छत्तीसगढ़ के भावी अफसरों की एआई करेगा स्कैनिंग,असली या फिर नकली

सीजीपीएससी परीक्षा लेने के साथ ही इंटरव्यू और पदस्थापना आदेश जारी करने में बदनाम है। छत्तीसगढ़ में सीजीपीएससी की नींव ही अच्छी नहीं डली। तभी तो वर्ष 2003 की पहली परीक्षा से लेकर आजतलक जितनी भी परीक्षा हुई सभी में फर्जीवाड़ा सामने आया है। अमूमन सभी मामले हाई कोर्ट में है। अब नई तकनीक का इस्तेमाल होगा। एआई आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से स्केनिंग की जाएगी। पढ़िए एआई किस अंदाज में उम्मीदवारों का स्केनिंग करेगा।

Update: 2024-09-15 08:48 GMT

बिलासपुर। सीजीपीएससी की परीक्षाओं में फर्जीवाड़े पर विराम लगाने अब एआई को तैनात किया जा रहा है। एआई आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए प्रदेश के भावी अफसरों की हकीकत का पता लगाएंगे। एआई यह बताएगा कि परीक्षा हाल में मौजूद उम्मीदवार असली है या फिर नकली। एआई एडमिट कार्ड में लगे फोटो के अलावा परीक्षा हाल में सामने उम्मीदवार की फोटो स्कैन करेगा। दोनों फोटो का अलग-अलग एंगिल से मिलान करेगा। इसके बाद अपना ओपनियन देगा। पाजिटिव रहा तो ठीक,निगेटिव आने पर नकली उम्मीदवार के साथ ही असली उम्मीदवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। एआई उम्मीदवार के चेहरे और एडमिट कार्ड में लगे फोटो का 102 एंगिल से मिलान करेगा। या यूं कहें कि इंक्वायरी करेगा।

पायलट प्रोजेक्ट पर शुरू हो गया है काम

सीजीपीएससी ने एआई तकनीक का परीक्षा हाल में इस्तेमाल करना प्रारंभ कर दिया है। सीजीपीएससी ने एक सितंबर को परिवहन निरीक्षक की परीक्षा आयोजित की थी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत लिखित परीक्षा दिलाने आए उम्मीदवारों का एआई से जांच पड़ताल कराई गई थी। प्रदेश के 16 परीक्षा केंद्रों में एआई तकनीक का इस्तेमाल किया गया था।

एआई ऐसे करता है जांच

सबसे पहले प्रवेश पत्र की क्यूआर स्कैनिंग कर वैधता की जांच की जाती है।

परीक्षा देने सेंटरों में बैठे उम्मीदवारों का बायोमेट्रिक डिवाइस से फोटो और फिंगर प्रिंट लिया जाता है।

परीक्षा केंद्र में उम्मीदवारों की फोटो खींची जाती है।

लाइव फोटो की प्रवेश पत्र में चिपकाए गए फोटो से मिलान किया जाता है।

चेहरे के 102 बिंदुओं से फोटो का मिलान एआई करता है।

इस फर्जीवाड़े को कैसे रोकेंगे

परीक्षा केंद्र में असली या नकली उम्मीदवारों की जांच हो जाएगी। एआई इसे पकड़ भी लेगा। परीक्षा के बाद इंटरव्यू और बैकडोर एंट्री पर कैसे विराम लगेगा। इसे लेकर अब चर्चा भी शुरू हो चुकी है।

अब तक जितनी परीक्षा सभी विवाद में

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के तीन साल बाद वर्ष 2003 में छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग का गठन हुआ।इसी वर्ष राज्य में पहली सीजीपीएससी की परीक्षा हुई। परीक्षा के बाद चयन और फिर अफसरों का पदस्थापना भी हो गया। दो साल तक सीजीपीएससी के अफसरों का कारनामा दबा रहा। तब देश में आरटीआई लागू नहीं हुआ था। लिहाजा अफसरों ने जो फर्जीवाड़ा किया वह भी सार्वजनिक नहीं पाया था। वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने सूचना के अधिकार कानून को प्रभावी कर दिया। वर्ष 2003 में शामिल ऐसे उम्मीदवार जिनको भरोसा था कि उनका चयन हो जाना था।आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी।

जानकारी सामने आते ही फर्जीवाड़े का जिन्न बोतल से बाहर आ गया। छत्तीसगढ़ में बवाल मच गया कि सीजीपीएससी ने शुरुआत से ही फर्जीवाड़े का अंजाम देना शुरू कर दिया है। मामला हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला भी आया। पुरानी मेरिट लिस्ट को रद कर नए सिरे से स्केलिंग करने और मेरिट जारी करने काआदेश कोर्ट ने सीजीपीएससी को दिया। चयनित अफसरों ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश कर दी है। मामला अब भी लंबित है।

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