बिग ब्रेकिंग: बीजेपी में भूचाल...बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा का टिकिट लौटाया, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखा पत्र, पढ़िए क्या लिखा...
बृजमोहन अग्रवाल के टिकिट लौटाने से भाजपा में हड़कंप मच गया है. संगठन मंत्री पवन साय ने फ़ोन पर सीएम विष्णुदेव साय से बात की है, वहीं पूर्व मंत्री और बृजमोहन के सबसे करीबी प्रेमप्रकाश पाण्डेय को फ़ोन कर तुरंत रायपुर बुलाया है.
रायपुर. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एक बड़ा सियासी धमाका हुआ है. पार्टी के दिग्गज नेता बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है. उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा को पत्र लिख लोकसभा के टिकिट के लिए आभार जताया है. उन्होंने लिखा है, व्यक्तिगत कारणों से वे चुनाव लड़ने में असमर्थ हैं... पार्टी आगे उन्हें जो दायित्व देगी, उन्हें मंजूर होगा. हालांकि, मंत्री बनने के दो महीने के भीतर लोकसभा चुनाव में उतार दिए जाने पर बृजमोहन ने इशारों में नाराजगी जताई हैं. पढ़िए उन्होंने क्या लिखा हैं....
श्रद्धेय श्री जगतप्रकाश नड्डा जी
सादर नमस्कार
भाई साहब सबसे पहले आपको होली कि बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनायें. उम्मीद करता हूं, सब कुशल और मंगलमय होगा.
भाई साब, आप छत्तीसगढ़ के पार्टी प्रभारी रह चुके हैं, सो अपने बारे में बताने कि जरुरत नहीं कि पार्टी के लिए मैं कितना समर्पित रहा. साढ़े तीन दशक के सियासी सफर में पार्टी ने जो दायित्व दिया, उसमें कभी किन्तु-परन्तु नहीं किया. रायपुर कांग्रेस का गढ़ था. मैंने स्वरुपचंद जैन जैसे बड़े कांग्रेस नेता को हराकर पहली बार रायपुर में पार्टी का पताका फहराया. उसके बाद पार्टी को मजबूत करने में सतत जुटा रहा. जब अजीत जोगी सरकार का आतंक सिर चढ़ कर बोल रहा था, पार्टी का कोई नेता सामने खड़ा नहीं हो रहा था, उस दौर में मैं अजीत जोगी से लोहा लिया.
अध्यक्ष जी, मुझे रमेश बैस जी को जितवाने का जिम्मा हर बार सौंप दिया जाता था, मैं ताकत झोंक उन्हें हमेशा जिताता रहा. पार्टी को इस बात का शायद अहसास नहीं कि बैस जी जैसे नेता को रायपुर से जिताना कितना दुष्कर कार्य था. बीजेपी के 15 साल की सरकार के दौरान कोटा उपचुनाव में पार्टी की करारी पराजय हुई थी. उसके बाद मुझे हर बार उपचुनाव में चुनाव संचालक बनाया गया. और हर बार मैंने हाड़ तोड़ प्रयास कर पार्टी प्रत्याशी को जितवाया. बावजूद इसके हमेशा मुझे किनारे करने की कोशिशे होती रहीं. विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बने अभी दो महीने भी नहीं हुए थे, मुझे फिर से चुनाव में उतार दिया गया. इससे मेरे हजारों कार्यकर्त्ता बेहद दुखी हैँ. उन्हें प्रतीत हो रहा कि सियासत में मुझे किनारे लगाने लोकसभा का टिकिट दिया गया हैं. हालांकि, मैं ऐसा नहीं समझता. पार्टी मेरे लिए माँ से भी बढ़कर हैं. बहरहाल, कार्यकर्ताओं की भावना हैं कि दिल्ली जाने की बजाय मैं छत्तीसगढ़ में ही रहकर अपनी माटी की सेवा करूँ. चूकि, बीजेपी में कार्यकर्ताओं का स्थान सर्वोपरि है, इसलिए उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए मैं विनम्रता पूर्वक टिकिट लौटा रहा हूं, कृपया इसे अन्यथा न लें. आगे पार्टी जो आदेश देगी, वो स्वीकार्य होगा.
जय हिन्द, जय छत्तीसगढ़
आपका- बृजमोहन अग्रवाल (एनपीजी ऑफिस में आज होली का माहौल है...उसी मूड में खबरें लिखी जा रही हैं, इसलिए इधर-उधर कुछ लिखा गया तो बुरा न मानो होली है-संपादक)