IAS Transfer: जानिये कैसे होता है IAS अफसर का ट्रांसफर, क्या है इसके क्रायटेरिया, कौन करता है तबादला

IAS Transfer: भारतीय प्रशासनिक सेवा भारत की सबसे प्रतिष्ठित सेवा मानी जाती है। इसके लिए देश की सबसे बड़ी परीक्षा एजेंसी संघ लोक सेवा आयोग याने यूपीएससी एग्जाम कंडक्ट करती है। दो दौर की कठिन परीक्षा के बाद फिर इंटरव्यू के जरिये आईएएस सलेक्शन होता है। सिविल सर्विस एग्जाम से वैसे तो दर्जन भर से अधिक सेवाओं के लिए अफसरों का चयन किया जाता है मगर इसमें आईएएस सबसे उपर होता है। अब इतनी महत्वपूर्ण सेवा के अधिकारियों के तबादले के भी अपने नियम होते हैं।

Update: 2024-12-06 07:45 GMT

IAS Transfer: रायपुर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का यूपीएससी द्वारा सलेक्शन होने के बाद लाल बहादुर शास्त्री प्रशासन अकादमी मसूरी में कई दौर की ट्रेनिंग होती है। ट्रेनिंग के बाद भारत सरकार जो कैडर अलॉट करती है, आईएएस अधिकारियों को उस राज्य में जाकर ज्वाईन करना पड़ता है। फिर अफसरों की पोस्टिंग कहां करनी है यह राज्य सरकारें तय करती हैं।

सबसे पहले प्रोबेशन

मसूरी में ट्रेनिंग लेने के बाद आईएएस अधिकारी जब अपने कैडर स्टेट में पहुंचते हैं तो उन्हें प्रोबेशन से गुजरना पड़ता है। राज्य सरकार से सबसे पहले उन्हें असिस्टेंट कलेक्टर पोस्ट करती है। असिस्टेंट कलेक्टर के तौर पर आईएएस संबंधित जिले के कलेक्टर के अधीन कार्य करते हैं। कलेक्टर ही अपने हिसाब से उन्हें जिले में ड्यूटी लगाते हैं। इस कलेक्टर के आदेश पर तहसीलों में भी ट्रेनिंग लेनी होती है।

असिस्टेंट कलेक्टर के बाद एसडीएम

असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में प्रोबेशन कंप्लीट हो जाने के बाद राज्य सरकार उन्हें जिलों में पोस्ट करती है। जिले में एसडीएम बनाना कलेक्टर पर निर्भर करता है। कई बार कलेक्टर डायरेक्ट आईएएस को भी एसडीएम बना देते हैं। कई बार राज्य सरकार सीधे एडिशनल कलेक्टर भी अपाइंट करती है।

मुख्यमंत्री के अधीन

सबसे बड़ी सर्विस होने की वजह से आईएएस के नियोक्ता मुख्यमंत्री होते हैं। आईएएस का मदर डिपार्टमेंट सामान्य प्रशासन विभाग होता है। अनेक राज्यों में यह विभाग मुख्यमंत्री के पास होता है। आईएएस के सबसे बड़े बॉस राज्य के चीफ सिकरेट्री होते हैं।

जानिये कैसे होता है आईएएस का तबादला

आईएएस अधिकारी के तबादले के लिए नियम यह है कि सामान्य प्रशासन विभाग याने जीएडी से नोटशीट चलती है। जीएडी सिकरेट्री चीफ सिकरेट्री को नोटशीट भेजते हैं। चीफ सिकरेट्री के रिकमंडेशन से नोटशीट मुख्यमंत्री तक पहुंचती है। मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही आईएएस की तबादला सूची फाइनल होती है। मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद नोटशीट फिर चीफ सिकरेट्री से होते हुए जीएडी में पहुंचती है और फिर तबादला आदेश जारी होता है।

सीएम ही सर्वेसर्वा

आजकल आईएएस के तबादले में मुख्यमंत्री सचिवालय की भूमिका बढ़ गई है। आईएएस के तबादले से पहले मुख्यमंत्री से मौखिक सहमति ले ली जाती है। फिर उनके सिकरेट्री लिस्ट तैयार करते हैं कि किसे कहां पोस्टिंग देनी है, किसको किस जिले में तबादला करना है। इसके बाद मुख्यमंत्री को लिस्ट दिखाई जाती है। मुख्यमंत्री को लगता है कि लिस्ट ठीक है तो ओके कर देते हैं या फिर कोई नाम हटाना है या जोड़ना तो वे अपने कलम से वे करेक्टशन कर देते हैं। मुख्यमंत्री अगर ओके कर दिए तो फिर उसे फायनल मान लिया जाता है। कई बार इमरजेंसी में तबादले होते हैं, उनमें नोटशीट की औपचारिकता बाद में की जाती है। सीएम की सहमति से आदेश जारी हो जाता है।

आदेश पर किसके हस्ताक्षर

मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद नोटशीट जीएडी पहुंचती है। फिर जीएडी सिकरेट्री तबादला आदेश जारी करते हैं। आदेश पर जीएडी सिकरेट्री का हस्ताक्षर होता है। यद्यपि, कई राज्यों में चीफ सिकेरट्री ही आईएएस अधिकारियों के तबादला आदेश पर हस्ताक्षर करते हैं। उनके आदेश से ही तबादला आदेश जारी होता है।

दो साल का कार्यकाल

आईएएस अधिकारियों का तबादला आमतौर पर दो साल में किया जाता है। मगर परिस्थितियों के अनुसार राज्य इसमें वृद्धि या कम भी कर सकती है। परफार्मेंस ठीक न होने या फिर राज्य सरकार के संतुष्ट न रहने पर कई बार छह महीने, साल भर में भी आईएएस अधिकारियों के तबादले कर दिए जाते हैं। कई बार राज्य सरकार किसी बात से नाराज हो जाती है या फिर कार्य में लापरवाही बरतने पर छुट्टी हो जाती है। वैसे आदर्श टाईम दो साल रखा गया है। वह इसलिए कि पहले छह महीने में आईएएस प्लानिंग करेंगे और फिर डेढ़ साल में उसका क्रियान्वयन। करीब एक दशक पहले तक विषम परिस्थितियों में ही दो साल से पहले आईएएस अधिकारियों का तबादला होता था।

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