Bastar Dussehra में फिर से जीवंत हो सकती है 60 साल पुरानी परंपरा, मांझी चालक कर रहे मांग
Bastar Dussehra : बस्तर दशहरा में चलने वाले रथ में मां दंतेश्वरी के छत्र के साथ बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव और उनकी महारानी को रथारूढ़ किया जा सकता है.
Bastar Dussehra : जगदलपुर में विश्व प्रसिद्धि और सबसे लंबे समय तक चलने वाले बस्तर दशहरा में इस बार 60 साल पुरानी परंपरा को फिर से देखा जा सकता है।
जहां छत्तीसगढ़ में एक ओर दशहरा में रावण का वध किया जाता है तो वहीं बस्तर दशहरे में देवी की पूजा की जाती है. विशालकाय रथ में बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी के छत्र को रथारूढ़ करा कर परिक्रमा कराया जाता है. इस उत्सव का नजारा देखने के लिए बस्तर सहित देश विदेश से भी लोग पहुुंचते हैं। अब इस ऐतिहासिक परंपरा को बदलने की अब मांग उठी है.
60 साल पुरानी परंपरा देखने को मिल सकती है
विशालकाय रथ में मां के छत्र के साथ बस्तर राज परिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव और उनकी महारानी को बैठाने की मांग उठ खड़ी हो गई है. दशहरा में इस बार लोगों को एक बार फीर 60 साल पुरानी परंपरा देखने को मिल सकती है. लेकिन पंरपरा को शुरू होने से पहले प्रधान पुजारी ने सवाल उठा दिया है. 75 दिनों तक आयोजित पर्व की खासियत विशालकाय रथ है जिस पर मा दंतेश्वरी के छत्र को लेकर प्रधान पुजारी बैठते है और आदिवासियों का जन समूह पूरे आस्था के साथ रथ को खींचता है. लेकिन इस बार लोगों को 60 साल पुरानी परंपरा को देखने को मिल सकती है. इस बार बस्तर दशहरा में चलने वाले रथ में मां दंतेश्वरी के छत्र के साथ बस्तर राजपरिवार के सदस्य कमलचंद भंजदेव और उनकी महारानी को रथारूढ़ किया जा सकता है. यह मांग उठाई है मांझी चालाकियों ने.
1965 में बस्तर राजा प्रवीर चंद की हत्या के बाद यह परंपरा को बंद कर दिया गया था. उसके बाद से रथ में केवल माता के छत्र को ही रथारूढ़ किया जाता रहा है. नई परंपरा को शुरू करना सही नहीं होगा.
इस मांग को लेकर खुद राजपरिवार सदस्य कमलचंद भजदेव अपनी पुरानी परंपरा को जीवित रखने की बात कह रहे है. उनका कहना है कि बस्तर वासियों की यह मांग काफी सालों से थी, लेकिन विवाह नहीं होने के कारण वे रथ में नहीं बैठे थे.लेकिन अब बस्तर के आदिवासियों के मांग अनुसार वे रथ में अपनी महारानी के साथ बैठ सकते हैं. इसको लेकर जिला प्रशासन तक मांग पत्र पहुंचाई भी जा चुकी है. बस्तर दशहरे को लेकर प्रशासन और मांझी चालाकियों की बैठक की गई.