NPG न्यूज की खबर और कोरबा जिला प्रशासन का दिलचस्प खंडन, आप भी पढ़िये और बताइये कौन सही, कौन गलत

NPG News: छत्तीसगढ़ के कोरबा स्थित बालको के जमीन कब्जे की जांच करने आई सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी कलेक्टर द्वारा रिसीव न करने की वजह से नाराज हो गई। एनपीजी न्यून ने इस शीर्षक से खबर प्रकाशित की...कलेक्टर के न पहुंचने पर सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी भड़की, मनाने के लिए कलेक्टर को जाना पड़ा गेस्ट हाउस। जिला प्रशासन द्वारा इस खबर का खंडन करते हुए मनगढ़ंत, दुर्भानाग्रस्त और पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया गया है। मगर क्लास यह है कि जिला प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट खुद ही घटना क चुगली कर रहा है। आप भी इसे पढ़िये।

Update: 2024-12-29 08:23 GMT

कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा स्थित बालको के जमीन कब्जे की जांच करने आई सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी कलेक्टर द्वारा रिसीव न करने की वजह से नाराज हो गई। एनपीजी न्यून ने इस शीर्षक से खबर प्रकाशित की...कलेक्टर के न पहुंचने पर सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी भड़की, मनाने के लिए कलेक्टर को जाना पड़ा गेस्ट हाउस। जिला प्रशासन द्वारा इस खबर का खंडन करते हुए मनगढ़ंत, दुर्भानाग्रस्त और पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया गया है। मगर क्लास यह है कि जिला प्रशासन द्वारा जारी प्रेस नोट खुद ही घटना क चुगली कर रहा है। आप भी इसे पढ़िये।

कोरबा। एनपीजी न्यूज की कल की खबर और जिला प्रशासन का खंडन हम नीचे अक्षरशः पोस्ट करेंगे। आप भी इसे देखिएगा मगर मगर इससे इन बिंदुओं में बताना चाहेंगे कि जिला प्रशासन का खंडन क्यों गैर जरूरी था।

1. खबर में कहीं नहीं लिखा है कि कलेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट की इम्पावर कमेटी का अगुवानी न कर गलत किया।

2. जिला प्रशासन ने खुद के प्रेस नोट में स्वीकार किया है कि कलेक्टर के रिसीव करने न पहुंचने पर कमेटी नाराज हो गई।

3. एनपीजी न्यूज ने इसी बात को आधार बनाते हुए एकदम बैलेंस खबर बनाई। फिर ये मनगढ़ंत कैसे हुआ।

4. एनपीजी की खबर की हेडिंग में कलेक्टर मनाने पहुंचे...लिखा था। इस पंक्ति में भी कहीं कुछ गलत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर कोई इम्पावर कमेटी बनी है। और उसके सदस्य अगर कोरबा जिले में आकर दुखी हो जाते हैं तो राज्य सरकार के प्रतिनिधि और जिले के मुखिया के नाते कलेक्टर का दायित्व बनता है कि कमेटी को संतुष्ट करें। कलेक्टर कोरबा ने ऐसा ही किया। खुद ही गेस्ट हाउस पहुंचे। प्रेस नोट में लिखा भी है...स्पष्टीकरण के बाद कमेटी के दो में से एक सदस्य खुश हो गए और जिला प्रशासन की तैयारियों की तारीफ की।

5. सीधी सी बात है कि जब कोई चूक नहीं तो फिर स्पष्टीकरण क्यों देना पड़ेगा।

6. खबर में कलेक्टर का वर्जन भी लिखा गया। इसमें उन्होंने बताया कि वन विभाग के अतिथि होने की वजह से डीएफओ उन्हें रिसीव करने पहुंचे थे। जैसा उन्होंने बताया, वैसा लिखा गया। याने जिला प्रशासन का पक्ष भी प्रमुखता से दिया गया।

7. मीडिया जो घटना घटती है, उसे कवर करता है। एनपीजी की खबर बिल्कुल संतुलित थी। जिला प्रशासन का प्रेस नोट भी उसकी पुष्टि कर रही है। कलेक्टर के न पहुंचने पर कमेटी नाराज होकर गेस्ट हाउस पहुंच गई...फिर गेस्ट हाउस में कलेक्टर का स्पष्टीकरण...इसका मतलब क्या निकलता है।

बहरहाल, एनपीजी की खबर और उसके नीचे जिला प्रशासन का प्रेस नोट चस्पा कर रहे हैं...आप बताइयेगा कौन सही और कौन गलत?

