IPS Abhishek Pallava Biography in Hindi: आईपीएस अभिषेक पल्लव का जीवन परिचय ( जीवनी), जानिए कौन है छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अभिषेक पल्लव?

IPS Abhishek Pallava Biography, Hindi, Age,wiki, wife,Family, Children, Name, Date of Birth, wife, Family, Height, Career, Nick Name, Net Worth:– आईपीएस अभिषेक पल्लव छत्तीसगढ़ कैडर के 2013 बैच के आईपीएस अफसर है। वे मूलतः बिहार के रहने वाले हैं। गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेजों से पढ़ाई पूरी करने वाले मनोचिकित्सक अभिषेक पल्लव ने पहले प्रयास में यूपीएससी क्रैक किया था। उन्हें राष्ट्रपति वीरता पदक से भी सम्मानित किया जा चुका है।

Update: 2024-06-26 09:03 GMT

IPS Abhishek Pallava

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एनपीजी। अभिषेक पल्लव छत्तीसगढ़ कैडर के 2010 बैच के आईपीएस हैं। वे मूलतः बिहार के बेगूसराय जिले के रहने वाले है। एमबीबीएस करने के बाद एमडी कर मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी करते हुए अभिषेक पल्लव ने यूपीएससी पहले ही अटेम्प्ट में 261 वीं रैंक के साथ क्रैक की। खास बात यह है कि शादी के बाद अभिषेक पल्लव ने यूपीएससी क्रैक की है। लंबे समय तक नक्सल एरिया में सेवा देने वाले अभिषेक पल्लव को नक्सल मोर्चे पर अदम्य साहस दिखाने के चलते राष्ट्रपति विरता पदक मिला है। आइए जानते हैं उनके बारे में...

जन्म और शिक्षा:–

आईपीएस अभिषेक पल्लव बिहार राज्य के बेगुसराय जिले के रहने वाले है। उनका जन्म बेगुसराय के छोटे से गांव नारकोठारी में 2 सितंबर 1982 को हुआ था। अभिषेक के पिता ऋषि कुमार सेना के मिलिट्री इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में इंजीनियर थे। उनकी माता आशा देवी गृहणी हैं। पिता की नौकरी के चलते अभिषेक पल्लव की स्कूलिंग अलग-अलग जगह के केंद्रीय विद्यालय से हुई। अभिषेक पल्लव ने अपनी पूरी स्कूल इंग पांच जगहों से पूरी की है। उन्होंने झारखंड के रामगढ़ से अपने स्कूलिंग की शुरुआत कर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी महाराष्ट्र के पुणे, दिल्ली,गोवा के केंद्रीय स्कूलों में पढ़ाई की।

1997 में दसवीं 89% अंको से तथा 1999 में 12 वीं 91% अंको से अभिषेक ने गोवा के वास्को डिगामा केंद्रीय विद्यालय से पूरी की। गवर्मेंट मेडिकल कॉलेज गोवा ( गोवा विश्वविद्यालय) में उन्होंने 1999 में प्रवेश लिया और 2005 में एमबीबीएस किया। फिर दिल्ली एम्स से मनोचिकित्सा ( साइकेट्री) में 2009 एमडी की डिग्री प्राप्त की। फिर दिल्ली के ही कुछ अस्पताल में नौकरी करने लगे। अभिषेक पल्लव ने स्कूल से लेकर कॉलेज और यूपीएससी की तैयारी के दौरान कभी कोचिंग नहीं की। 12वीं के बाद बिना ड्रॉप लिए प्रथम प्रयास में ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा क्रैक कर एमबीबीएस की। अभिषेक पल्लव असफलताओं में भी हर रही माने और दुगनी मेहनत करने वाले व्यक्तियों में शुमार होते हैं। एमबीबीएस के फर्स्ट ईयर और फाइनल ईयर में अभिषेक पल्लव फेल हुए थे। पर उन्होंने डबल मेहनत कर एमबीबीएस के बाद बिना कोई ड्रॉप लिए, बिना कोई कोचिंग किए ही पीजी इंट्रेंस एग्जाम 56 वीं रैंक के साथ क्वालीफाई की। मेडिकल में पीजी के लिए ऑल इंडिया लेवल पर होने वाली प्रवेश परीक्षा काफी कठिन मानी जाती है। इसके लिए मेडिकल स्नातक छात्रों को काफी मेहनत करनी पड़ती है।

