Satta King Ban Law Explainer: जानिए पब्लिक गैंबलिंग एक्ट1867 क्या है? कैसे यह सट्टा किंग जैसे खेलों पर होता है लागू? पढ़ें किन राज्यों में जुए पर है पूरी तरह प्रतिबंध?

Satta King Ban Law Explainer: भारत में सट्टा किंग और सट्टा मटका जैसे नंबर बेस्ड खेलों को लेकर लोगों में हमेशा उत्सुकता रही है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह खेल 1867 के कानून के तहत अब भी पूरी तरह ग़ैरकानूनी है।

Update: 2025-11-07 06:00 GMT

Satta King Ban Law Explainer: भारत में सट्टा किंग और सट्टा मटका जैसे नंबर बेस्ड खेलों को लेकर लोगों में हमेशा उत्सुकता रही है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह खेल 1867 के कानून के तहत अब भी पूरी तरह ग़ैरकानूनी है। आइए जानते हैं कि इस पुराने लेकिन प्रभावी कानून में क्या प्रावधान हैं और क्यों सरकार ने इस खेल को पूरी तरह बैन कर रखा है। 

क्या है Public Gambling Act, 1867

ब्रिटिश शासन के दौरान लागू किया गया यह कानून आज भी भारत के ज़्यादातर राज्यों में लागू है।
यह अधिनियम किसी भी "जुए के घर" (gambling house) के संचालन, प्रबंधन या उसमें भाग लेने को अपराध घोषित करता है।
अगर कोई व्यक्ति सट्टा खेलते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे जुर्माना या कारावास (अधिकतम 3 महीने) की सज़ा दी जा सकती है।
यह कानून उस व्यक्ति पर भी लागू होता है जो जुआघर का संचालन करता है या खिलाड़ियों को जोड़ने का काम करता है।

ऑनलाइन सट्टा और यह कानून

1867 का यह अधिनियम उस दौर में बना था जब इंटरनेट और मोबाइल जैसी तकनीकें नहीं थीं। लेकिन आज कई राज्यों ने इस कानून की व्याख्या को डिजिटल युग के हिसाब से विस्तारित कर दिया है।

अब “ऑनलाइन सट्टा” को भी इसी कानून के तहत अपराध माना जाता है। कई साइबर सेल और पुलिस यूनिट्स ऑनलाइन सट्टा साइट्स और ऐप्स के खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई करती हैं। अगर कोई व्यक्ति डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सट्टा लगाता है या दूसरों को प्रेरित करता है, तो वह भी इसी अपराध की श्रेणी में आता है।

राज्यों के अधिकार

भारत में “जुआ और सट्टेबाज़ी” राज्य सूची का विषय है यानी हर राज्य इस पर अपने कानून बना सकता है। गोवा और सिक्किम जैसे कुछ राज्यों ने लाइसेंस प्राप्त कैसीनो और लॉटरी गेम्स को सीमित अनुमति दी है। लेकिन उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों में सट्टेबाज़ी पूरी तरह प्रतिबंधित है।

क्यों लगाया गया बैन

सट्टेबाज़ी पर रोक के पीछे सरकार की सबसे बड़ी चिंता यह है कि यह खेल समाज में आर्थिक असमानता, अपराध और नशे जैसी लत को बढ़ावा देता है। यह गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को तेज़ पैसे की उम्मीद में कर्ज और तनाव में धकेल देता है। कई बार सट्टे के चक्कर में चोरी, ठगी और हिंसा जैसी घटनाएँ भी बढ़ जाती हैं। इसी कारण सरकार और पुलिस दोनों इसे “सामाजिक अपराध” की श्रेणी में रखती हैं।

क्या सट्टे का कोई कानूनी विकल्प है?

हाँ- राज्य सरकार द्वारा संचालित लॉटरी पूरी तरह वैध है, बशर्ते कि वह लाइसेंस और कर नियमों के दायरे में हो। इसके अलावा “गेम ऑफ़ स्किल” यानी बुद्धिमत्ता या कौशल पर आधारित खेल (जैसे शतरंज, क्विज़ या रमी ऐप्स) को सीमित रूप से अनुमति है, क्योंकि वे भाग्य पर नहीं बल्कि कौशल पर आधारित माने जाते हैं।

Public Gambling Act, 1867 भले ही पुराना हो, लेकिन आज भी सट्टेबाज़ी पर नियंत्रण के लिए यही मुख्य आधार है। यह कानून याद दिलाता है कि तेज़ पैसा कमाने की चाह अकसर कानून और ज़िंदगी दोनों को खतरे में डाल देती है। समझदारी इसी में है कि ऐसे अवैध खेलों से दूरी बनाकर कानूनी और सुरक्षित रास्ते चुने जाएं।

डिस्क्लेमर

यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। NPG.News किसी भी तरह की सट्टेबाज़ी, जुए या अवैध गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देता। सट्टेबाज़ी में शामिल होना कानूनन अपराध है और इससे दूर रहना ही समझदारी है।

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