28 दिसंबर को प्रकाशित एनपीजी न्यूज की खबर


कलेक्टर के न पहुंचने से सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी भड़की, मनाने के लिए कलेक्टर को जाना पड़ा गेस्ट हाउस


कोरबा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बनी हाई पावर कमेटी बालकों के जमीन कब्जे की जांच करने आज कोरबा पहुंची थी। मगर कलेक्टर के न पहुंचने पर कमेटी के सदस्य मीटिंग हाल के गेट से ही वापस लौट गए। कलेक्टर की बजाए डीएफओ और एडिशनल कलेक्टर मीटिंग में हिस्सा लेने पहुंचे थे।

29 दिसंबर को जारी कोरबा जिला प्रशासन का प्रेस नोट

दिनांक 28 दिसंबर 2024 को न्यूज पोर्टल एनपीजी न्यूज में प्रकाशित समाचार " " के संबंध में वस्तु स्थिति एवं खंडन

राज्य शासन से जारी प्रोटोकॉल का किया गया पालन:कलेक्टर

कोरबा 29 दिसम्बर 2024/ बाल्को द्वारा 1804 एकड़ भूमि पर वन संरक्षण अधिनियम 1980 के उल्लंघन में किए गए अवैध कब्जे की जांच के लिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय सशक्त कमिटी के सदस्य माननीय श्री चंद्र प्रकाश गोयल भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त) तथा माननीय श्री सुनील लिमये भारतीय वन सेवा (सेवानिवृत्त) दो दिवसीय कोरबा प्रवास पर (दिनांक 26 दिसंबर तथा 27 दिसंबर 2024) को पहुंचे थे ।

कार्यालय राज्य शिष्टाचार अधिकारी छत्तीसगढ़ द्वारा जारी पत्र क्रमांक 907/उसं /तारिख/ 2024 के तहत माननीय सदस्य द्वय को वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का राजकीय अतिथि घोषित किया गया था ।

उक्त पत्र के निर्देशों के तहत कलेक्टर/ पुलिस अधीक्षक कोरबा को सदस्यों की सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया था। प्रतिलिपि क्रमांक 1 के तहत वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को आवास, परिवहन सहित अन्य आवश्यक सुविधाएं सुनिश्चित करने हेतु निर्देशित किया गया था।

पत्र में जारी निर्देशों के अनुसार माननीय सदस्य द्वय के आगमन पर वनमण्डलाधिकारी कोरबा तथा जिला प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर कोरबा द्वारा उन्हें एनटीपीसी विश्राम गृह में रिसीव किया गया। जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा एवं कानून सम्बंधी व्यवस्था सुनिश्चित किया गया तथा वनमंडलाधिकारी के साथ समन्वय कर आवास तथा परिवहन की व्यवस्था प्रोटोकॉल शाखा द्वारा प्रदान की गयी।

प्रस्तावित बैठक जिसमें कलेक्टर एवं वनमण्डलाधिकारी दोनों उपस्थित होने वाले थे, उक्त बैठक की पूरी तैयारी जिला प्रशासन द्वारा सुनिश्चित की गई थी। बैठक से पहले वनमण्डलाधिकारी कोरबा के माध्यम से माननीय सदस्य द्वय को कलेक्टर के द्वारा अपने चेंबर में आमंत्रित किया गया था। माननीय सदस्य द्वारा सीधे ही मीटिंग कक्ष पहुंचकर यह सार्वजनिक आपत्ति व्यक्त की गई की कलेक्टर क्यों रिसीव करने नहीं आये।

आपत्ति व्यक्त कर माननीय सदस्य द्वय के द्वारा कलेक्टर को एनटीपीसी गेस्ट हाउस में मीटिंग हेतु निर्देशित किया गया। विश्राम गृह में पहुंचने के साथ ही माननीय सदस्य को यह अवगत कराया गया कि विभागीय अतिथियों को कलेक्टर द्वारा रिसीव करने के शासन से कोई निर्देश प्राप्त नहीं है, और जिले में ऐसी कोई परंपरा नहीं रही है।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय में उक्त प्रकरण में ओआईसी अपर कलेक्टर कोरबा है तथा उन्होंने एवं वनमण्डलाधिकारी ने महोदय को रिसीव किया तथा पूरे प्रवास के दौरान हुए महोदय के साथ थे।

छत्तीसगढ़ राज्य अतिथि नियम 2003 की श्रेणी चार की कंडिका 6 में यह स्पष्ट है कि विभागीय राज्य अतिथियों के लिए सभी प्रकार के प्रबंध एवं व्यय का वहन राज्य सरकार का संबंधित विभाग करेगा। साथ ही कलेक्टर द्वारा किन अतिथियों को रिसीव किया जाएगा, इस संबंध में सुस्थापित परम्पराएं एवं निर्देश हैं, जिनका पालन आज दिनाँक तक होता रहा है।

प्रस्तावित मीटिंग में कलेक्टर द्वारा राज्य शासन के पक्ष को पूरी दृढ़ता से रखें जाने हेतु उचित तैयारी की गई थी। कलेक्टर के स्पष्टीकरण को सुनने के बाद मीटिंग संपन्न हुई तथा कमिटी के एक माननीय सदस्य द्वारा उक्त प्रकरण में शासन के हित में जिला प्रशासन की तैयारी की प्रशंसा की गई। उक्त मीटिंग में जिला प्रशासन के द्वारा 1804 एकड़ राजस्व वनभूमि पर बालको के कब्जे को अवैध माने जाने हेतु जिला प्रशासन ने केंद्रीय सशक्त कमेटी के माननीय सदस्य द्वय के समक्ष मजबूती से शासन का पक्ष रखा।

उपरोक्त तथ्यों के अतिरिक्त एनपीजी न्यूज पोर्टल में प्रकाशित समाचार के हेडलाइन तथा अन्य सभी तथ्य मनगढ़ंत दुर्भावना पूर्ण तथा पूर्वाग्रह से ग्रसित है। जिसका जिला प्रशासन कोरबा खंडन करता है।



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