Atal Bihari Vajpayee University: अटल विवि की जेम खरीदी कांड की जांच के लिए कल एडिशनल डायरेक्टर की टीम जाएगी बिलासपुर, एक ही फर्म से करोड़ों की खरीदी का मामला...

Atal Bihari Vajpayee University: जेम खरीदी में गंभीर अनियमितता की जांच के लिए उच्च शिक्षा संचालनालय से एडिशनल डायरेक्टर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम जांच के लिए बिलासपुर जा रही है। विवि के दीक्षांत समारोह के चलते टीम दो दिन विलंब से बिलासपुर जा रही है। इससे पहले शासकीय राजीव लोचन पीजी कॉलेज राजिम में जेम खरीदी केस में गड़बड़ियां पकड़ी जाने के बाद वहां प्राचार्य समेत चार सहायक प्राध्यापकों को सरकार ने निलंबित कर दिया था।

Update: 2025-12-04 16:00 GMT

Atal Bihari Vajpayee University: रायपुर। बिलासपुर के अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय में जेम पोर्टल से खरीदी में व्यापक गडबड़ियों की जांच करने हायर एजुकेशन डायरेक्ट्रेट से उच्चाधिकारियों का एक दल कल सुबह बिलासपुर जा रहा है। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव को यूनिवर्सिटी के खिलाफ लिखित में गंभीर शिकायतें की गईं हैं। हायर एजुकेशन विभाग ने इसकी जांच के लिए एडिशनल डायरेक्टर केके तिवारी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच दल गठित कर दिया है। चूकि विश्वविद्यालय में आज दीक्षांत समारोह था। इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविड समेत राज्यपाल रामेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय मौजूद थे। इस वजह से जांच टीम कल 5 दिसंबर को बिलासपुर जा रही है।


विश्वविद्यालय के खिलाफ शिकायत है कि एक ही स्वामित्व वाले अलग-अलग फार्म से जेम पोर्टल के जरिये करोड़ों की खरीदी कर ली गई। अफसरों का कहना है कि जांच में अगर शिकायत सही पाई गई तो विश्वविद्यालय के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वैसे भी विवि के खिलाफ अनियमितता की गंभीर शिकायतें मिलती रही हैं। जेम खरीदी में गड़बड़ी को लेकर सरकार भी काफी संवेदनशील है। मुख्य सचिव विकास शील ने जेम खरीदी में गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इसी के बाद सरकार ने महासमुंद जिले के राजीम स्थित राजीव लोचन पीजी कॉलेज की प्राचार्या समेत चार सहायक प्राध्यापकों को सस्पेंड कर दिया।

कल कैबिनेट की बैठक में भी विष्णुदेव सरकार ने जेम पोर्टल को और सिक्योर करने कई अहम निर्णय किए। असल में, सरकार को लगातार फीडबैक मिल रहे कि जेम खरीदी में लगभग सभी विभागों में भारी गड़बड़ियां हो रही हैं। एक ही सप्लायर अलग-अलग नाम से कई फार्म बनाकर रखता है। फिर संबंधित विभागों के अधिकारियों से सेटिंग कर टेंडर में ऐसा क्लॉज डलवा लेता है, जो दूसरों के पास नहीं होता। फिर अपने ही फार्म से तीन टेंडर भर देता है। और एल1 के बेस पर उसी के फार्म को काम मिल जाता है। बिलासपुर के अटलबिहार विश्वविद्यालय समेत अधिकांश विभागों में यही खेल चल रहा है।

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