Bilaspur Airport in High Court: बिलासपुर एयरपोर्ट: 290 एकड़ जमीन के बदले केंद्र सरकार ने मांगे 50 करोड़, 22 करोड़ घटाई जमीन की कीमत, हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा,जमीन लेनी है या नहीं
Bilaspur Airport in High Court: बिलासा एयरपोर्ट को फोर सी कैटेगरी में अपग्रेड करने और नाइट लैंडिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एयरपोर्ट प्रबंधन को 290 एकड़ जमीन की जरुरत है। रक्षा मंत्रालय ने जमीन के हस्तांतरण के एवज में राज्य सरकार से 72 करोड़ रुपये देने कहा था। अब रक्षा मंत्रालय ने जनहित का मामला मानते हुए कीमत 22 करोड़ घटाते हुए 50 करोड़ मांगा है। डिवीजन बेंच ने इस संबंध में राज्य सरकार को अपना रूख साफ करने कहा है। अगली सुनवाई से पहले सरकार को अपना जवाब पेश करना होगा।
Bilaspur Airport in High Court: बिलासपुर। बिलासा एयरपोर्ट को फोर सी कैटेगरी में अपग्रेड करने और नाइट लैंडिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एयरपोर्ट प्रबंधन को 290 एकड़ जमीन की जरुरत है। रक्षा मंत्रालय ने जमीन के हस्तांतरण के एवज में राज्य सरकार से 72 करोड़ रुपये देने कहा था। अब रक्षा मंत्रालय ने जनहित का मामला मानते हुए कीमत 22 करोड़ घटाते हुए 50 करोड़ मांगा है। डिवीजन बेंच ने इस संबंध में राज्य सरकार को अपना रूख साफ करने कहा है। अगली सुनवाई से पहले सरकार को अपना जवाब पेश करना होगा।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में बिलासपुर में हवाई सुविधा विस्तार से जुड़ी जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। बीते सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने नाइट लैंडिंग के संबंध में
चीफ सिकरेट्री और एयरपोर्ट से उड़ानों की संख्या कम करने के बारे में अलायंस एयर से शपथ पत्र के साथ जानकारी मांगी थी। केंद्र सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल को 290 एकड़ जमीन वापसी के संबंध में राज्य सरकार को केंद्र के निर्णय के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
चीफ सिकरेट्री विकासशील ने शपथपत्र के साथ जानकारी पेश की है। इसमें बताया है कि डीवीओआर DVOR स्थापना और प्रारंभिक जांच का काम पूरा हो चुका है। इसे प्रक्रिया में लाने के लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अफसर आएंगे। निरीक्षण और सहमति मिलने के बाद राज्य सरकार डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन DGCA के समक्ष 3 सी आईएफआर यानी नाइट लैंडिंग के लिए लाइसेंस का आवेदन कर सकती है। एयरपाेर्ट अथारिटी आफ इंडिया के अधिवक्ता अनुमेह श्रीवास्तव ने डिवीजन बेंच को बताया कि 10 से 12 नवंबर के बीच एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अफसरों का बिलासपुर एयरपोर्ट दौरा प्रस्तावित है।
केंद्र सरकार की ओर से पैरवी करते हुए डिप्टी सालिसिटर जनरल रमाकांत मिश्रा ने मेल के जरिए रक्षा मंत्रालय से आई जानकारी के संबंध में बताया कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से ₹290 एकड़ जमीन वापस करने के एवज में 50 करोड रुपए की मांग की है। पहले यह राशि तकरीबन 72 करोड रुपए की थी। जनहित को देखते हुए केंद्र सरकार ने 22 करोड़ रुपये की राशिकाम कर दिया है। यह मांग पत्र 3 नवंबर को केंद्र ने सरकार को भेजा है। राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने इस पर राज्य सरकार का रुख बताने के लिए समय देने का अनुरोध किया। डिवीजन बेंच ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया है।
विमानन कंपनी के जवाब का सुदीप श्रीवास्तव ने किया विरोध
विमानन कंपनी अलायंस एयर के अधिवक्ता शोभित कोष्टा ने डिवीजन बेंच को बताया कि राज्य सरकार के साथ हुए एमओयू के आधार पर ही विमानों का संचालन किया जा रहा है। विमानों के उचित उपयोग और मेंटनेंस के कारण सप्ताह में तीन दिन कोई उड़ान नहीं रखा गया है। सोमवार से गुरुवार के बीच ही एयरपोर्ट से विमानों का संचालन किया जा रहा है।
अलायंस एयर के इस दावे को हाई कोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एसोसिएशन अधिवक्ता बादशाह प्रसाद सिंह की ओर से उपस्थित अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने खंडन करते हुए डिवीजन बेंच को बताया कि सप्ताह में 6 दिन दिल्ली और बिलासपुर के बीच चलने वाली उड़न को घटकर केवल तीन दिन कर दिया गया है। बिलासपुर-जगदलपुर के बीच अब कोई उड़ान नहीं है। सुदीप श्रीवास्तव ने कहा कि अलायंस एयर कोर्ट को गुमराह कर रही है। डिवीजन बेंच ने कहा कि विमानन कंपनी अलायंस एयर अगर तकनीकी कारणों के चलते उड़ानों की संख्या में कमी कर रही है तो उसे विमान संचालन के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
डिवीजन बेंच ने जताई नाराजगी और ये कहा
हवाई सुविधा विस्तार में हो रहे विलंब को लेकर डिवीजन बेंच ने कड़ा रुख अख्तियार किया। कोर्ट ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार के रवैये को देखकर लगता है कि प्रदेश के दूसरे बड़े शहर में हवाई सुविधा विस्तार को लेकर रुचि नहीं दिखा रहे हैं। अन्यथा ऐसा कोई कारण और बाधा नहीं कि बिलासपुर एयरपोर्ट को फोर सी कैटेगरी मिलने और महानगरों से कनेक्टिविटी में इतना विलंब लगता। डिवीजन बेंच ने कहा कि यह सब सुविधाएं तो कोर्ट में आने से पहले ही मिल जाने चाहिए था। निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को इसमें आगे बढ़कर भूमिका निभानी चाहिए। डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार को जमीन हस्तांतरण के संबंध में रक्षा मंत्रालय द्वारा दिए गए प्रस्ताव और नाइट लैंडिंग के संबंध में प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करने कहा है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच ने 24 नवंबर की तिथि तय की है।