2009 से 2013 तक दिल्ली के राम मनोहर लोहिया और जीबी पंत अस्पताल में मनोचिकित्सक और असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत थे। इस दौरान उन्हें लगा कि अपने कार्य का दायरा व्यापक करने के लिए उन्हें यूपीएसएसी दिला सिविल सर्वेंट बनना चाहिए। पर अभिषेक की तब तक शादी हो चुकी थी और उनके ऊपर पारिवारिक जिम्मेदारियां भी थीं। जिसके चलते अभिषेक नौकरी करने के साथ ही यूपीएससी की तैयारी करने लगे। दिन भर वे अस्पताल में काम करते और रात को अस्पताल से वापस आकर पढ़ाई करते। इस दौरान अभिषेक का भाई अभिनव पल्लव भी दिल्ली में रहकर यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। अभिषेक के भाई अभिनव कोचिंग करते थे। अस्पताल से घर वापस आकर कोचिंग में पढ़ाए गए टॉपिक्स के बारे में डिस्कसन कर अभिषेक अपने भाई अभिनव से गाइडेंस ले लेते थे। इस तरह से काफी मेहनत करते हुए अभिषेक ने यूपीएससी की तैयारी की। यूपीएससी 2012 का पहला प्रयास देते हुए पहले ही प्रयास में प्रारंभिक मुख्य व साक्षात्कार क्रैक कर 261 वीं रैंक हासिल की और आईपीएस बने।


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प्रोफेशनल कैरियर:–

अभिषेक पल्लव ने 2 सितंबर 2013 को आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। लाल बहादुर शास्त्री प्रशिक्षण अकादमी हैदराबाद से प्रशिक्षण खत्म कर ने के बाद उन्हें फिले ट्रेनिंग के लिए दुर्ग जिले में प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर नियुक्ति मिली। वे दुर्ग में नेवई थाना प्रभारी रहें। फिर सितंबर 2015 से मई 2016 तक एसडीओपी पिथौरा महासमुंद के पद पर रहे। फिर दंतेवाड़ा में एडिशनल एसपी नक्सल ऑपरेशन रहे। एडिशनल एसपी एंटी नक्सल ऑपरेशन के पद पर वे तीन साल दंतेवाड़ा में रहे। इस दौरान कई नक्सली अभियानों का उन्होंने नेतृत्व किया। बतौर एसपी कोंडागांव जिले में पहली पोस्टिंग मिली। जिसके बाद फिर से दंतेवाड़ा एसपी बने।

