आईएएस अफसरों के गुलछर्रेः न्यौता था चीफ आर्किटेक्ट का और मौज करने बिजनेस क्लास की टिकिट पर पेरिस चले गए तीन सीनियर IAS

IAS officers' dalliances:नियमों को ताक में रखकर तीनों आईएएस ने एक दूसरे की पेरिस यात्रा को मंजूरी दी और तय शेड्यूल के दिन भी बिना सक्षम विभाग की अनुमति के बढ़वा लिए। इतना ही नहीं एक दिन के ट्रीप को सात दिन का बना पेरिस में होटल भी अपग्रेड करा लिया।

Update: 2024-04-12 11:16 GMT

नई दिल्ली। तीन सीनियर आईएएस अफसरों द्वारा करदाताओं के पैसे से विदेश में जाकर गुलछर्रे उड़ाने का मामला सामने आया है। नियमों को ताक में रखकर तीनों आईएएस ने एक दूसरे की पेरिस यात्रा को मंजूरी दी और तय शेड्यूल के दिन भी बिना सक्षम विभाग की अनुमति के बढ़वा लिए। इतना ही नहीं एक दिन के ट्रीप को सात दिन का बना पेरिस में होटल भी अपग्रेड करा लिया। सरकार द्वारा जवाब मांगने पर एक दूसरे की अनुमति से विदेश यात्रा करने का अनोखा जवाब भी प्रस्तुत कर दिया। पुणे मामला वर्ष 2015 का है जो 9 साल बाद चंडीगढ़ के डायरेक्टर जनरल का ऑडिट सेंट्रल की रिपोर्ट से यह मामला सामने आया।

पूरा मामला चंडीगढ़ प्रशासन में 2015 में कार्यरत तीन आईएएस अफसर से जुड़ा है। यह तीनों आईएएस केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में महत्वपूर्ण विभागों में पदस्थ थे। इनमें पहले आईएएस विजय कुमार देव उपराज्यपाल के सलाहकार, दूसरे आईएएस अनुराग अग्रवाल चंडीगढ़ के गृह सचिव और विक्रम देव दत्त सचिव के पद पर पदस्थ थे। जून 2015 में चंडीगढ़ प्रशासन को पेरिस के कार्बुजिए फाउंडेशन की तरफ से न्यौता मिला था। यह न्योता चंडीगढ़ का मास्टर प्लान तैयार करने वाली फ्रेंच आर्किटेक्ट कंपनी ले कार्बुजिए की 50 वीं वर्षगांठ के मौके पर होने जा रही एक मीटिंग के लिए दिया गया था। कंपनी के मालिक ले कार्बुजिए एक मशहूर आर्किटेक्ट थे जिन्होंने वाली फ्रेंच आर्किटेक्ट कंपनी ले कार्बुजिए की स्थापना की थी। उनकी ही मृत्यु के दिन 50 वीं वर्षगांठ मनाई जानी थी।

वास्तुकार की जगह खुद के नामों की अनुशंसा कर गए यात्रा पर

इस यात्रा के लिए जमकर नियमों की अनदेखी की गई। जिन अफसरों को न्योता नहीं भेजा गया था उन्होंने करदाताओं के पैसे से यात्रा पूरी कर ली। आर्किटेक्ट कंपनी द्वारा चंडीगढ़ के मुख्य वास्तुकार को एक दिवसीय कार्यक्रम के लिए न्योता भेजा गया था। पर चालक अफसर ने मुख्य वास्तुकार को किनारे कर खुद ही पेरिस में छुट्टियां मनाने का प्लान बड़े ही शातिराना ढंग से कर लिया। अधिकारियों के प्रपोजल पर चार अफसर के नामों की अनुशंसा चंडीगढ़ सरकार ने गृह मंत्रालय को की।

गृह मंत्रालय को जो प्रपोजल भेजा जाना था उसमें विजय देव ने विक्रम दत्त के नाम के अनुशंसा की तो वहीं विक्रम दत्त ने विजय देव की यात्रा को मंजूरी दी। तीनों अफसरों ने एक दूसरे के नामों की अनुमति 10 जून 2015 को दी। विजय देव ने अनुराग अग्रवाल की ट्रिप को मंजूरी दी। चंडीगढ़ प्रशासन के माध्यम से यह प्रपोजल केंद्रीय मंत्रालय को पहुंचा जहां से इन तीनों के नाम की अनुमति मिल गई। पर अनिवार्य तौर पर ली जाने वाली विदेश मंत्रालय से अनुमति तीनों अफसरों ने नहीं ली।

