Supreme Court News: हसदेव अरण्य पेड़ कटाई केस: सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को किया रद्द...

Supreme Court News: हसदेव अरण्य संघर्ष समिति ने हसदेव अरण्य पीईकेबी कोल ब्लॉक में पेड़ कटाई पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक महीने के भीतर गुणदोष के आधार पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। पढ़ें सुप्रीम कोर्ट ने हसदेव अरण्य के मामले में क्या कहा।

Update: 2024-09-17 13:35 GMT

Supreme Court News: बिलासपुर। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाय चंद्रचूड़, जस्टिस पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के 2 मई 2024 को पारित उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें हसदेव अरण्य संघर्ष समिति की पीईकेबी कोल ब्लॉक में पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को निरस्त कर दिया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को पूर्व में दायर याचिका पर पुनः सुनवाई करने और एक महीने के भीतर फिर से फैसला करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि और कहा है कि फैसला गुण दोष के आधार पर किया जाए। गौरतलब है कि इसके पहले दो बार तकनीकी कारणों से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को निरस्त कर चुका है।

हसदेव अरण्य संघर्ष समिति ने हाई कोर्ट में दायर की थी याचिका

हसदेव अरण्य के पीईकेबी (परसा ईस्ट केते बासन) कोल ब्लाक, जो कि राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित है और जहां खदान संचालन का पूरा काम अदानी कंपनी के हाथ में है उसके दूसरे चरण में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने के लिए हसदेव अरण्य संघर्ष समिति द्वारा बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी ।याचिका में तर्क दिया गया है कि फेस टू का जंगल घाटबर्रा गांव के अलावा अन्य गांव के लिए सामुदायिक वन अधिकार का जंगल है और उसे गलत तरीके से रद्द किया गया है ।

इसलिए हाई कोर्ट ने रद्द कर दी थी याचिका

2022 में भी जब फेस 2 में पेड़ों की कटाई शुरू हुई थी उस समय हसदेव अरण्य संघर्ष समिति के द्वारा हाई कोर्ट में कटाई पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की गई थी, जिसे हाई कोर्ट में यह कहकर निरस्त कर दिया था कि वन अनुमति के आदेश जो 2 फरवरी 2022 और 25 मार्च 2022 को पारित हुए हैं उन्हें समिति ने चुनौती नहीं दी है ।

तब सुप्रीम कोर्ट ने इस शर्त के साथ याचिका को कर दिया था निराकृत

समिति के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका लगाई गई थी जिसे 16 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर निराकृत किया था कि संशोधन याचिका के माध्यम से वन अनुमति दिए जाने वाले आदेशों को चुनौती देकर वे पुनः पेड़ कटाई पर रोक लगाने की याचिका हाई कोर्ट ने लगा सकते हैं । संशोधन याचिका और पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को संज्ञान लेकर निर्णय देने कहा है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद संघर्ष समिति की याचिका पर नवंबर 2023 में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में संशोधन याचिका और पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका पर बहस की गई थी। हाई कोर्ट ने संशोधन याचिका को तो स्वीकार किया, परंतु पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को यह कहकर निरस्त कर दिया गया कि पहले भी एक बार ऐसी याचिका हाई कोर्ट के द्वारा निरस्त की जा चुकी है । अर्थात दूसरी बार भी बिना गुण दोष के आधार पर यह याचिका निरस्त कर दी गई है।

एक महीने में सुनवाई नहीं होती है पूरी तो याचिकाकर्ता दोबारा दायर कर सकेंगे याचिका

सभी तर्काें को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित कर हाई कोर्ट को पेड़ कटाई पर रोक लगाने वाली याचिका को एक महीने के भीतर सुनवाई करने और गुण दोष के आधार पर निर्णय लेने के निर्देश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि यदि एक महीने में सुनवाई पूरी नहीं होती है तो वह फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में आज याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्र उदय सिंह ने बहस की और उनके साथ अधिवक्ता प्योली भी थी।


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