IPS Arif Sheikh Biography in Hindi: आईपीएस आरिफ शेख का जीवन परिचय (जीवनी), जाने कौन है छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस आरिफ शेख?

IPS Arif Sheikh Biography, Hindi, Age,wiki, wife,Family, Children, Name, Date of Birth, wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth:– आईपीएस आरिफ शेख छत्तीसगढ़ कैडर के 2005 बैच के आईपीएस है। वे मूलतः महाराष्ट्र के रहने वाले है। आरिफ के पिता भी पुलिस में इंस्पेक्टर थे। आरिफ प्रदेश के पहले ऐसे अफसर है जिन्हें कम्युनिटी पुलिसिंग के लिए दो बार आईएससीपी अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। उन्हें फिक्की समेत कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय अवार्ड मिले हैं।

Update: 2024-06-17 12:43 GMT

IPS Arif Sheikh

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एनपीजी। आरिफ एच शेख छत्तीसगढ़ कैडर के 2005 बैच के आईपीएस अफसर है। वे मूलतः महाराष्ट्र के रहने वाले हैं। इंजीनियरिंग करने के बाद प्रतिष्ठित कंपनी में आरिफ कार्यरत थे। प्राइवेट जॉब छोड़कर यूपीएससी की तैयारी करने वाले आरिफ ने प्रथम प्रयास में ही 94 रैंक के साथ यूपीएससी क्रैक की है। वे पहले मणिपुर कैडर के आईपीएस थे फिर बाद में छत्तीसगढ़ कैडर आए। वे पुलिस विभाग में नवाचार के लिए जाने जाते हैं। प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय आईएसीपी अवार्ड छत्तीसगढ़ प्रदेश में पहली बार आईपीएस आरिफ शेख को ही मिला। अब तक छत्तीसगढ़ में आरिफ शेख केवल तीन आईपीएस को यह पुरस्कार मिला है। छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की यह बात है कि आरिफ शेख को आईएससीपी अवार्ड एक नहीं दो बार मिला है। आइए जानते हैं उनके बारे में...

जन्म और शिक्षा:–

आरिफ एच शेख छत्तीसगढ़ कैडर के 2005 बैच के आईपीएस है। वे मूलतः महाराष्ट्र के रहने वाले है। उनका जन्म 30 मार्च 1980 को हुआ है। आरिफ के पिता महाराष्ट्र पुलिस में इंस्पेक्टर थे। तीन भाई– बहनों में आरिफ सबसे बड़े हैं। उनसे छोटा एक भाई व एक बहन है। आरिफ का परिवार मुंबई के मरोल पुलिस कैंप में रहता था। उनके प्रारंभिक स्कूल शिक्षा मुंबई से हुई है। मुंबई के सेंट लॉरेंस स्कूल से उन्होंने दसवीं तक की शिक्षा ग्रहण की। 11वीं 12वीं उन्होंने पुणे से पूरी की। पिता के ट्रांसफर के चलते आरिफ का परिवार पूरे शिफ्ट हो गया था। पुणे में 11 वीं व 12वीं की पढ़ाई के दौरान उन्होंने भूगोल व मराठी सब्जेक्ट के लिए थे।

अमिताभ बच्चन से मुलाकात:–

आरिफ एच शेख अमिताभ बच्चन के बड़े फैन है। जब वे सातवीं कक्षा में उनके घर के पास अमिताभ बच्चन के अकेला फिल्म की शूटिंग होनी थी। मार– धाड़ व एक्शन वाले सीन फिल्माए जाने थे। फिल्म की शूटिंग देखने के लिए व अमिताभ बच्चन से मिलने के लिए रोमांचित सातवीं कक्षा का छात्र आरिफ स्कूल व कोचिंग बंक कर शूटिंग स्पॉट पर पहुंच गए। बस पहले दिन तारीख को अमिताभ बच्चन से मिलने में सफलता नहीं मिल पाई। धुन के पक्के व अमिताभ के बड़े फैन आरिफ दूसरे दिन भी गणित की कोचिंग बंक कर स्कूल बैग के साथ शूटिंग स्पॉट पर पहुंच गए। उन दिनों आरिफ के गणित विषय की परीक्षा भी होनी थी। पर आरिफ ने सोचा कि परीक्षा तो हर साल आती है और अमिताभ बच्चन केवल एक बार आए हैं। दूसरे दिन शूटिंग स्पॉट पर आरिफ फिर से अमिताभ से मिलने की कोशिशें करने लगे। पर आरिफ अंदर नहीं घुस पा रहे थे। तभी वहां एक हेड कांस्टेबल ने आरिफ को देखा। आरिफ के पिता के नाम से वह आरिफ को पहचानता था कि यह शेख साहब का बेटा है। वह हेड कांस्टेबल आरिफ को अपने साथ अंदर ले गया। उसने आरिफ से वादा किया था कि वह उन्हें अमिताभ बच्चन से मिलवाएगा। अमिताभ के आने पर उस हेड कांस्टेबल ने आरिफ को अमिताभ से मिलवाया भी। अमिताभ ने आरिफ से जब स्कूल नहीं जाने के बारे में पूछा तब आरिफ ने अपना गणित का ही नोटबुक आगे बढ़ा दिया। तब अमिताभ ने उस पर ऑटोग्राफ दिया।

