Cheteshwar Pujara Retired: चेतेश्वर पुजारा का संन्यास, क्रिकेट को कहा अलविदा, 103 टेस्ट, 7200 रन और 19 शतक… जानें करियर की पूरी कहानी
Cheteshwar Pujara Retires from Cricket: भारतीय क्रिकेट टीम की टेस्ट बैटिंग लाइन-अप का सबसे भरोसेमंद नाम और "दीवार" कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने आखिरकार क्रिकेट से संन्यास ले लिया है।
Cheteshwar Pujara Retires from Cricket: भारतीय क्रिकेट टीम की टेस्ट बैटिंग लाइन-अप का सबसे भरोसेमंद नाम और "दीवार" कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा ने आखिरकार क्रिकेट से संन्यास ले लिया है। रविवार, 24 अगस्त 2025 को पुजारा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपने फैसले का ऐलान किया। उनके इस फैसले के साथ भारतीय क्रिकेट के एक सुनहरे दौर का अध्याय बंद हो गया।
आज पुजारा ने लिखा कि भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और मैदान पर हर बार अपना सबकुछ झोंक देना उनके लिए हमेशा गर्व का पल रहा है। उन्होंने भावुक होकर कहा कि हर अच्छी यात्रा का अंत होता है और अब उन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने का फैसला किया है। पुजारा ने अपने सभी फैन्स, परिवार और साथियों को प्यार और समर्थन के लिए धन्यवाद दिया।
20 साल का लंबा सफर
आप बताते चलें, चेतेश्वर पुजारा का क्रिकेट सफर 2005 में घरेलू क्रिकेट से शुरू हुआ था। उन्होंने 2010 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेंगलुरु टेस्ट से इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था। व्हाइट बॉल फॉर्मेट में वे ज्यादा लंबे समय तक जगह नहीं बना पाए, लेकिन रेड बॉल यानी टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने एक दशक से ज्यादा तक भारत के लिए मजबूत दीवार का काम किया। उनका आखिरी टेस्ट मैच भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जून 2023 में खेला गया था, जबकि आखिरी फर्स्ट क्लास मैच फरवरी 2025 में गुजरात के खिलाफ खेला।
पुजारा का रिकॉर्ड
पुजारा ने भारत के लिए 103 टेस्ट और 5 वनडे खेले। इन 108 अंतर्राष्ट्रीय मुकाबलों में उन्होंने 7200 से ज्यादा रन बनाए। टेस्ट क्रिकेट में उनका औसत उन्हें बाकी बल्लेबाज़ों से अलग बनाता है। उनके नाम 19 शतक दर्ज हैं और उनका बेस्ट स्कोर 206 नाबाद रन रहा। वनडे में उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले और वे सिर्फ 5 मैच खेल पाए, लेकिन रेड बॉल क्रिकेट में उन्होंने जो छाप छोड़ी, वह हमेशा याद रखी जाएगी।
क्यों कहते हैं पुजारा को दीवार?
भारतीय क्रिकेट में “दीवार” का खिताब पहली बार सुनील गावस्कर और फिर राहुल द्रविड़ को मिला। उनके बाद यही पहचान पुजारा ने बनाई। ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे तेज गेंदबाज़ी वाले देशों में जब बाकी बल्लेबाज़ पवेलियन लौट जाते थे, पुजारा क्रीज़ पर टिके रहते थे। उनका धैर्य, तकनीक और टीम के लिए मैच बचाने का जुनून ही उन्हें “न्यू वॉल ऑफ इंडिया” बनाता है।
पुजारा के रिटायरमेंट पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर फैन्स और क्रिकेटर्स ने उन्हें बधाई दी और उनके योगदान को याद किया। कई लोगों ने कहा कि पुजारा का नाम भारतीय टेस्ट क्रिकेट की महान परंपरा में हमेशा सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।
चेतेश्वर पुजारा ने सिर्फ रन नहीं बनाए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाया कि क्रिकेट सिर्फ आक्रामकता का खेल नहीं, बल्कि धैर्य, मानसिक मजबूती और अनुशासन का भी है। उनका संन्यास भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा खालीपन छोड़ गया है।