IAS Vandana Singh Biography in Hindi: हल्द्वानी हिंसा को सख़्ती से निबटने वाली सुर्ख़ियों में हैं ये महिला कलेक्टर, जानिए उनके बारे में...
IAS Vandana Singh Biography in Hindi: उत्तराखण्ड के हलद्वानी में धार्मिक हिंसा को सख़्ती से निबटने को लेकर डीएम वंदना सिंह को इंटरनेट पर सर्वाधिक सर्च किया जा रहा है। ज़ाहिर है उग्र हिंसा और आगज़नी के बाद भी वंदना मोर्चे पर डटी रहीं।
IAS Vandana Singh Biography in Hindi: रायपुर। पूरे देश में इस समय देवभूमि का हल्द्वानी सुर्खियों में है। 8 फरवरी की शाम को जिस तरह से अवैध मदरसे के हटाए जाने के बाद हिंसा की गईं, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। पुलिस को निशाना बनाया गया। उन पर पथराव हुआ। उपद्रवियों ने पेट्रोल बम फेंके। पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। पूरे हल्द्वानी में इस समय कर्फ्यू लगा हुआ है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल सकते। इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इन सबके बीच जो सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, वो हैं हल्द्वानी की डीएम वंदना सिंह। उपद्रवियों की अकड़ निकालने वालीं डीएम वंदना सिंह इस समय अपने करियर का एक सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही हैं। उपद्रवियों ने कानून-व्यवस्था को सीधी चुनौती दी है। हल्द्वानी में भ़ड़की हिंसा के बाद नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने सख्त लहजे में कहा है कि उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने दंगे के सांप्रदायिक एंगल को सिरे से खारिज कर दिया है। उन पर हल्द्वानी में हालात नियंत्रण में लाने का दबाव है।
2012 बैच की आईएएस है वंदना
2012 बैच की आईएएस वंदना सिंह की गिनती उत्तराखंड के तेज तर्रार प्रशासनिक अफसरों में होती है। उन्होंने जिस सधे अंदाज और साफगोई के साथ हल्द्वानी हिंसा की पूरी वारदात को रखा है, वो चर्चा में आ गई हैं। साथ ही जनता में फिर शांति स्थापित करने की चुनौती है। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि कौन हैं नैनीताल की डीएम वंदना सिंह। हर कोई उनके बारे में सब कुछ जानना चाहता है। आइए हम बताते हैं।
- पिता का बड़ा फ़ैसला
- बचपन से देखा संघर्ष
वंदना सिंह का जन्म 4 अप्रैल, 1989 को हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव में हुआ था। जिस परिवार से वे ताल्लुक रखती थीं, वहां लड़कियों की पढ़ाई को ज्यादा तवज्जो कभी नहीं दी गई। इसी वजह से वंदना को भी शुरुआती जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा, जो पढ़ाई बच्चों का अधिकार मानी जाती है, उन्हें उस अधिकार से ही वंचित करने की तमाम कोशिशें की गईं। उनके परिवार के कई सदस्य चट्टान की तरह उनके खिलाफ खड़े हो गए। लेकिन तब वंदना के पिता ने समाज की एक नहीं सुनी और अपनी बेटी को पढ़ाने का एक निडर फैसला किया। उस फैसले ने ही वंदना को सबसे पहले मुरादाबाद के एक गुरुकुल में एडमिशन दिलवाया और फिर देखते ही देखते उन्होंने अपनी 12वीं की पढ़ाई भी पूरी कर ली।
बिना कोचिंग IAS में आठवाँ रैंक
स्कूल की पढ़ाई खत्म करते ही वंदना सिंह ने देश के सबसे मुश्किल एग्जाम के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। उनकी लगन ऐसी थी कि उन्होंने अपने आईएएस बनने के सपने को तो जिंदा रखा ही, साथ में एलएलबी की पढ़ाई भी पूरी की। उनकी तरफ से कॉलेज नहीं जाया गया, उन्होंने घर पर ही 12 से 14 घंटे पढ़ाई कर हर क्षेत्र में कीर्तिमान रचा। आपको ये जान हैरानी होगी कि देश के सबसे मुश्किल एग्जाम के लिए वंदना ने कोई कोचिंग नहीं ली थी। बिना कोचिंग महज 24 साल की उम्र में उन्होंने पूरे देश में 8वीं रैंक हासिल की थी।
'बेटी बचाओ' की ब्रांड एंबेसडर
आईएएस बनने के बाद वंदना सिंह को सबसे पहले उत्तराखंड कैडर मिला था। वे पिथौरागढ़ की मुख्य विकास अधिकारी नियुक्त की गई थीं। इसके बाद 2017 में उन्हें पहली महिला सीडीओ बनने का गौरव भी प्राप्त हुआ। कुछ समय के लिए वंदना 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान' की ब्रांड एंबेसडर भी रहीं। कुछ ही दिनों के बाद उन्हें शासन के कार्मिक विभाग में अटैच किया गया। इसके बाद 12 नवंबर को 2020 को वंदना सिंह को केएमवीएन का एमडी बनाया गया। इस पद पर नियुक्ति न लेने के बाद उन्हें रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट में अपर सचिव बनाया गया। वर्ष 2021 में उन्हें अल्मोड़ा का जिलाधिकारी बनाया गया था। 17 मई 2023 को नैनीताल की 48वीं डीएम के पद पर तैनाती के बाद वे इस पद पर बनी हुई है।