हुए विभिन्न पुलिस थानों में दो प्राथमिकियां दर्ज की गईं, जिन्हें बाद में सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया।
सीएसआर फंड को लेकर याचिकाकर्ता ने दी सफाई
याचिकाकर्ता ने कहा है कि निदेशक मंडल द्वारा सीएसआर फंड के लिए विधिवत अनुमोदित किया गया है, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि पीएससी द्वारा आयोजित परीक्षा में अपने बेटे और बहू के पक्ष में अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए ही उद्योगपति ने अपनी कंपनी के माध्यम से जीवीएस को वित्तीय सहायता प्रदान की। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने कभी भी पीएससी के चेयरमैन को राशि नहीं दी, जबकि उन्होंने जीवीएस को विभिन्न निर्माण और विकास गतिविधियों के लिए धन प्रदान किया, जैसा कि कंपनी अधिनियम की अनुसूची VII धारा 135 के तहत प्रावधान किया गया है।
सीबीआई ने जमानत का किया विरोध
सीबीआई की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने जमानत याचिका का विरोध किया। उन्होंने कहा कि निर्माण/विस्तार के उद्देश्य से जीवीएस को सीएसआर मद के तहत बजरंग इस्पात द्वारा प्रदान की गई कथित वित्तीय सहायता संधारणीय नहीं है। क्योंकि कंपनी अधिनियम की अनुसूची-VII की धारा 135 के अनुसार निर्माण/विस्तार लागू नहीं होता। सीबीआई के अधिवक्ता ने कहा कि वास्तव में, सीएसआर मद के तहत दी गई धनराशि पीएससी के अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों की निजी जेबों में चली जाती है।
सीबीआई ने लगाए गंभीर आरोप
सीबीआई की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने कहा कि सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के भाई अनिल कुमार सोनवानी, जो जीवीएस के सचिव हैं, ने स्पष्ट रूप से कहा है कि नितेश और साहिल सोनवारी टामन सिंह के भतीजे हैं। प्रश्न पत्र को टामन सिंह सोनवानी के निर्देश पर ललित गणवीर, पीएससी के उप नियंत्रक (परीक्षा) के द्वारा शशांक गोयल व भूमिका कटियार काे उपलब्ध कराया गया है।
याचिकाकर्ता का पीएससी के उच्चाधिकारियों से घनिष्ठ संबंध
सीबीआई ने हाई कोर्ट से कहा कि उद्योगपति श्रवण गोयल के पीएससी के कुछ उच्च और शक्तिशाली अधिकारियों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। सीजीपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी की पत्नी, भाई और भतीजे एनजीओ यानी जीवीएस के अध्यक्ष, सचिव और सदस्य थे। जीवीएस के नाम पर श्रवण गोयल ने बजरंग इस्पात के सीएसआर और निदेशक मंडल से वित्तीय स्वीकृति प्राप्त की और उसके बाद पीएससी की प्रारंभिक और अंतिम परीक्षा से पहले टामन सिंह सोनवारी के परिवार के सदस्यों को इसे दे दिया गया और इसके आधार पर वह अपने बेटे और बहू को प्रश्नपत्र हासिल करने में सफल रहा, जो डिप्टी कलेक्टर के पद पर चयनित हुए।
जस्टिस बीडी गुरु ने इस टिप्पणी के साथ याचिका को किया खारिज
याचिकाकर्ता और सीबीआई के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता गोयल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस बीडी गुरु ने अपने फैसले में लिखा है कि मामले के सम्पूर्ण तथ्यों एवं परिस्थितियों पर विचार करने के पश्चात, विशेष रूप से आवेदक के विरूद्ध लगाए गए आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए तथा टामन सिंह सोनवारी के भाई अनिल कुमार सोनवानी के बयान पर भी विचार करते हुए, जिसने स्पष्ट रूप से कहा था कि नितेश एवं साहिल सोनवानीके लिए प्रश्नपत्र लीक हुआ था, जो इस गवाह एवं टामन सिंह सोनवानी के भतीजे हैं। यही प्रश्न पत्र टामन सिंह सोनवानी के निर्देश पर ललित गणवीर, पीएससी के उप नियंत्रक (परीक्षा) द्वारा शशांक व भूमिका को दिया गया। इसी आधार पर शशांक व भूमिका का चयन डिप्टी कलेक्टर के पद पर हो गया। इस टिप्पणी के साथ जस्टिस बीडी गुरु ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।