Bastar Dussehra 2025: रथ चोरी की परंपरा: आज राजा के रथ की होगी चोरी, जानिए बस्तर दशहरा में कैसे निभाई जाती है यह रस्म

Rath Chori Ki Parampara: जगदलपुर: ऐतिहासिक और विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व जारी है। इस बिच बुधवार को मावली परघाव की रस्म पूरी श्रद्धा के साथ निभाई गई। यह रस्म मां दतेंश्वरी प्रांगण और कुटरूबाड़ा के पास निभाई गई। आज 8 चक्कों वाले विजय रथ की परिक्रमा होगी। इसके बाद भीतर रैनी की अनूठी परंपरा निभाई जाएगी।

Update: 2025-10-02 06:26 GMT

Bastar Dussehra 2025

Rath Chori Ki Parampara: जगदलपुर: ऐतिहासिक और विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा पर्व जारी है। इस बिच बुधवार को मावली परघाव की रस्म पूरी श्रद्धा के साथ निभाई गई। यह रस्म मां दतेंश्वरी प्रांगण और कुटरूबाड़ा के पास निभाई गई। आज 8 चक्कों वाले विजय रथ की परिक्रमा होगी। इसके बाद भीतर रैनी की अनूठी परंपरा निभाई जाएगी।

बस्तर दशहरा में निभाई जाती है 14 से ज्यादा रस्में

बता दें कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में मनाया जाने वाला दशहरा पर्व देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। बस्तर में 75 दिनों तक चलने वाला यह पर्व खास इसलिए भी है क्योंकि इस दौरान 14 से ज्यादा रस्में निभाई जाती है। इसके अलावा यहां दशहरे के दिन रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के क्षत्र को रथारूढ़ करके पूरे शहर में घुमाया जाता है। इस पर्व में शामिल होने के लिए देश-विदेश से लोग पहुंचते हैं।

पूरी श्रद्धा के साथ निभाई गई मावली परघाव की रस्म

इसी कड़ी में बुधवार रात को 600 साल पुरानी मावली परघाव की रस्म पूरी श्रद्धा के साथ निभाई गई। यह रस्म मां दतेंश्वरी प्रांगण और कुटरूबाड़ा के पास निभाई गई। बस्तर राज परिवार सदस्य कमलचंद भजदेव ने इस रस्म को निभाया। मावली परघाव रस्म में शामिल होने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जो इस पल के साक्षी बने। माता के स्वागत में सड़कों पर फूल बिछाए गए और जमकर आतिशबाजी की गई।

भीतर रैनी की अनूठी परंपरा

आज 8 चक्कों वाले विजय रथ की परिक्रमा के बाद भीतर रैनी की अनूठी परंपरा निभाई जाएगी। जिसे रथ चोरी की परंपरा भी कहा जाता है। सबसे पहले 8 चक्कों वाले विजय रथ की दंतेश्वरी और मावली मंदिर के साथ ही गोल बाजार की पूरी प्रक्रिमा कराई जाएगी। इसके बाद किलेपाल परगना के माड़िया समुदाय इस रथ को खींचकर शहर से बाहर ले जाते हैं और उसे कुम्हड़ाकोट के जंगलों में छिपा देते हैं। अगले दिन राजा माड़िया समुदाय को मनाकर रथ को वापस दंतेश्वरी मंदिर लाते हैं।

रथ में आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को किया जाता है सवार

बता दें कि विजयदशमी के दिन 8 चक्कों वाले रथ को चलाने के कारण इसे विजय रथ कहा जाता है। जानकारी के मुताबिक, इस रथ पर पहले महाराजा चढ़ते थे, लेकिन राजाशाही खत्म होने के बाद अब जिला प्रशासन की ओर से व्यवस्था करके इसमें बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के छत्र को सवार किया जाता है। 

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