पिता की पिटाई से बदली जीवन की दिशा:–

आरिफ के स्कूल व कोचिंग बंक कर शूटिंग देखने जाने की बात पुलिस इंस्पेक्टर पिता को पता चल गई। उन्होंने आरिफ की जमकर पिटाई की। जिसके बाद आरिफ के मन में पढ़ाई के लिए रुचि जागी। और उन्होंने आठवीं बोर्ड में टॉप किया। बता दे कि आरिफ गणित विषय में कमजोर थे पर बाद में उन्होंने इस कमजोरी को दूर किया। 10वीं आरिफ ने 85. 14% अंकों के साथ पास किया। 12वीं में आरिफ के 90% अंक आए।

12वीं के बाद आरिफ शेख ने पुणे विद्यापीठ से इंजीनियरिंग की। 2001 में इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग ब्रांच में बीटेक कंप्लीट किया। आरिफ शेख ने इंजीनियरिंग के दौरान पुणे यूनिवर्सिटी में टॉप किया। आरिफ शेख शुरू से ही जुझारू रहे हैं। विप्रो इन्फोसिस जैसी कंपनियों में भी आरिफ ने केंपस प्लेसमेंट के लिए साक्षात्कार दिया था। पर उसमें उनका चयन नहीं हो पाया। खाना मानते हुए उन्होंने फिर से इंटरव्यू एक नामी कंपनी में दिया। कब उनका पहले प्लेसमेंट एचसीएल टेक्नोलॉजी में हुआ। तब आरिफ की सैलरी 25 हजार रुपए थी। उस समय के हिसाब से यह काफी अच्छी सैलरी थी। आरिफ शेख को कैंपस सलेक्शन के दौरान कहा गया था कि उन्हें साइबर सिक्योरिटी में डाला जाएगा पर उन्हें रिसर्च एंड एनालिसिस विंग में काम करवाया जा रहा था। पसंदीदा काम नहीं मिलने व खडूस बॉस के चलते जॉब सर्च कर यूपीएससी की तैयारी के बारे में आरिफ ने सोचा।

यूपीएससी में सलेक्शन:–

आरिफ शेख के पिता बचपन में उन्हें कहा करते थे कि तुम आईपीएस अफसर बनना। आरिफ के कॉलेज में एक बार भारत की प्रथम महिला आईपीएस किरण बेदी आई हुई थी। जिनसे पुलिस के बारे में जान आरिफ भी पुलिस में जाना चाहते थे। पर अच्छे पैकेज पर प्राइवेट जॉब मिलने के चलते उनका सपना थोड़ा धुंधला हो गया था। आरिफ के मन में एक बार फिर से आईपीएस बनने की तमन्ना जागी। उन्होंने जब छोड़कर यूपीएससी की तैयारी के बारे में पिता से डिस्कस किया। तब तक आरिफ के ऊपर घर परिवार सम्हालने की भी जवाबदारी आ चुकी थी। उनके छोटे भाई बहन भी इस दौरान पढ़ाई कर रहे थे और सभी के खर्च वहन करने में आरिफ पिता को सहयोग करते थे।

आरिफ के पिता ने उन्हें जॉब छोड़कर तैयारी के लिए एक मौका दिया। साथ ही उन्हें यह भी कहा कि यदि एक प्रयास में ही चयन नहीं हुआ तब फिर से आरिफ को अपनी पुरानी प्राइवेट नौकरी में लौटना पड़ेगा। पिता की शर्त को मानते हुए आरिफ ने जमकर तैयारी शुरू की। आरिफ ने सितंबर 2003 से तैयारी शुरू की और मई 2004 में प्री दिया। आरिफ ने 1 साल तक जमकर तैयारी की। तैयारी के लिए दिल्ली नहीं गए बल्कि पुणे में घर पर रहकर ही तैयारी की। आरिफ कभी हॉस्टल में नहीं रहे। स्कूलिंग से लेकर इंजीनियरिंग और यूपीएससी की तैयारी तक उन्होंने घर पर रहकर पढ़ाई की। पुणे के कुछ कोचिंग संस्थानों से आरिफ ने मार्गदर्शन लिया।