1 दिन की यात्रा बिना अनुमति सात दिन

चंडीगढ़ स्थित आरटीआई कार्यकर्ता आरके गर्ग ने सूचना के अधिकार के तहत ऑडिट रिपोर्ट निकलवाई। ऑडिट रिपोर्ट से सामने आया कि यात्रा पहले एक दिन ( 15 जून 2015 को ले कार्बुजिए की मृत्यु की वर्षगांठ थी) के लिए थी। जिसे बढ़ाकर 7 दिनों के लिए कर दी गई। यात्रा के लिए 12 से 18 जून तक की तिथि तय की गई। इसके लिए देव ने 11 से 19 जून तक अवकाश लिया। तो वही दत्त ने 11 से 21 जून तक अवकाश स्वीकृत करवाया। और अग्रवाल ने 12 से 19 जून तक अवकाश स्वीकृत करवाया। नियम पुस्तिका के मुताबिक किसी भी अफसर की विदेश यात्रा यदि 5 दिन से अधिक हो तो अनिवार्य तौर पर स्क्रीनिंग कमेटी की मंजूरी ली जानी चाहिए। न्यू मुख्य मुताबिक 5 दिनों से अधिक समय तक चलने वाले डर के लिए मामले को ऑडिट समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए और अनुमोदित किया जाना चाहिए लेकिन इस साथ देसी दौरे के तहत मामले को समीक्षा समिति के सामने नहीं लाया गया और कोई मंजूरी नहीं मांगीं गई। यही नहीं यात्रा के संबंध में भागीदारी के संबंध में विदेश मंत्रालय से कोई प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया गया।

बिजनेस क्लास फ्लाइट के अलावा 18 लाख रुपए में फाइव स्टार होटल

यात्रा के लिए तीनों अफसरों ने बिजनेस क्लास में टिकट ली। टेक इट अफसर के टिकट पर एक लाख 77 हजार खर्च किए गए। ऑडिट रिपोर्ट में अभी सामने आया है कि तेरी स्ट्रिप का शुरुआती बजट 18 लाख रुपए था। पर अफसरों ने स्वीकृत होटल अपग्रेड कराकर फाइव स्टार होटल ले लिया। तीनों के होटल का बिल ही कुल स्वीकृत के बराबर हो गया। कल 17 लाख 97 हजार रुपए होटल के बिल में चुकाए गए। यात्रा का बजट भी 18 लाख से बढ़कर 25 लाख कर दिया गया। सभी खर्च यूटी प्रशासन चंडीगढ़ ने वहन किया। विभागीय मंत्री द्वारा भी अनुमति नहीं ली गई।

6 साल बाद ऑडिट, 9 साल बाद खुलासा

2015 के इस मामले की ऑडिट 2021 में किया गया था और 2022-23 में इसकी रिपोर्ट सौंपी गई। अब जाकर 2024 में आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी सामने आई।

कौन है विदेश में गुलछर्रे उड़ाने वाले यह तीनों अफसर

आईएएस विजय कुमार देव 1987 बीच के एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वह दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव रह चुके हैं। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके आईएएस विजय कुमार देव अप्रैल 2022 में सेवानिवृत हो चुके हैं। सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें दिल्ली निर्वाचन आयोग का चुनाव आयुक्त बनाया गया है। दिल्ली के साथी में केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के निर्वाचन आयुक्त का पदभार संभाल रहे हैं। उनकी नियुक्ति 6 वर्ष हो या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो के लिए की गई है।

दूसरे अफसर अनुराग कुमार अग्रवाल पंजाब कैडर के 1990 बैच के आईएएस अफसर हैं। वे पंजाब में श्रम विभाग के प्रधान सचिव रहने के अलावा चंडीगढ़ में गृह सचिव व हरियाणा के मुख्य चुनाव आयुक्त भी रह चुके हैं। वर्तमान में अनुराग अग्रवाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार का पद संभाल रहे हैं।

तीसरे आईएएस विक्रम देव दत्त एजीएमयूटी कैडर के 1993 बीच के आईएएस ऑफिसर है। विक्रम देव दत्त और एयर इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के तौर पर भी काम कर चुके हैं। वर्तमान में वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर नागरिक उड्डयन महानिदेशालय में महानिदेशक के पद पर हैं।

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