दंतेवाड़ा एसपी रहने के दौरान अभिषेक पल्लव ने लोन वर्राटू की शुरुआत की। जिसका शाब्दिक अर्थ ऑपरेशन घर वापसी होता है। इस दौरान नक्सलियों को आत्म समर्पण करने के लिए अभिषेक पल्लव ने अभियान चला कर प्रेरित किया। उन्हें मुख्य धारा से कटने के परिणाम, घर परिवार से दूर रहने का दुख व प्रदेश के बाहर के नक्सलियों द्वारा शोषण की जानकारी देकर हथियार डाल मुख्य धारा में लौटने के लिए प्रेरित किया। अभियान के दौरान गांव-गांव में गई पुलिस टीम ने छोटे नक्सलियों व बड़े इनामी नक्सलियों का अंतर गांव वालों को समझाया। लोन वर्राटू में अभिषेक पल्लव का प्रयास अक्सर यही होता था कि छोटे कैडर के नक्सलियों को जिन्हें बाहर के नक्सली पुलिस से मुठभेड़ के दौरान आगे रखकर मरवा देते हैं उन्हे आत्मसमर्पण करने हेतु प्रेरित किया जाए। अभिषेक पल्लव का सीधा सा मानना था कि छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को बरगलाकर बाहर के नक्सली इस्तेमाल कर रहे हैं। इनके शहीद होने या फिर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए जाने से उनके परिवार पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। इन्हीं सब चीजों को समझाकर बड़े छोटे लगभग बड़े छोटे लगभग 500 बड़े छोटे लगभग 500 नक्सलियों को सरेंडर अभिषेक पल्लव ने अपने कार्यकाल में करवाया। नक्सली मार्स में उनके कार्य को देखते हुए सरकार ने भी उन्हें लंबे समय तक दंतेवाड़ा में पदस्थ रखा। दंतेवाड़ा एक समय नक्सली दंतेवाड़ा एक समय नक्सली हिंसाओं में देश में तीसरे स्थान पर था। पर अभिषेक पल्लव के वहां पदस्थ होने और नक्सलियों पर लगाम लगाने के चलते वह शांतिपूर्ण माहौल बन गया और नक्सली हिंसा में काफी कमी आई। नक्सल मोर्चों पर अदम्य साहस दिखाने के चलते अभिषेक पल्लव को राष्ट्रपति वीरता पदक से सम्मानित किया गया है।

कम्युनिटी पुलिसिंग पर जोर:–

अभिषेक पल्लव सख्त पुलिसिंग के साथ कम्युनिटी पुलिसिंग में भी जोर देते हैं। उनकी पत्नी यशा पल्लव भी चिकित्सक है। नक्सली जिलों में पदस्थ रहने के दौरान मेडिकल कैंप लगाकर दोनों पति-पत्नी आदिवासियों का इलाज करते थे। अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई का सदुपयोग कर दूरस्थ व अंदरूनी गांवों में सैकड़ो मेडिकल कैंप अभिषेक पल्लव व उनकी पत्नी ने लगाया है। इस दौरान लोगों को दवाइयां वितरित करने के साथ ही जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस मंगवा जिला अस्पताल में भर्ती किया जाता था। मुठभेड़ में घायल नक्सलियों के गिरफ्तार होने पर उनका भी इलाज अभिषेक पल्लव ने किया है।

दंतेवाड़ा के बाद अभिषेक पल्लव जांजगीर चांपा जिले के एसपी बने। जांजगीर के बाद अभिषेक पल्लव दुर्ग जिले के एसपी बने। यहां भी उन्होंने कम्युनिटी पुलिसिंग और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया। वर्तमान में अभिषेक पल्लव कवर्धा जिले के पुलिस कप्तान है। कवर्धा में पुलिस अधीक्षक बनने के साथ ही वहां अक्सर हो रही सामुदायिक संघर्ष को रोकने में अभिषेक पल्लव ने उल्लेखनीय काम किया। उनके पदस्थ होने के बाद कोई भी सामुदायिक तनाव कवर्धा में नहीं हुआ है। कवर्धा में उन्होंने शांतिपूर्ण ढंग से विधानसभा व लोकसभा के चुनाव संपन्न करवाए हैं।

जीवन साथी:–

अभिषेक पल्लव ने डॉक्टर यशा पल्लव से शादी की है। डॉ यसने पटना से एमबीबीएस की डिग्री ली है। फिर उन्होंने डर्मेटोलॉजी में पीजी किया है। वह एक त्वचा रोग विशेषज्ञ है। दोनों पति पत्नी नक्सल एरिया में निशुल्क मैडिकल कैंप लगाते थे। डॉ अभिषेक पल्लव के भाई अभिनव पल्लव भारतीय वन सेवा के मध्य प्रदेश कैडर के 2014 बैच के आईएफएस हैं।

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