आरिफ का इंटरव्यू डीपी अग्रवाल सर के बोर्ड में हुआ। डीपी अग्रवाल बाद में यूपीएससी के चेयरमैन भी रहें थे। आरिफ शेख का एक विषय भूगोल था। उनसे साक्षात्कार में भूगोल से संबंधित अधिकतर प्रश्न, एक मराठी कविता के कवि का नाम, चुनाव सुधारों, अंतरराष्ट्रीय संबंधों, क्रिकेट में उनकी रुचि को देखते हुए क्रिकेट के संबंध में प्रश्न पूछे गए थे। प्रथम प्रयास में ही 94 वीं रैंक के साथ आरिफ यूपीएससी में सलेक्ट हुए और आईपीएस बने।

प्रोफेशनल कैरियर:–

आरिफ एच शेख ने 12 दिसंबर 2005 को आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। आरिफ सब को सबसे पहला कैडर त्रिपुरा–मणिपुर मिला। अलगाववादी तत्वों के बीच आरिफ शेख ने ढाई सालों तक सेवा दी। पॉलिटेक्निक कॉलेज वहां की भाषा बांग्ला थी जिससे जुड़कर आरिफ ने ढाई साल तक काफी अच्छा काम किया। फिर आईएएस पत्नी से शादी होने पर उन्होंने मैरिज के आधार पर इंटर कैडर चेंज पॉलिसी के तहत छारीसगढ़ कैडर चुन लिया।

आरिफ शेख छत्तीसगढ़ में बालोद, जगदलपुर, जांजगीर-चांपा, बिलासपुर, रायपुर, बलौदा बाजार एसपी रहे। डीआईजी प्रमोशन के बाद में छत्तीसगढ़ एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के चीफ रहें। आईजी पद पर प्रमोशन के बाद आरिफ रायपुर ग्रामीण रेंज आईजी रहे। नवाचारों के लिए पहचाने जाने वाले आरिफ शेख मिशन ई रक्षा, मिशन जीव दया, मिशन पूर्ण शक्ति, आमचों बस्तर, आमचों पुलिस,संवेदना केंद्र, राखी विथ खाकी, हर हेड हेलमेट जैसे अभियान चलाया।

बस्तर में रहने के दौरान आदिवासी समुदाय और पुलिस के बीच खाई को बांटने के लिए आमचो बस्तर, आमचो पुलिस अभियान चलाया। बिलासपुर जिले में पोस्टिंग के दौरान राखी विथ खाकी अभियान और संवेदना केंद्र बनवाया। राखी विथ खाकी नाम से चलाई गई मुहिम में रक्षाबंधन के दिन जगह जगह तैनात पुलिस कर्मियों की कलाई पर महिलाओं और युवतियों ने राखी बांधी और उनके साथ सेल्फी ली और बिलासपुर पुलिस के सोशल मीडिया पेज पर अपलोड किया। इस मुहिम की थीम लाइन थी "एक भाई जो दूर रहकर भी पास है"। इस अभियान के माध्यम से 50 हजार से अधिक लड़कियों के मोबाइल में हेल्पलाइन नंबर फीड करवाया। रायपुर में रहने के दौरान हर हेड हेलमेट अभियान आरिफ शेख ने चलाया। जिसमें 15 अगस्त के दिन पुलिस के द्वारा 15 हजार से अधिक हेलमेट समाज सेवी संगठनों के माध्यम से बांटे गए।

अवार्ड और इनाम:–

आरिफ शेख कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके है। उन्हें फिक्की स्मार्ट पुलिसिंग अवार्ड, दो बार इंटरनेशनल आईएसीपी अवार्ड, बालोद एसपी रहते हुए सैन डिएगो में सिक्योरिटी वॉच इंडिया पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वर्तमान में आरिफ पुलिस मुख्यालय के पद पर हैं।

जीवन साथी:–

आरिफ एच शेख ने छत्तीसगढ़ कैडर की आईएएस शम्मी आबिदी से विवाह किया है। वे 2007 बैच की आईएएस है। वर्तमान में शम्मी महिला एवं बाल विकास विभाग में सचिव के पद पर कार्यरत है।

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